रूमेटाइड अर्थराइटिस गठिया का ही एक प्रकार है, जो हड्डियों के जोड़ों से संबंधित बीमारी है। इस बीमारी के होने की निश्चित वजह के बारे में अभी तक नहीं पता चल पाया है, इसलिए मेडिकल साइंस की भाषा में इसे आटो-इम्यून डिजीज यानी स्व-प्रतिरक्षित बीमारी कहा जाता है।
सामान्यतया जोड़ों के दर्द यानी अर्थराइटिस में एक बीमारी न होकर कई तरह की परेशानियां शामिल होती हैं। इसके कारण सूजन आना और हाथ-पैर के जोड़ों में तेजदर्द की शिकायत सबसे अधिक दिखती है। आमतौर पर अर्थराइटिस बढ़ती उम्र से संबंधित बीमारी है, लेकिन वर्तमान में अनियमित दिनचर्या और खानपान में पौष्टिक तत्वों की कमी के कारण यह युवाओं में भी दिख रही है।
किस उम्र होती है
रूमेटॉयड अर्थराइटिस सामान्यतया मझौली उम्र के लोगों को अपना शिकार बनाती है। रूमेटॉयड अर्थराइटिस आमतौर पर 30-45 साल के लोगों को होता है। यही नहीं, यह बीमारी पुरुषों के मुकाबले चार गुणा ज्यादा महिलाएं इसकी गिरफ्त में आती हैं। यानी यह समस्या पुरुषों की तुलना में महिलाओं में अधिक देखी जाती है। ठंड के मौसम में इस बीमारी के कारण होने वाला दर्द असहनीय हो जाता है।
कैसे होता है रूमेटाइड अर्थराइटिस
हमारा इम्यून सिस्टम प्रोटीन, बायोकेमिकल्स और कोशिकाओं से मिलकर बनता है। यह शरीर को बाहरी चोटों और और बैक्टीरिया तथा वायरस से शरीर को सुरक्षा प्रदान करता है। लेकिन कभी-कभी इस सिस्टम से भी गलती हो जाती है और यह शरीर में मौजूद प्रोटीन्स को ही नष्ट करना शुरू करता है, जिसका परिणाम रूमेटॉयड अर्थराइटिस जैसी ऑटो-इम्यून बीमारियों के रूप में दिखता है। इसका असर जोड़ों पर सबसे ज्यादा होता है, लेकिन एक सीमा के बाद यह शरीर के अन्य अंगों खासकर स्नायुतंत्र और फेफड़ों पर भी असर डालने लगता है।
रूमेटाइड अर्थराइटिस का निदान
आमतौर पर यह समस्या 30 से 45 उम्र वर्ग के लोगों को होती है। यदि सही समय पर इसका निदान हो जाये तो इसका उपचार आसानी से हो सकता है। इसका पता लगाने के लिए रूमेटोलॉजिस्ट की सलाह से कुछ टेस्ट कराने पड़ते हैं। जब भी आपको जोड़ों में अकड़न, दर्द या सूजन की समस्या हो तो इसे बिलकुल भी नजरअंदाज न करें। समय रहते इसका उपचार नहीं हो पाने शरीर बेडौल हो जाता है।
बहुत दर्दनाक है समस्या
रूमेटाइड अर्थराइटिस का उपचार कराना इसलिए भी जरूरी है क्योंकि यह बहुत ही दर्दनाक बीमारी है। इसके इलाज के अभाव में मरीज की उम्र 6-8 कम हो सकती है। इसके कारण परिवार के अन्य सदस्य भी परेशान हो सकते हैं। इसके कारण शरीर के कुछ अंग खराब हो जाते हैं और शरीर बेडौल हो जाता है, जिसकी वजह से मरीज दूसरों पर निर्भर हो जाता है।
रूमेटाइड अर्थराइटिस के लक्षण
शुरुआत में मरीज को बार-बार बुखार आता है, मांसपेशियों में दर्द, थकान और शरीर के कमजोर होने की समस्या होती है, भूख कम लगती है वजन कम होने लगता है। धीरे-धीरे व्यक्ति को बिस्तर से उठने का मन नहीं करता, हाथ-पैर इस कदर अकड़ जाते हैं कि सामान्य होने में 15-20 मिनट लगते हैं। दिन भर न थकान होती है, न दर्द और न सूजन। इसका मतलब है आपको अर्थराइटिस नहीं, रूमेटाइड अर्थराइटिस हो गया है।
इसके आखिरी चरण में जोड़ों में इतना दर्द होता है कि उन्हें हिलाने पर ही चीख निकलती है, शरीर गर्म हो जाता है, लाल चकत्ते पड़ जाते हैं और जलन की शिकायत भी होती है। जोड़ों में जहां दर्द होता है, वहां सूजन भी होती है। जोड़ों के आसपास सख्त गोलाकार गांठें जैसी उभर आती हैं, जो हाथ पैर हिलाने पर चटकती हैं। शरीर के किसी भी अंग को हिलाने पर दर्द, जलन और सूजन की समस्या होती है।
इसलिए हड्डियों संबंधित कोई समस्या हो तो तुरंत हड्डी रोग विशेषज्ञ से संपर्क कीजिए। इसके मरीजों को दवाओं को साथ-साथ फिजियोथैरेपी और व्यायाम की भी जरूरत पड़ती है।
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