ऐसे बहुत कम लोग होंगे जिन्हें मीठा खाना पसंद नहीं होगा। इनमें से कुछ लोग डायबिटीज या शुगर के डर से कम मीठा खाते होंगे। लेकिन अगर हम आपसे कहें कि आप व्हाइट शुगर की जगह कोकोनट शुगर खाएं तो आप हैरान रह जाएंगे। जी हां आज हम आपको बताने जा रहे हैं कोकोनट शुगर के फायदे। वैसे तो बाजार में शुगर के बहुत सारे विकल्प मौजूद हैं जैसे कि गुड़, ब्राउन शुगर, शहद यहां तक कि शुगर फ्री आदि। लेकिन अगर आपको हेल्दी विकल्प ढूंढ रहे हैं और आप बार-बार शुगर ट्रेडिंग से भी परेशान हैं तो आप कोकोनट शुगर का सेवन कर सकते हैं। असल में इस हेल्दी विकल्प का एक कारण यह भी है कि हम शुगर द्वारा होने वाले नुकसानों को भी नकार नहीं सकते। पर चिंता करने जैसी कोई बात नहीं।
एक्सपर्ट के अनुसार
कोलंबिया एशिया हॉस्पिटल में सीनियर डाइटिशियन डॉक्टर शालिनी गार्विन ब्लिस बताती हैं कि कोकोनट शुगर का ग्लाइसेमिक इंडेक्स भी कम होता है और यह अचानक से ब्लड शुगर लेवल भी नहीं बढ़ाती। साथ ही इसमें लगभग 350-400 कैलोरीज़, कोई प्रोटीन नहीं, कोई टोटल फैट भी मौजूद नहीं होता। इसमें कार्बोहाइड्रेट की मात्रा लगभग 100 ग्राम व शुगर की मात्रा 80 ग्राम के आसपास होती है। इसमें फैटी एसिड, कोलेस्ट्रॉल और फाइबर नहीं होते।
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क्या है कोकोनट शुगर और यह कैसे बनती है?
यह शुगर नारियल के पेड़ के रस से बनाई जाती है। इसमें नारियल के कुछ पोषक तत्व भी शामिल होते हैं। यह काफी सारी अलग-अलग डिश में चीनी के रूप में प्रयोग की जाती है। यह अनरिफाइन्ड होती है, इसका ग्लाइसेमिक इंडेक्स भी कम होता है और इसमें किसी तरह के सिंथेटिक मैटेरियल भी नहीं होते।
इसे बनाने की प्रक्रिया भी काफी आसान होती है। सबसे पहले नारियल का रस निकाल लिया जाता है, उसे पानी के साथ मिलाया जाता है और तब तक उबाला जाता है जब तक एक सिरप जैसी कंसिस्टेंसी में न आ जाए। इसके बाद यह सुखाया जाता है और इसके दाने बनते हैं।
कोकोनट शुगर से मिलने वाले स्वास्थ्य लाभ
काफी कम रिफाइंड की जाती है : यह चीनी आमतौर पर अनरिफाइंड ही होती है। अगर चीनी को कम रिफाइंड किया जाता है तो उनमें पौष्टिक तत्वों की मात्रा ठहर सकती हैं। इससे चीनी द्वारा होने वाले नुकसानों से भी बचा जा सकता है।
ग्लूकोज लेवल मैनेज करने में सहायक : बहुत सारे डायबिटीज के मरीज भी नॉर्मल शुगर की बजाए कोकोनट शुगर का सेवन करना पसंद करते हैं क्योंकि इसके प्रयोग से एकदम से ग्लूकोज लेवल में वृद्धि नहीं होती है। इस शुगर में कार्ब्स की मात्रा भी कम होती है और यह इंसुलिन लेवल को भी नहीं बढ़ने देती।
पाचन तंत्र की सेहत को बढ़ाती है : कोकोनट शुगर में इनुलिन (एक तरह का स्टार्च) होता है जो पेट में अच्छे बैक्टीरिया की संख्या बढ़ता है। अगर आंतों से जुड़ी कोई समस्या से जूझ रहे हैं तो भी यह शुगर आपको उन समस्याओं से निजात दिलाने में सहायक होती है। इसे खाने से आपकी मीठा खाने की क्रेविंग भी शांत हो जायेगी।
एंटी ऑक्सीडेंट्स से होती है भरपूर : कोकोनट शुगर में विटामिन सी जैसे काफी सारे एंटी ऑक्सीडेंट्स होते हैं। यह फ्री रेडिकल्स से होने वाले नुकसानों से आपको बचा सकते हैं। यह एंटी ऑक्सीडेंट्स इंफेक्शन से भी आपको बचाते हैं। साथ ही एलर्जिक रिएक्शन होने की संख्या को कम करने में भी सहायक होते हैं।
कोकोनट शुगर के रिस्क
- इस शुगर में भी कैलोरीज़ की मात्रा सामान्य चीनी जितनी ही होती है जोकि बहुत अधिक है।
- यह चीनी वजन कम करने वालों को कोई लाभ नहीं देती है।
- हो सकता है बहुत से लोगों को नारियल से एलर्जी हो, वह इसका सेवन नहीं कर पाएंगे।
- यह चीनी फ्रुक्टोज से भरपूर होती है। जो इंसुलिन रेजिस्टेंस को बढ़ावा देते हैं। जिससे मोटापा बढ़ सकता है।
हालांकि यह चीनी सामान्य चीनी का एक हेल्दी विकल्प है। लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि यह आपको नुकसान नहीं पहुंचा सकती । इसलिए आपको सीमित मात्रा में ही चीनी का सेवन करना चाहिए फिर चाहे वह कितनी ही हेल्दी क्यों न हो।
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