
एक्शन फिल्में के शौकीन पूरी दुनिया में हैं। लेकिन क्या आर जानते हैं कि एक्शन फिल्मों के सेहत पर कुछ बुरे प्रभाव भी पड़ सकते हैं! जी हां काफी पहले से ही फिल्मों के मानसिक स्वास्थ्य पर प्रभाव को लेकर विशेषज्ञों और जानकारों की अलग-अलग तरह की टिप्पणियां आती रही हैं, लेकिन यदि एक ब्रिटिश शोध के परिणामों पर गौर किया जाए तो पता चलता है कि एक्शन फिल्में देखना दिल की सेहत पर भी कुछ दुष्प्रभाव डाल सकता है। इसके अलावा विशेषज्ञों का मानना हे कि एक्शन फिल्में देखते समय लोग ज्यादा खा जाते हैं। तो चलिये विस्तार से जानते हैं कि वाकई एक्शन फिल्में देखने का सेहत पर (विशेषतौर पर दिल पर) क्या प्रभाव होते हैं।
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दिल पर पड़ता है दुष्प्रभाव
एक ब्रिटिश मेडिकल जर्नल ने अपने एक शोध में पाया कि हृदय संबंधी समस्याओं से पीड़ित लोग जब एक्शन फिल्में देखते हैं तो उनके हृदय पर तनाव काफी बढ़ जाता है। शोधकर्ताओं का कहना है दिल की समस्याओं से पीड़ित लोगों को एक्शन फिल्मों को देखने ब्लड प्रेशर बढ़ जाता है, सांस लेने की गति तेज हो जाती है और दिल की प्राकृतिक लय बदल जाती है। अध्ययन के निष्कर्षों के बावजूद, सिनेमा के कारण हुई मौतें अपेक्षाकृत दुर्लभ ही हैं। लेकिन ऐसा होता ही नहीं है, ऐसा भी नहीं है।
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यूनिवर्सिटी कॉलेज ऑफ़ लंदन तथा सेंट थॉमस अस्पताल के शोधकर्ताओं द्वारा किए एक शोध से पता चला कि कमजोर दिल वाले लोगों के दिल पर तनावपूर्ण फिल्में देखने से नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है। शोधकर्ताओं ने जाना कि वर्ष 2000 में आई एक्शन थ्रिलर फिल्म वर्टिकल लिमिट देखकर हृदय समस्याओं से ग्रसित लोगों के रक्त दबाव में बढ़ोत्तरी हुई। शोधकर्ताओं के अनुसार दिल की समस्याओं से पीड़ित लोगों जब एक्शन फिल्म देखते हैं तो उनका ब्लड प्रेशर बढ़ जाता है, सांस लेने की गति तेज हो जाती है और दिल की प्राकृतिक लय भी बदल जाती है।
गौरतलब है, कि साल 2010 में हाई बल्ड प्रेशर से पीड़ित एक 42 वर्षीय ताइवानी युवक को हॉलीवुड फिल्म 'अवतार' 3डी में देखते वक्त स्ट्रोक हुआ और फिर इस कारण कारण मृत्यु हो गई थी। उसके डॉक्टर के अनुसार वह व्यक्ति फिल्म देखकर ऑवरएक्साइटिड हो गया था। इसी साल आंध्र प्रदेश के विशाखापत्तनम के एक हॉस्टल में का एक भारतीय छात्र का कथित रूप से चार हॉरर फिल्में लगातार देखने से निधन हो गया था।
मोटे होने की संभावना बढ़ जाती है: शोध
एक नए शोध में बताया गया कि एक्शन फिल्में देखने से मोटे होने की संभावना काफी बढ़ जाती है। कॉर्नेल यूनिवर्सिटी के एक शोध में पता चला कि कुछ टीवी प्रोग्राम अन्य प्रोग्राम की तुलना में लोगों में बार-बार खाने की प्रवृत्ति जगा सकते हैं। शोध के प्रमुख लेखक आनेर ताल के अनुसार ऐक्शन फिल्में देखने से लोगों में बार-बार खाने की प्रवृत्ति पैदा होती है।
शोध के दौरान कॉलेज में पढ़ने वाले 94 छात्रों को 20 मिनट के टेलिविजन कार्यक्रम देखने समय नाश्ते में एमएंडएम के रंगीन बटन के आकार वाले कैंडीज, बिस्कुट, गाजर व अंगूर आदि दिये गए। इनमें से एक तिहाई प्रतिभागियों ने साल 2005 की साइंस फिक्शन पर आधारित अमेरिकी एक्शन फिल्म ‘द आईलैंड’ के कुछ अंश देखे।
वहीं एक तिहाई प्रतिभागियों ने टॉक शो ‘चार्ली रोज शो’ देखा और एक तिहाई ने ‘द आईलैंड’ फिल्म के ही उसी हिस्से को बिना साउंड के देखा। कॉरनेल फूड एंड ब्रैंड लैब के निदेशक व इस शोध के सहलेखक प्रोफेसर ब्रायन वानसिंक ने बताया कि जिन लोगों ने ‘द आईलैंड’ देखा उन्होंने टॉक शो देखने वालों से 98 प्रतिशत ज्यादा खाया। वानसिक के अनुसार जिन लोगों ने आवाज के बगैर ‘द आईलैंड’ देखी उन्होंने भी 36 प्रतिशत अधिक खाया। यह शोध अमेरिकन मेडिकल एसोसिएशन इंटर्नल मेडिसिन पत्रिका में प्रकाशित हुआ था।
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