जानें फ्लू सीजन से पहले क्यों जरूरी है फ्लू वैक्सीन? बच्चों को होता है ज्यादा खतरा

आमतौर पर नवंबर और अप्रैल के महीने में फ्लू के वायरस ज्यादा एक्टिव होते हैं। कई बार ये वायरस बेहद खतरनाक हो सकते हैं। वैक्सीन लगाने के 4 सप्ताह बाद शरीर का इम्यून सिस्टम फ्लू के प्रति रक्षात्मक हो पाता है
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जानें फ्लू सीजन से पहले क्यों जरूरी है फ्लू वैक्सीन? बच्चों को होता है ज्यादा खतरा


फ्लू का सीजन आमतौर पर अक्टूबर और नवंबर में शुरू होता है। इसका मतलब है कि फ्लू से बचाव के लिए आपको पहले से ही तैयारियां शुरू कर देनी चाहिए। फ्लू का खतरा सबसे ज्यादा बच्चों को होता है। फ्लू से बचाव के लिए वैक्सीन लगवाना जरूरी है। आइए आपको बताते हैं की क्या हैं सीजनल फ्लू के लक्षण, किन्हें होता है ज्यादा खतरा और कैसे कर सकते हैं इससे बचाव।

किन्हें होता है फ्लू का ज्यादा खतरा

फ्लू का सबसे ज्यादा खतरा छोटे बच्चों और बुजुर्गों में होता है। बच्चों में फ्लू से बचाव के लिए उनका वैक्सिनेसन यानी टीकाकरण बहुत जरूरी है। ये वैक्सीन बच्चों को सितंबर के अंत में या अक्टूबर की शुरुआत में लगवाने चाहिए। दरअसल वैक्सीन लगाने के 4 सप्ताह बाद शरीर का इम्यून सिस्टम फ्लू के प्रति रक्षात्मक हो पाता है। इसलिए फ्लू का सीजन शुरू होने से कम से कम एक महीने पहले ही बच्चों को फ्लू का इंजेक्शन लगवा देना चाहिए, ताकि इसका खतरा उन्हें न रहे।

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किन्हें और कब लगवाना चाहिए फ्लू का इंजेक्शन

आमतौर पर लोग समझते हैं कि फ्लू का इंजेक्शन सिर्फ बच्चों के लिए जरूरी है लेकिन ऐसा नहीं है। अमेरिकन एकेडमी ऑफ पीडियाट्रिक्स के मुताबिक 6 माह से बड़े हर बच्चे और वयस्क को एक साल में एक बार फ्लू का इंजेक्शन जरूर लगवाना चाहिए। दरअसल एंफ्लुएंजा वायरस खुद को लगातार बदलते रहते हैं प्रतिरोधक क्षमता पैदा कर लेते हैं इसलिए आपको हर साल वैक्सीन लगाने की जरूरत पड़ती है।

क्या हैं फ्लू के लक्षण

आमतौर पर जुकाम और बुखार को लोग सीजन बदलने की वजह से आम परेशानी समझ लेते हैं लेकिन कई बार ये फ्लू के वायरस के कारण हो सकता है, जिसमें सामान्य दवाएं आपके शरीर में वायरस को बढ़ा सकती हैं। बुखार, कंपकपी, नाक बहना, सिरदर्द, मांसपेशियों में पीड़ा और शारीरिक दर्द, सूखी खांसी और उल्टी, असामान्य थकावट, भूख में कमी, पेट या छाती पर दबाव महसूस करना।

खतरनाक भी हो सकता है फ्लू

आमतौर पर नवंबर और अप्रैल के महीने में फ्लू के वायरस ज्यादा एक्टिव होते हैं। कई बार ये वायरस बेहद खतरनाक हो सकते हैं। फ्लू के कारण हर साल दुनियाभर में करोड़ों लोग मरते हैं। चूंकि फ्लू का वायरस संक्रामक होता है इसलिए किसी एक व्यक्ति को होने पर ये दूसरे लोगों में भी तेजी से फैलता है।

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सावधानी भी है जरूरी

कुछ मां-बाप सोचते हैं कि फ्लू वैक्सीन लगाने के बाद बच्चों को किसी प्रकार के वायरस का खतरा नहीं होता है मगर ऐसा नहीं है। इन मौसमों में फ्लू के अलावा भी लगभग 200 तरह के वायरस एक्टिवेट हो जाते हैं, जिनसे बच्चों और बड़ों को खतरा होता है। इसलिए वैक्सीन लगवाने के बाद भी आपको साफ-सफाई और अन्य जरूरी सावधानियां रखनी चाहिए।

खानपान पर दें ध्यान

सही खानपान से रोग-प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है। हमारे इम्यून-सिस्टम का 30-40 प्रतिशत हिस्सा खानपान और पाचन पर ही निर्भर करता है। दही जैसे प्रोबायोटिक्स की दैनिक खुराक शुगर, मीट, दवाओं और तले-भुने भोजन की वजह से शरीर में होने वाले कुदरती असंतुलन को ठीक करती है। दिन में पांच फल या सब्जी खाने का नियम बनाइये। अपनी खाने की थाली को रंगबिरंगी बनाएं, जितने ज्यादा रंग, उतना ही पौष्टिक खाना।

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