World Immunization Week 2020: सिर्फ बच्चों के लिए नहीं बड़ों के लिए भी जरूरी है टीका लगवाना, एक्सपर्ट से जानें

World Immunization Week: टीकाकरण हर साल लाखों लोगों की जान बचाता है और दुनिया के सबसे सफल उपायों में से एक है।  
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World Immunization Week 2020: सिर्फ बच्चों के लिए नहीं बड़ों के लिए भी जरूरी है टीका लगवाना, एक्सपर्ट से जानें

World Immunization Week: विश्व टीकाकरण सप्ताह यानी की अप्रैल महीने का अंतिम सप्ताह (24 से 30 अप्रैल), जिसमें बीमारी के खिलाफ सभी उम्र के लोगों की सुरक्षा के लिए टीकों के उपयोग को बढ़ावा देना और उन्हें जागरूक बनाना है। टीकाकरण हर साल लाखों लोगों की जान बचाता है और दुनिया के सबसे सफल और लागत प्रभावी स्वास्थ्य उपायों में से एक है, जिसे व्यापक रूप से इस्तेमाल किया जाता है। फिर भी आज दुनिया में लगभग 2 करोड़ बच्चे ऐसे हैं, जिन्हें वे टीके नहीं लग पा रहे हैं, जिनकी उन्हें ज़रूरत है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्लूएचओ)  हर साल इस सप्ताह एक नई थीम लेकर आता है और इस वर्ष का विषय है #VaccinesWork for All। इस अभियान में इस बात पर ध्यान दिया जाएगा कि टीके कैसे लगाए जाते हैं - और वे लोग, जो टीके विकसित करते हैं या वे, जो टीके लगवाते हैं वे हर जगह, हर किसी के स्वास्थ्य की रक्षा करने के लिए काम करने वाले सच्चे नायक हैं।

— Tedros Adhanom Ghebreyesus (@DrTedros) April 24, 2020

डब्लूएचओ के इस साल यानी की 2020 अभियान के कुछ जरूरी उद्देश्य हैंः

इस अभियान का मुख्य लक्ष्य दुनिया भर में हर जगह स्वास्थ्य और हर किसी के स्वास्थ्य में सुधार लाने में टीकाकरण के महत्व के बारे में बताना और ज्यादा से ज्यादा लोगों को इसके दायरे में शामिल करना है।  2020 अभियान के हिस्से के रूप में, डब्ल्यूएचओ और अनके भागीदारों का लक्ष्य है:

  • बच्चों, समुदायों और दुनिया के स्वास्थ्य के लिए टीकों के महत्व को बताना। 
  • इस बात को साबित करना कि कैसे नियमित रूप से टीकाकरण मजबूत, लचीला स्वास्थ्य प्रणालियों और सार्वभौमिक स्वास्थ्य दायरे की नींव है। 
  • टीकों और टीकाकरण में निवेश वृद्धि के माध्यम से अंतर को पाटते हुए टीकाकरण प्रगति पर निर्माण करने की आवश्यकता पर प्रकाश डालें।

WHO ने 2020 को नर्स और मिडवाइफ के अंतर्राष्ट्रीय वर्ष के रूप में नामित किया है।  इस साल WHO ने नए माता-पिता और माता-पिता के लिए शुरुआती वैक्सीन चैंपियन के रूप में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका के लिए नर्सों और दाइयों को उजागर किया है। 

मौजूदा वक्त में दुनिया भर में कोरोना जब महामारी के रूप ले चुका है वहीं सभी राष्ट्र बेसब्री ऐसी वैक्सीन के आने का इंतजार कर रहे है, जो महामारी को नियंत्रण में रखने में मदद करेगा। हालांकि उम्मीद है कि जल्द ही एक टीका विकसित किया जाएगा लेकिन  इसमें शामिल जटिलताओं और नियमों को देखते हुए इसमें कम से कम 12-18 महीने लगेंगे। विश्व टीकाकरण सप्ताह मनाने के लिए इस लेख में हम आपको ये बताने जा रहे हैं कि टीका कैसे काम करता है और वैश्विक योगदान में इसका क्या योगदान है।

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दिल्ली मेडिकल काउंसिल के प्रेसीडेंट डॉ. अरुण गुप्ता का कहना है कि जैसा कि आपको पता है कि टीकाकरण बीमारियों से बचाव के लिए बहुत ही ज्यादा जरूरी है। अगर हम पिछली सदी के सभी आधुनिक चमत्कारों की बात करें तो टीकाकरण का नाम सबसे ऊपर आना चाहिए। स्मॉल पॉक्स, पोलियो जैसी बीमारियां बहुत कम या न के बराबर हो गई हैं और कई बीमारियां काबू में हैं। इसके साथ ही सभी लोगों को टीकाकरण के बारे में जानकारी होनी चाहिए और आपको समय से टीके लगवाने चाहिए। 

उन्होंने बताया कि नवजात के जन्म से छह महीने तक उन्हें टीके लगते हैं लेकिन जैसे-जैसे उम्र बढ़ती है उसके बाद नियमित अंतराल पर टीके लगते हैं, जिसे बूस्टर्स कहा जाता है। सबसे ज्यादा जरूरी बात ये है कि आप अपने टीके के शेड्यूल का सही से पालन करें और जो डेट मिली है उसी डेट पर टीका लगवाएं। सही तारीख पर टीका न लगवाने से बच्चों के स्वास्थ्य पर असर पड़ता है क्योंकि ऐसा करने से सभी टीकों को डेट आगे बढ़ जाती है। 

डॉ. गुप्ता ने बताया कि छोटे बच्चों को टीका फिर भी लोग लगा लेते हैं लेकिन व्यस्क टीका लगवाने से बचते हैं। देखिए बहुत से ऐसे टीके होते हैं, जो बचपन में लग जाए तो उनका असर जीवनभर रहता है लेकिन कुछ वैक्सीन का असर जीवनभर नहीं रहता, जिन्हें एक नियमित समय पर दोबारा लगवाना पड़ता है। ऐसा इसलिए है क्योंकि कुछ टीके आपके बचपन के वक्त थे ही नहीं वो इस समय बने हैं इसलिए इस बारे में अपने डॉक्टर से जरूर बात करिए। इस बात को ध्यान रखने की जरूरत है कि वैक्सीन जितना छोटे बच्चों के लिए जरूरी है उतना ही बड़ों के लिए भी जरूरी है। 

कैसे काम करता है टीका

मानव शरीर प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया यानी की इम्यून रिस्पॉन्स को बढ़ाकर रोगजनकों (रोग पैदा करने वाले सूक्ष्मजीव) से लड़ता है। इस प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया में शामिल सफेद रक्त कोशिकाओं में मुख्य रूप से मैक्रोफेज, बी-लिम्फोसाइट्स और टी-लिम्फोसाइट्स शामिल होते हैं। मैक्रोफेज हमारे शरीर पर हमला करते है और रोगजनकों को जुटाकर उनकी सतह पर एंटीजन को प्रस्तुत करते हैं। सिर्फ इतना ही नहीं ये साइटोकिन्स नाम के कुछ यौगिकों को भी रिलीज करते हैं, जो सूजन का कारण बनते हैं। लिम्फोसाइट्स बाहरी रूप से हमला करने के लिए पहचानकर्ता के रूप में एंटीजन का उपयोग करते हैं। वे एंटीबॉडी को रिलीज करते हैं, जो संक्रमण को दूर कर वाले होते हैं।

एक प्रकार की लिम्फोसाइट्स, जिसे मेमोरी सेल कहते हैं संक्रमण के थम जाने के बाद भी शरीर में बने रहते हैं और फिर से पैथोजेन हमले को बढ़ा देते हैं। इसका यही मतलब होता है किसी बीमारी के खिलाफ इम्यूनिटी का होना, जिसके कारण स्मृति कोशिकाएं बिना देरी के सक्रिय हो जाती हैं और व्यक्ति बीमार नहीं पड़ता है। टीके भी समान सिद्धांतों पर काम करते हैं,  वे एंटीजन की विशेषताओं का अनुकरण करते हैं। शरीर बिना बीमारी पैदा किए उपयुक्त लिम्फोसाइटों का निर्माण करने में सक्षम होता है, जिसके कारण वास्तव में शरीर रोगजनकों का सामना करने लगता है। 

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टीके के प्रकार के आधार पर, इम्यूनिटी को पूर्ण रूप से बढ़ाने के लिए कई खुराक या शॉट्स की आवश्यकता हो सकती है। टीकों को विकसित करने के लिए कई अलग-अलग दृष्टिकोण हैं, जिनमें से कई COVID-19 के लिए भी आजमाए जा रहे हैं:

लाइव, अटैएनुटेड वैक्सीन: यह वैक्सीन का शास्त्रीय रूप है जिसका उपयोग वायरस और बैक्टीरिया के लिए किया जाता है। पैथोजन का एक कमजोर रूप सुसंस्कृत होता है, जो कि इम्यून रिस्पॉन्स को भड़काने के लिए पर्याप्त मजबूत होता लेकिन ये बीमारी पैदा न करने के लिए पर्याप्त रूप से कमजोर होता है। MMR वैक्सीन एक जीवित वैक्सीन का एक उदाहरण है।

इनएक्टीवेटेड वैक्सीन: जैसा कि नाम से पता चलता है, इस प्रकार के टीका में वायरस या बैक्टीरिया को निष्क्रिय कर दिया गया होता है। पोलियो वैक्सीन इसका एक उदाहरण है। अक्सर इन प्रकार के टीकों को बूस्टर शॉट्स की आवश्यकता होती है।

टॉक्सोइड वैक्सीन: कुछ बैक्टीरिया शरीर में विषाक्त पदार्थों को छोड़ते हैं जो घातक हो सकते हैं। टॉक्सॉइड टीके इन विषाक्त पदार्थों का एक कमजोर रूप हैं जो विषाक्त पदार्थों के प्रति प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया को ट्रिगर करते हैं। डिप्थीरिया का टीका इसका एक उदाहरण है।

सबयूनिट वैक्सीन: इस प्रकार की वैक्सीन केवल प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया यानी की इम्यून रिस्पॉन्स को ट्रिगर करने के लिए बैक्टीरिया या वायरस का एक हिस्सा या सबयूनिट लेती है।

टीके की सफलता की कहानी 

डब्ल्यूएचओ के अनुसार, टीके हर साल 30 लाख से अधिक जीवन बचाते हैं। 2018 में, सभी शिशुओं में से 86% ने डीटीपी -3 वैक्सीन की तीन खुराक प्राप्त की, जो उन्हें जानलेवा डिप्थीरिया, टेटनस और काली खांसी से बचाता है। 20 वीं शताब्दी के उत्तरार्ध में पोलियो वैक्सीन के विकास के बाद से, दुनिया के कई हिस्सों में इस बीमारी का प्रचलन व्यापक रूप से बहुत कम हो गया है। स्वच्छता और टीकाकरण में सुधार से दुनिया में संक्रामक रोगों के कारण होने वाली मौतों की संख्या में भारी गिरावट देखी गई है।

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