कर्णप्रिय शब्द सुनने के बाद खुश होना स्वाभाविक है, लेकिन बुरे शब्द सुनने के बाद दुख भी होता है। अगर आप किसी की तारीफ कर रहे हैं तो वह आपके ऊपर खुश रहेगा लेकिन अगर आप किसी की बुराई कर रहे हैं तो वह उदास और दुखी रहेगा। यानी शब्दों को तोल-मोल कर बोलना चाहिए। वरना इसके घातक दुष्परिणाम सामने आ सकते हैं। आपके शब्द दूसरे के मन पर तो असर करते ही हैं, वे खुद आपके लिए भी घातक सिद्ध हो सकते हैं। शब्दों से कैसे दुख होता है इसके बारे में विस्तार से जानने के लिए यह लेख पढ़ें।
शोध के अनुसार
जर्मनी के जेना यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं के मुताबिक 'परेशान हूं' या 'भीषण दर्द है', 'नाक में दम हो गया है' जैसे शब्द विन्यास मस्तिष्क में दर्द को प्रोत्साहित करते हैं। जेना यूनिवर्सिटी की मारिया रिचटर का कहना है, 'वार्तालाप के दौरान इन शब्दों के प्रयोग से मस्तिष्क में पेन मैट्रिक नामक जगह की गतिविधि बढ़ जाती है। इसलिए दर्द का अनुभव तेज हो सकता है।' प्रमुख शोधकर्ता प्रोफेसर थामस विस का कहना है कि बच्चे और वयस्क दर्द होने पर तीखी प्रतिक्रिया देते हैं। ऐसे में उन्हें ज्यादा दर्द का अनुभव होता है क्योंकि उनके शब्द मस्तिष्क से जुड़ेदर्द क्षेत्र को सक्रिय कर देते हैं।
शोध में पाया गया कि रोगी अकसर अपने दर्द को बताने के दौरान इन शब्दों का इस्तेमाल करते हैं। इससे वास्तव में उनका दर्द बढ़ जाता है। यह शोध पेन नाम के जर्नल में प्रकाशित हुआ है।
यानी अगर आप किसी को सुख देना चाहते हैं तो मीठे बोल बोलिये, नहीं तो आपके शब्दों से उसे दुख तो होगा ही साथ ही दर्द भी होगा।
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