
दूध के बाद अंडा अपने आप में एक संपूर्ण आहार है, इससे बच्चों को जरूरी पोषण मिलता है, लेकिन कितने साल के बाद के बच्चों को अंडे खिलाने चाहिए, इसके बारे में जानने के लिए इस लेख को पढ़ें।
बच्चे को अंडा कब खिलाना शुरू करना चाहिए? ये बहुत ही पेचिदा विषय होता है जिससे कई अभिभावक दुविधा में आ जाते हैं। ऐसा तब होता है जब अभिभावक बच्चों को खाना खिलाना शुरू करते हैं तो वे कंफ्यूज रहते हैं कि बच्चे को अंडा खिलाएं कि नहीं। दरअसल अंडा गर्म करता है लेकिन ये प्रोटीन और कैल्शियम का सबसे बड़ा स्रोत है। ऐसे में अभिभावक कंफ्यूज रहते हैं।
जब अभिभावक बच्चों को अनाज खिलाना शुरू करते हैं तो वो बच्चों को अंडे, बादाम-पिस्ता, काजू-किशमिश आदि खिलाने से पहले हिचकिचाते हैं। कई मामलों में बच्चों को ये सब ना खिलाने की हिदायत भी दी जाती है। जैसे कि परिवार में किसी को एलर्जी की समस्या रही हो या फिर किसी पड़ोस के बच्चे को अंडे से समस्या हो गई हो आदि। इन सब डर के कारण बच्चे को अंडा खिलाने से अभिभावक डरते हैं और उनके लिए ये चिंता का विषय बना रहता है कि बच्चे को अंडा खिलाना कब शुरू करें।
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अंडे में पोषक-तत्व
- अंडा पोषक-तत्वों का सबसे बड़ा स्रोत है।
- एक अंडे में छह ग्राम प्रोटीन होता है।
- साथ ही इसमें फैटी एसिड, आयरन, जिंक, कैल्शियम, फॉलिक एसिड, विटामिन B12 और विटामिन ई होता है।
- दरअसल अंडा, दूध के सभी तरह के पोषक-तत्वों का सबसे बड़ा स्रोत है।
इसलिए भी अंडा जरूरी
इन सारे पोषक-तत्वों के अलावा अंडा पचाने में आसान होता है इस कारण भी बहुत अधिक पसंद किया जाता है। अंड के इन सब फायदों के कारण हर अभिभावक अपने बच्चे को अंडा खिलाना चाहते हैं।
बच्चे को अंडा कब खिलाएं?
कनाडा की हेल्थ गाइडलाइन के अनुसार बच्चे के छह महीने हो जाने के बाद आप उन्हें वैसा खाना खिलाना शुरू कर सकते हैं जिसमें काफी मात्रा में आयरन और प्रोटीन होता है जैसे कि अंडा। ये ऐसी उम्र होती है जब आप धीरे-धीरे बच्चे को मीट खिलाना भी शुरू कर सकते हैं। खाने में आयरन का होना जरूरी है इससे बच्चे का विकास होता है।
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इस कारण अभिभावक होते हैं परेशान
लेकिन इतने सारे पोषक-तत्वों के अलावा अंडे का सफेद वाला भाग कई बार एलर्जी का कारण बन जाता है जिसके कारण अभिभावक अपने बच्चों को ये खिलाने से पहले डरते हैं।
इसी कारण अभिभावक बच्चे को एक साल की उम्र होने के बावजूद अंडा नहीं खिलाते।
नोट- अगर आपको भी इसी तरह का डर है तो हमारी सलाह है कि बच्चे को अंडा ना खिलाने की जगह अपने डॉक्टर से संपर्क करें और फिर उसके बाद बच्चे को खिलाने और ना खिलाने का निश्चय करें।
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