

भयंकर सिरदर्द की समस्या इन दिनों आम हो गई है और माइग्रेन इसी का एक रूप है। इसकी सबसे बड़ी वजह तनाव और लोगों की अनियमित दिनचर्या है, जिससे सबसे अधिक महिलाएं प्रभावित हो रही हैं।
एक अनुमान के मुताबिक, देश में करीब एक-तिहाई महिलाएं और पुरुषों का पांचवां हिस्सा माइग्रेन से प्रभावित है। माइग्रेन में भी हालांकि सिरदर्द ही होता है, लेकिन चिकित्सकों का कहना है कि दोनों में फर्क है, जिसे समझना आवश्यक है।
अपोलो अस्पताल में तंत्रिका तंत्र विभाग के वरिष्ठ चिकित्सक पी. एन. रंजन ने कहा, ‘‘सिरदर्द सिर के हिस्से में दर्द है, जबकि माइग्रेन सिरदर्द का एक प्रकार है। माइग्रेन बीमारी नहीं, बल्कि रोग का एक लक्षण है। यह जानना चाहिए कि हर सिरदर्द माइग्रेन नहीं होता, लेकिन माइग्रेन सिरदर्द हो सकता है।’’
माइग्रेन में अक्सर सिर में स्पंदन होता है, रोशनी की ओर देखने का मन नहीं करता और उल्टी होती है। डॉक्टर रंजन के मुताबिक, वह रोजाना जितने मरीजों को देखते हैं, उनमें करीब 3क् प्रतिशत सिरदर्द एवं माइग्रेन के होते हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘महिलाओं के शरीर में होने वाले हार्मोन में बदलाव और प्रतिदिन के जीवन में तनाव के कारण उनमें सिरदर्द एवं माइग्रेन का खतरा अधिक होता है। अनियमित खानपान और पूरी नींद नहीं मिल पाना इसके अन्य कारण हैं।’’
शालीमार बाग स्थित मैक्स अस्पताल में तंत्रिका तंत्र विशेषज्ञ डॉक्टर मनोज खन्नल ने बताया, ‘‘माइग्रेन से पीड़ितों में 75 प्रतिशत महिलाएं हैं। हालांकि बचपन में लड़कों और लड़कियों, दोनों में माइग्रेन के संयोग बराबर होते हैं, लेकिन लड़कियों में युवावस्था के बाद यह बढ़ जाता है। माइग्रेन आम तौर पर 20 से 45 वर्ष की महिलाओं को प्रभावित करता है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘महिलाओं में एस्ट्रोजन तथा प्रोजेस्टेरोन जैसे हर्मोन में होने वाले बदलाव के कारण माइग्रेन का खतरा और इसकी गंभीरता कुछ महिलाओं में बढ़ जाती है। माइग्रेन से पीड़ित करीब आधी महिलाओं ने बताया कि उनका सिरदर्द उनके मासिक चक्र से संबंधित होता है। कुछ महिलाओं में गर्भावस्था के पहले तीन महीने में माइग्रेन की स्थिति बहुत गंभीर होती है, लेकिन यह आखिरी के तीन महीने में ठीक हो जाती है।’’
लोगों को अक्सर दर्द निवारक दवाएं नहीं लेने की सलाह देते हुए मैक्स हेल्थकेयर में तंत्रिका तंत्र विशेषज्ञ राजशेखर रेड्डी ने कहा, ‘‘बहुत अधिक दर्द निवारक दवाएं लेने से भी सिरदर्द बढ़ सकता है। इसके अतिरिक्त ये किडनी तथा अन्य अंगों को भी प्रभावित कर सकते हैं।’’
चिकित्सकों ने सिरदर्द की स्थिति में हर वक्त दवा लेने के बजाय लोगों को तनाव मुक्त जीवन जीने, खानपान में सुधार लाने तथा पूरी नींद लेने की सलाह दी है। उनका यह भी कहना है, उन परिस्थितियों पर गौर करना चाहिए, जिसके कारण सिरदर्द होता है और उनसे दूर रहने की कोशिश करनी चाहिए।
Read More Health News In Hindi
How we keep this article up to date:
We work with experts and keep a close eye on the latest in health and wellness. Whenever there is a new research or helpful information, we update our articles with accurate and useful advice.
Current Version