अर्थराइटिस लगातार बढ़ते रहने वाला अपक्षयी यानी डिजनरेटिव विकार है। यदि यह कम उम्र में हमला कर दे, तो यह काफी दर्दनाक हो सकता है। इस बीमारी का एक बार निदान करने के बाद भी इसे समाप्त नहीं किया जा सकता। हड्डियों के जोड़ों को प्रभावित करने वाली यह बीमारी आमतौर पर 65 वर्ष की आयु के बाद सक्रिय होती है। हालांकि, अब कम उम्र के लोग भी लगातार इस बीमारी के शिकार बन रहे हैं। गलत जीवनशैली, मोटापा, पोषक तत्त्वों की कमी वाले आहार का सेवन, कुछ सामान्य कारण है, जिनके चलते अधिक उम्र में होने वाली यह बीमारी अब युवावस्था में भी होने लगी है।
अर्थराइटिस केयर एण्ड रिसर्च के जर्नल के मुताबिक, मोटापे और अर्थराइटिस के बीच गहरा संबंध होता है। शोध में साबित हुआ है कि अधिक वजन वाले और मोटे लोगों को अर्थराइटिस होने का खतरा अधिक होता है। जिन लोगों का बॉडी मास इंडेक्स यानी बीएमआई ज्यादा होता है, उन्हें यह बीमारी होने का खतरा बीएमआई कम होने वाले लोगों की अपेक्षा 66 फीसदी अधिक होता है। भारतीयों में सबसे ज्यादा घुटने और कूल्हों के जोड़ों में परेशानी देखी जाती है-
खतरे को पहचानें
अगर आपको अपने जोड़ों में ये संकेत दो हफ्ते या उससे ज्यादा समय से नजर आ रहे हों, तो आपको अपने डॉक्टर को दिखाना चाहिये-
- दर्द
- अकड़न
- कई बार सूजन
- जोड़ों को हिलाने में परेशानी
जल्द ईलाज करवाने से होगा फायदा
समय पर निदान या इलाज करवाने से जोड़ों को होने वाले नुकसान को कम किया जा सकता है। यदि आप इस बीमारी की शुरुआत में ही इलाज करवा लें, तो आपके जोड़ों को कम से कम क्षति पहुंचेगी। जितना अधिक समय बीतता जाएगा, नुकसान भी उतना ही अधिक होता जाएगा। तो, जैसे ही आपको लक्षण नजर आयें, बिना देर किये डॉक्टर से संपर्क करें और इलाज की प्रक्रिया शुरू करें।
वजन रखें काबू
वजन संतुलित रखकर आप अर्थराइटिस का खतरा कम कर सकते हैं। यदि आपका ऑस्टियोअर्थराइटिस संतुलित है तो आपके घुटने के जोड़ सलामत रहेंगे। और शायद कूल्हे और हाथों में अर्थराइटिस का खतरा कम हो जाएगा।
जोड़ों की रक्षा करें
दुर्घटना, चोट या जोड़ों के अधिक इस्तेमाल से ऑस्टियोअर्थराइटिस का खतरा बढ़ जाता है। जोड़ों के आसपास की मांसपेशियों को मजबूत रख आप अपने जोड़ों को सुरक्षित रख सकते हैं। इससे अर्थराइटिस का खतरा भी कम होता है।
व्यायाम
नियमित शारीरिक व्यायाम आपकी हड्डियों को मजबूत बनाता है। इसके साथ ही व्यायाम से मांसपेशियां और जोड़ भी मजबूत बनते हैं। व्यायाम करने से जोड़ों को पर्याप्त पोषण भी मिलता है। व्यायाम दर्द और जकड़न को कम कर लचीलापन बढ़ाने में भी मदद करता है। यह मांसपेशियों में शक्ति बढ़ाता है और साथ ही आपका संतुलन भी बढ़ाता है। यह विकृतियों को दूर करने में मदद करता है और पॉश्चर में सुधार करता है। व्यायाम से हड्डियों का घनत्व बढ़ता है, जिससे उनके टूटने का खतरा भी कम हो जाता है।
यदि आप इन बातों का खयाल रखं तो अर्थराइटिस के खतरे से बचे रह सकते हैं। आपको चाहिये कि अपनी जीवनशैली में जरूरी बदलाव करें। इसके अलावा डॉक्टर की सलाह के विपरीत कोई काम न करें। आपको व्यायाम को भी अपनी जिंदगी का अहम हिस्सा बनाना चाहिये।
Image Courtesy- getty images
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