
भोजन में पाए जाने वाले किसी तत्व आमतौर पर प्रोटीन के प्रति शरीर के प्रतिरोधी तंत्र (इम्यून सिस्टम) द्वारा की जाने वाली प्रतिक्रिया ही फूड एलर्जी है। शरीर त्रुटिवश उसके प्रति ऐसा व्यवहार करता है जैसे कि वह कीटाणु अथवा कोई अन्य घुसपैठिया हो और वह खुद को बचाने की भरपूर कोशिश करता है।चलिये विस्तार से जाने की फूड एलर्जी क्या है और ये कैसे होती है।
दरअसल जब हमारा शरीर खाने के प्रति ज्यादा क्रियाशील हो तो उससे फूड एलर्जी की समस्या पैदा हो सकती है, यहां तक कि प्रोटीन युक्त खाना भी कभी-कभी आपके शरीर के लिए नुकसानदेह परिणाम दिखाता है। हमारे शरीर के पाचनतंत्र में प्रतिरोधक व्यवस्था होती है, जिसे इम्यूनोग्लोबिन 'ई' कहा जाता है। यह शरीर में एलर्जी उत्पन्न करने वाले कारकों से रक्षा करता है।
एलर्जी के लक्षण
- खुजली का होना
- आँखों, होंठों, चेहरे और गले में सूजन का होना।
- डायरिया
- सांस लेने में तकलीफ का होना
- धड़कनों का तेज हो जाना
फूड एलर्जी के प्रति शरीर दो तराकों से प्रतिक्रिया करता है पहला फूड एलर्जी और दूसरा अपच। कई पदार्थ ऐसे होते हैं जिन्हें शरीर की पाचन प्रणाली स्वीकार नहीं करती। जैसे कुछ लोगों को दूध पीने पर अपच या डायरिया की समस्या हो जाती है वहीं कुछ लोगों को अंडे से एलर्जी होती है। फूड एलर्जी किसी खाद्य पदार्थ के प्रति शरीर की प्रतिशोध प्रतिक्रिया है जो काफी गंभीर होती है और कभी-कभी जानलेवा भी। वैसे अधिकतर लोगों में यह प्रतिक्रिया अपच के रूप में होती है। फूड एलर्जी कम ही होती है।
हालांकि किसी भी खाद्य पदार्थ से एलर्जी हो सकती है फिर भी कुछ खाद्य पदार्थों से ऐसा होने की सम्भावना अधिक रहती है। बच्चों में एलर्जी उत्पन्न करने वाले सबसे सामान्य खाद्य पदार्थ हैं।-
- मूंगफली
- अंडे
- दूध
- सोया
- गेहूं
- शेलफिशॉ
- ट्री नट्स
एलर्जी की प्रतिक्रिया ज़्यादातर गलत खाद्य के उपभोग से 30 मिनट के अन्दर ही होती है। अक्सर प्रतिक्रिया 5 से 10 मिनट के अन्दर होती है लेकिन इसका असर खाने के 4 से 6 घंटे की लम्बी अवधि के बाद भी हो सकता है। फूड एलर्जी फूड असहिष्णुता (इन्टालरेंस) से अलग है। फूड इन्टालरेंस भोजन के प्रति होने वाली भौतिक प्रतिक्रिया है लेकिन वह प्रतिक्रिया एलर्जिक नहीं है। लैक्टोज़ इन्टालरेंस इसका एक सामान्य उदाहरण है । इससे पीड़ित लोगों को चीनीयुक्त दूध पचाने में दिक्कत होती है और जब वे दूध पीते हैं या डेयरी उत्पादों का सेवन करते हैं तो उन्हें पेटदर्द या दस्त (डायरिया) हो जाता है। हालांकि फूड इन्टालरेंस के लक्षण असुविधाजनक हो सकते हैं लेकिन यह स्थिति खतरनाक नहीं है। अन्य स्थितियां भी है जैसे कि सेलिऑक रोग जो भोजन से प्रतिक्रिया तो कर सकता है (सेलिऑक रोग से पीड़ित लोगों को गेहूं वाली किसी भी चीज से दिक्कत होती है) लेकिन वह एलर्जिक नहीं है।
एलर्जी का एक दूसरा रूप ओरल एलर्जिक सिन्ड्रोम कहलाता है। इससे पीड़ित लोगों में कुछ फलों और सब्जियों को खाने से होंठ, मुंह और गले (और कभी– कभी होंठों में सूजन) में खुजली होती है। यह कम खतरनाक है। फूड एलर्जी के काफी मामले सामने आ रहे हैं विशेष रूप से बच्चों में। विशेषज्ञों का आकलन है कि 8 प्रतिशत तक बच्चे फूड एलर्जी से पीड़ित होते हैं। वयस्कों में यह संख्या 1 से 2 प्रतिशत है। हालांकि फूड एलर्जी का सही कारण अज्ञात है लेकिन यह परिवारों में तेजी से फैल सकता है।
बचने के तरीके
- अगर आपको चने से एलर्जी है, तो इसके परिवार में आने वाले सारे अनाजों का सेवन करना छोड़ देना चाहिए।
- खाने की चीजों के वैज्ञानिक नाम भी आपको पता होना चाहिए।
- जब भी बाहर खाएँ उन बातों का ध्यान रखें जिससे आपको एलर्जी है।
- हमेशा विपरीत परिस्थितियों के लिए तैयार रहें।
- एलर्जी होने के कुछ छुपे हुए कारण भी होते हैं, उन्हें जानने का भी प्रयास करें।
हो सकता है आपको अण्डों से एलर्जी हो। इसलिए कुछ भी खाने से पहले यह तय कर लें कि वह आपके शरीर के लिए सही है या नहीं। वहीं यदि आपको लैक्टोस से एलर्जी है वह सोया मिल्क ले सकते हैं। फूड एलर्जी का बेहतरीन इलाज है, ऐसे पदार्थो न लें जो आपको माफिक नहीं आते।
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