मीठी चीनी सेहत के लिए नुकसानदायक समझी जाती है, जबकि मीठे फल सेहत के लिए फायदेमंद समझे जाते हैं। दोनों में ही शुगर होता है। फिर ऐसा क्या है, जो एक के सेवन से शरीर को लाभ मिलते हैं और एक के सेवन से शरीर में बीमारियां पनपती हैं? ये एक ऐसा सवाल है, जो कभी न कभी आपके मन में आया होगा। अगर नहीं भी आया है, तो आपको जानना चाहिए कि फलों का शुगर, चीनी के शुगर से कितना अलग है और आपको इन्हें खाने से क्या फायदे-नुकसान होते हैं।
कोलंबिया एशिया हॉस्पिटल, गाज़ियाबाद की डायटीशियन डॉ अदिति शर्मा का कहना है कि,"यह सच है कि साबुत फलों में शुगर होता है, लेकिन यह प्राकृतिक शुगर होता है। जिस शुगर को हमें कम खाने की जरुरत होती है वह दरअसल रिफाइंड शुगर है, जो सोडा और कई हाई प्रोसेस्ड खाद्य पदार्थों में पाया जाता है। जब आप एक सेब, एक नाशपाती, एक आड़ू या जामुन जैसा कुछ भी खाते हैं तो उनमे मौजूद उनकी चीनी एक फाइबर युक्त, पानी युक्त, पोषक तत्वों से भरपूर पैकेज में होती है। यह फाइबर फलों के प्राकृतिक चीनी को आपके ब्लड में धीरे-धीरे घोलता है, खासकर अगर आप अपने फल को भोजन के हिस्से के रूप में या स्नैक के रूप में साबुत खाते हैं, तो शुगर अचानक नहीं बढ़ता है। हां फलों का जूस आपके शरीर में शुगर को अचानक बढ़ा सकता है, लेकिन फिर भी ये चीनी से ज्यादा हेल्दी ही समझा जाता है। फल कैंसर को रोकने और हार्ट के स्वास्थ्य को बनाये रखने में ये मदद करते हैं। जामुन और चेरी विशेष रूप से फाइटोकेमिकल्स के अच्छे स्रोत माने जाते हैं, लेकिन सेब, संतरे और अन्य फलों में भी फाइटोकेमिकल्स होते हैं।"
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जानिए दोनों तरह की शुगर में क्या अंतर है?
यदि हम कोई फल खाते हैं तो उसमे प्राकृतिक शुगर ही उपलब्ध होती है। इसे फ्रूट शुगर कहते हैं जोकि प्राकृतिक होती है और यह हमारे शरीर के लिए इतनी हानिकारक नहीं होती। दूसरी ओर जो शुगर हम चॉकलेट व अन्य मीठी चीजों में खाते हैं वह रिफाइंड शुगर होती है। शुगर के बहुत से प्रकार होते हैं जैसे व्हाइट शुगर, ब्राउन शुगर, कोकोनट शुगर, केन शुगर आदि। यह शुगर भी पौधों के द्वारा ही निकाली जाती है परन्तु इसकी मिठास और रूप बढ़ाने के लिए इसमें कई केमिकल्स डाले जाते हैं और रिफाइन किया जाता है। इसके अलावा इन्हे लंबे समय तक कायम रखने के लिए कई प्रकार की कृत्रिम शुगर उनमें मिलाए जाते हैं, जो आमतौर पर हमारी सेहत के लिए हानिकारक होते हैं। यदि हम किसी चॉकलेट को आज से कुछ महीने बाद भी खाएंगे तो उसका स्वाद वैसा ही होगा जैसा आज है। परन्तु यदि हम किसी फल को आज छोड़ कर कुछ दिनों बाद भी खाते हैं तो उसका स्वाद बदल जाता है।
हमारा शरीर शुगर को कैसे मेटाबॉलाइज करता है?
फलों में फ्रक्टोज व ग्लूकोज नाम के तत्त्व होते हैं। इनमें फ्रक्टोज की मात्रा लगभग 60% होती है, जबकि टैबलेट शुगर में 60 % से कम फ्रक्टोज और ग्लूकोज होता है। हमारा शरीर इन दोनों ही तत्त्वों को अलग अलग रूप से मेटाबॉलाइज करता है। फ्रक्टोज हमारे लिवर द्वारा मेटाबॉलाइज किया जाता है। इसका लाभ यह होता है कि यह शरीर में इंसुलिन या ग्लूकोज लेवल को नहीं बढ़ाता है। परन्तु केवल तब तक जब तक इसे एक थोड़ी मात्रा में प्रयोग किया जाए। यदि इसकी मात्रा अधिक हो जाती है तो हृदय रोग, मोटापा व कैंसर जैसी बीमारियां होने का खतरा बन जाता है। इस का नुकसान यह होता है कि यह तत्त्व हमारे शरीर में फैट बढ़ाता है। दूसरी ओर ग्लूकोज हमारे पेट मे ब्रेक होता है और उसे मेटाबॉलाइज होने के लिए इंसुलिन की आवश्यकता होती है।
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क्या हमारा शरीर दोनो प्रकार की शुगर को एक समान ही ट्रीट करता है?
हालांकि हमारा शरीर दोनों प्रकार के शुगर को एक ही प्रक्रिया द्वारा ब्रेक डाउन करता है। परन्तु फ्रूट शुगर की प्रक्रिया दूसरी शुगर के मुकाबले थोड़ी धीमी होती है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि फलों में फाइबर होता है और फाइबर शुगर के पाचन को धीमा करता है। परन्तु रिफाइंड शुगर वाले खाद्य पदार्थों में किसी प्रकार का फाइबर नहीं होता है इसलिए यह चीजें काफी जल्दी ब्रेक डाउन हो जाती हैं। अतः इस प्रकार की चीजों से खून में शुगर भी बहुत तेजी से बढ़ता है और हमें किसी प्रकार का पोषण नहीं मिलता है।
क्या फ्रूट शुगर हेल्दी है?
बाकी प्रकार की शुगर की तरह ही बहुत ज्यादा फ्रूट शुगर आप की सेहत के लिए हानिकारक होती है। हालांकि यह बाकी प्रकार की शुगर के मुकाबले थोड़ी ज्यादा हेल्दी होती है। फलों में हमारे शरीर के लिए आवश्यक पोषण भी होता है परन्तु रिफाइंड शुगर वाली चीजों में किसी प्रकार का पोषण नहीं होता है। फल न खाने का मतलब होता है कि आप कुछ प्रमुख पोषक तत्वों से मरहूम रह सकते है। कई फल न केवल विटामिन और मिनिरल्स से भरपूर होते हैं, बल्कि फाइटोकेमिकल्स (नेचुरल प्लांट बेस्ड कंपाउंड) भी अच्छी मात्रा में होते हैं, जो विभिन्न प्रकार के स्वास्थ्य लाभ देते हैं।
कोलंबिया एशिया हॉस्पिटल, गाज़ियाबाद की डायटीशियन डॉ अदिति शर्मा से बातचीत पर आधारित।
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