नेहा अपने दो साल के बच्चे को हमेशा चलाने की कोशिश करते रहती थी। लेकिन वो है कि चलता ही नहीं था। कई बार तो उसके घरवालों ने उसे भी बोला कि छोड़ दो बड़ा होते-होते खुद चलना सीख जाएगा। लेकिन नेहा को मालुम है कि ये छोड़ने वाली बात नहीं है क्योंकि बच्चे को 3 साल से पहले चलना सीख लेना चाहिए। आइए इस लेख में पड़ें ऐसा क्यों जरूरी है।
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हड्डियां मजबूत बनती हैं
हाल ही में आई स्टडी में इस बात की पुष्टि की गई है कि जो बच्चे कम उम्र में चलना सीख लेते हैं उनकी हड्डियां देर से चलने वाले बच्चों की तुलना में ज्यादा मजबूत होती हैं। 3 साल पूरा होने से पहले अगर बच्चे चलना, कूदना और दौड़ना सीख लेते हैं उनकी हड्डियां बड़ा होते-होते अधिक मजबूत बनते जाती हैं।
इसके पीछे हड्डियों पर पड़ने वाला दबाव है। छोटी उम्र में चलने और दौड़ने से बच्चों की हड्डियों में दबाव पड़ता है जो हडिडयों को मजबूत बनाता है। जब हड्डियों पर दबाव डाला जाता है तो हड्डियां अधिक चौड़ी और मजबूत बन जाती हैं। लेकिन हड्डियों पर पड़ने वाला दबाव हड्डियों के अनुकूल होना चाहिए। नहीं तो इससे हड्डियों को क्षति पहुंच सकती है।
शोध की निष्कर्ष के अनुसार जो बच्चे 18 महीने की उम्र में ही चलना, दौड़ना और उछलना शुरू कर देते हैं, उनके बड़े होने पर उनकी हड्डियां ज्यादा मजबूत होती हैं। शोध में कहा गया है कि इन सारी एक्टिविटी से बच्चों की हड्डियों पर असर पड़ता है, जिससे वे देरी से चलने वाले बच्चों की तुलना में ज्यादा लंबे, चौड़े और मजबूत होते हैं।
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नहीं होता ऑस्टिपोरोसिस
इस शोध से इस बात को बल मिलता है कि ऐसे बच्चों के बड़े होने पर उन्हें ऑस्टिपोरोसिस या हड्डियों में फ्रैक्चर नहीं होने की संभावना नहीं होती है।
ऑस्टिपोरोसिस के लक्षण
- कमजोर शरीर
- छोटा कद
- हड्डियों में दर्द
- चलने और दौड़ने में परेशानी
- कमजोर हड्डियां
इस शोध की रिपोर्ट को ‘जर्नल ऑफ बोन एंड मिनरल रिसर्च’ में प्रकाशित किया गया है। ब्रिटेन के मैनचेस्टर मेट्रोपॉलिटन विश्वविद्यालय के प्रमुख शोधार्थी एलेक्स आयरलैंड ने बताया, “इस निष्कर्ष से हमें उस कड़ी के बारे में पता चला है जिसकी जानकारी पहले नहीं थी कि बचपन में हमारे विकास का किस प्रकार बाद में भी असर पड़ता है।” वे आगे कहते हैं, “ज्यादा सक्रिय होने से आपकी मांसपेशियां मजबूत होती हैं, जिससे चलने, दौड़ने, कूदने आदि के दौरान हमारी हड्डियों पर ज्यादा दबाव पड़ता है और जैसे-जैसे हमारी उम्र बढ़ती है, हड्डियों की मजबूती भी बढ़ती है।”
बच्चे के पैदा होने के बाद समय-समय पर उसकी जांच कराते रहें।
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