अर्थराइटिस (गठिया) के रोगियों के लिए एक्सरसाइज़ करना काफी लाभदायक होता है। एक्सरसाइज करने से अर्थराइटिस रोगियों में लचीलापन बढ़ता है और जोड़ों में दर्द भी कम होता है। एक्सरसाइज करने और एक्टिव रहने से थकान से लड़ने की उनकी क्षमता में भी इज़ाफा होता है। बेशक, जब जोड़ों में बेइंतहा दर्द हो, तो सैर और तैराकी जैसे व्यायामों को नहीं किया जा सकता लेकिन इन्हें नियमित तौर पर करने से अर्थराइटिस के दर्द से ही बचा जा सकता है। अर्थराइटिस के दर्ज से बचने के लिए पूल एक्सरसाइज़ भी बेहद फायदेमंद होती है। ते चलिये जानते हैं कि पूल व्यायाम की मदद से गठिया के दर्द से राहत कैसे पाई जा सकती है।
अर्थराइटिस का दर्द
अर्थराइटिस का मतलब है जोड़ों में दर्द या जलन होना। दरअसल शरीर में दो हड्डियां जिस जगह एक-दूसरे से मिलती हैं, तो उसे ही जोड़ कहाता है। और इन जोड़ों में होने वाले दर्द को जोड़ों का दर्द (ज्वाइंट पेन) कहते हैं। जोड़ों के दर्द के सौ से अधिक प्रकार है। यह दिक्कत किसी भी उम्र के व्यक्ति को हो सकती है। सामान्यतः 30 से 35 की उम्र के बीच के लोगों में इस रोग के लक्षण अधिक दिखाई पड़ते हैं। इसके प्रचलित प्रकार हैं ऑस्टियोर्थराइटिस और र्यूमेटायड अर्थराइटिस।
अर्थराइटिस से निपटने के लिए एक्टिव (क्रियाशील) रहना बेहद जरूरी होता है, लेकिन क्रियाशीलती और आराम के बीच सही सामंजस्य होना चाहिए। क्योंकि बहुत अधिक एक्सरसाइज जहां एक ओर जोड़ों पर तनाव बढ़ा सकती है, कुछ न करने से जोड़ कठोर हो जाएंगे। इसलिए व्यायम जैसे स्ट्रेचिंग, तैराकी व योग आदि करें, इनसे आपको फायदा होगा। हां, स्ट्रेचिंग से पहले वार्मअप जरूर कर लें।
पूल एक्सरसाइज़, अर्थराइटिस और शोध
एंक्यलोसिंग स्पॉन्डिलाइटिस के साथ जीवन जी रहे लोगों के लिए पूल व्यायाम या एएस फिज़िकल थैरेपी प्रोग्राम दर्द से राहत दिलाने वाला तथा बेहतर फिटनेस वाला होता है। यदि आपने अब तक पानी वाले व्यायाम (वॉटर एक्सरसाइज़) को नहीं अपनाकर देखा है तो यह इसे अपनाने का सही समय है। मड पैक, स्पा उपचार, और गर्म पानी उपचार वाले पूल के बारे में बात करना एक सुखद सी छुट्टी का आनंद लेने की बात जैसा लगकता है। लेकिन जर्नल ऑफ रुमेटोलॉजी इंटरनेशनल नामक पत्रिका में छपे एक शोध के अनुसार वास्तव में यह एंक्यलोसिंग स्पॉन्डिलाइटिस से पीड़ित लोगों के लिए एक प्रभावी और स्थायी इलाज हो सकता है।
वॉटर एक्सरसाइज़ कैसे करती है मदद?
भौतिक चिकित्सा के रूप में वॉटर एक्सरसाइज़ निम्न प्रकार से मदद करती है:
- आपके जोड़ों को सहायता देकर।
- जोड़ों को गर्मी प्रदान कर।
- आपको कम तनाव वाले व्यायाम विकल्प देकर।
टोरंटो, ओंटारियो, कनाडा में सेंट माइकल अस्पताल में फिजियोथेरेपिस्ट एंजेलो पापचरिस्टोस बताते हैं कि जल आधारित अभ्यास (वॉटर बेस्ड एक्सरसाइज़) बहुत अच्छी होती हैं। पूल कार्यक्रम, (विशेष रूप से गर्म पानी के पूल वाले) ज़ोर डाले बिना मांसपेशी को शांत करने, गति प्रदान करने, दर्द कम करने शक्ति, और एरोबिक क्षमता की सीमा में सुधार करने में सहायता करने के लिए जाने जाते हैं। व्यायाम के लिए पूल के गर्म पानी का आदर्श तापमान 90 डिग्री के आसपास होना चाहिए, हालांकि धूप से गर्म हुए पानी वाला पूल भी आपके लिए सहायक होता है।
वॉटर-बेस्ड एरोबिक्स कार्यक्रम भी अर्थराइटिस के दर्द से बचने में आपकी मदद कर सकते हैं। कई पूल सुविधा वाले जिमों में वॉटर एरोबिक्स क्लासेज़ की सुविधा उपलब्ध होती है। बस आप ऐसे किसी जिम में वॉटर-बेस्ड एरोबिक्स करने से पहले अपने अर्थराइटिस के लक्षणों के बारे में ट्रेनर को पहले ही सूचित कर दें, ताकि वह आपकी ज़रूरत के हिसाब से एकेसरसाइज़ में परिवर्तन कर सके।
स्विमिंग (तैराकी)
तैराकी को आदर्श वर्कआउट कहा जा सकता है। दरअसल, पानी का उछाल आपके शरीर को सपोर्ट देता है और जोड़ों के दर्द से भी राहत दिलाता है, जिससे आप तेजी से तैराकी कर पाते हैं। हार्वर्ड मेडिकल स्कूल में मेडिसिन के प्रोफेसर डॉ. आई.मीन.ली के अनुसार, ‘अर्थराइटिस से पीड़ित महिलाओं के लिए भी तैराकी लाभदायक होती है, क्योंकि इसमें शरीर या जोड़ों पर वजन उठाने का दबाव नहीं पड़ता है।’ शोध से पता चलता है कि तैराकी से एरोबिक फिटेनस में इज़ाफा होता है और आपका मूड भी अच्छा रहता है। आप चाहें तो वॉटर एरोबिक क्लास भी ले सकते हैं, जिससे आपकी कैलोरी भी खर्च होंगी और आपकी बॉडी की शेप भी अच्छी रहेगी।