आजकल कई तरह की एलर्जी देखने में आती हैं। इनमें से जो एलर्जी सबसे ज्यादा परेशानी पैदा करती हैं, वो है नाक की एलर्जी । जब किसी इंसान का ‘इम्यून सिस्टम’ यानी प्रतिरोधक तंत्र वातावरण में मौजूद लगभग नुकसानरहित पदार्थों के संपर्क में आता है तो एलर्जी संबंधी समस्या होती है। शहरी वातावरण में तो इस तरह की समस्याएं और भी ज्यादा हैं।
क्या होती है नाक की एलर्जी
नाक की एलर्जी से पीड़ित लोगों की नाक के पूरे रास्ते में अलर्जिक सूजन पाई जाती है। ऐसा धूल और पराग कणों जैसे एलर्जी पैदा करने वाली चीजों के संपर्क में आने की वजह से होता है। नाक की एलर्जी में ज्यादा और अक्सर नाक से पानी बहने, ढेर सारी छींकें आने तथा सर भारी हो जाने की शिकायत रहती है। ऐसी स्थिति में यह पता करें कि हमारी समस्या किस वस्तु के कारण प्रारम्भ हुई और अगली बार उससे बचने की कोशिश करें। हर व्यक्ति के लिए कोई अलग कारण हो सकता है। अगर स्वयं न पता लगा पाएं तो एलर्जी जांच से भी सहायता मिल सकती है। डर, चिन्ता, घबराहट, कुंठा इत्यादि व्यक्तित्व में ज्यादा होने के कारण भी यह रोग प्रारम्भ होता है, बढ़ता है।
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नाक की एलर्जी के प्रकार
नाक की एलर्जी मुख्य तौर पर दो तरह की होती है। पहली मौसमी, जो साल में किसी खास वक्त के दौरान ही होती है और दूसरी बारहमासी, जो पूरे साल चलती है। दोनों तरह की एलर्जी के लक्षण एक जैसे होते हैं।मौसमी एलर्जी को आमतौर पर घास-फूस का बुखार भी कहा जाता है। साल में किसी खास समय के दौरान ही यह होता है। घास और शैवाल के पराग कण जो मौसमी होते हैं, इस तरह की एलर्जी की आम वजहें हैं।नाक की बारहमासी एलर्जी के लक्षण मौसम के साथ नहीं बदलते। इसकी वजह यह होती है कि जिन चीजों के प्रति आप अलर्जिक होते हैं, वे पूरे साल रहती हैं।
नाक की एलर्जी के कारण
एलर्जी की प्रवृत्ति आपको आनुवंशिक रूप से यानि कि अपने परिवार या वंश से मिल सकती है।किसी खास पदार्थ के साथ लंबे वक्त तक संपर्क में रहने से भी हो सकती है। नाक की एलर्जी को बढ़ाने वाले कारकों में शामिल हैं: सिगरेट के धुएं के संपर्क में आना, जन्म के समय बच्चे का वजन बहुत कम होना, बच्चों को बोतल से ज्यादा दूध पिलाना, बच्चों का जन्म उस मौसम में होना, जब वातावरण में पराग कण ज्यादा होते हैं।
एलर्जी का इलाज
नाक की एलर्जी का इलाज करने के सबसे अच्छा तरीका है बचाव होता है । जिन वजहों से आपको एलर्जी के लक्षण बढ़ते हैं, उनसे आपको दूर रहना चाहिए।दवा जिनका उपयोग आप लक्षणों को रोकने और इलाज के लिए करते हैं। इम्यूनोथेरपी में मरीज को इंजेक्शन दिए जाते हैं, जिनसे एलर्जी करने वाले तत्वों के प्रति उसकी संवेदनशीलता में कमी आ जाती है।
नाक की एलर्जी को आपको नजरंदाज नहीं करना चाहिए। अगर इसका इलाज न किया जाए, तो इससे साइनस, गला, कान और पेट की समस्याएं हो सकती हैं।
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