
यूं तो मानव शरीर का हर अंग बेहद जरूरी होता है, लेकिन किडनी की अपनी ही विशेषता है। यह ब्लड में मौजूद विषैले पदार्थों को अलग करने का काम करती है। इसके अलावा किडनी शरीर में ब्लड प्रेशर, सोडियम व पोटेशियम एवं ब्लड में एसिड को कंट्रोल करने का महत्वपूर्ण काम करता है। मानव शरीर की अंदरूनी गतिविधियां दिल के बाद सबसे ज्यादा किडनी पर ही निर्भर करती है।
लगातार दूषित पदार्थ खाने, दूषित जल पीने और नेफ्रॉन्स के टूटने से किडनी के रोग उत्पन्न होते हैं। इसके कारण किडनी शरीर से विषैले पदार्थो को निकालने में असमर्थ हो जाते हैं। इसके अलावा हाई ब्लड प्रेशर, डायबिटिज, परिवार इतिहास, अत्यधिक चर्बी, दर्द निवारक दवाओं का अधिक सेवन, धूम्रपान आदि के कारण भी शरीर में किडनी संबंधी रोग होने लगते है। लेकिन एक शोध के अनुसार वॉक करने से आप किडनी रोगों से बच सकते हैं। जी हां नियमित वॉक कर किडनी की बीमारियों से बचने तथा इनसे निपटने में मदद मिलती है।

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क्लीनिकल जर्नल ऑफ दी अमेरिकन सोसाइटी ऑफ नेफ्रोलॉजी में छपे लेख के अनुसार ताइवान के शोधकर्ताओं ने पाया कि नियमित रूप से वॉक करने से किडनी की बीमारी के मरीजों को लंबे समय तक स्वस्थ जीवन में मदद मिलती है। शोधकर्ताओं के अनुसार किडनी रोगों से पीड़ित लोग वॉक कर डायलिसिस या गुर्दा प्रत्यारोपण की संभावनाओं को भी कम कर सकते हैं। आइए इस विषय पर विस्तार से बात करते हैं।
शोध के परिणाम
इस अध्ययन के सह लेखक, चाइना के ताइचुंग शहर में स्थित मेडिकल यूनिवर्सिटी हॉस्पिटल के डॉक्टर चे-यी चाउ ने एक पत्रिका समाचार विज्ञप्ति में कहा कि "एक न्यूनतम राशि में वॉक करना, जैसे एक हफ्ते में सिर्फ एक बार कम से कम 30 मिनट के लिए वॉक करना भी लाभकारी होता है। लेकिन लंबे समय तक और लगातार वॉक करना अधिक लाभकारी प्रभाव प्रदान करता है।"
उनकी टीम ने क्रोनिक किडनी रोग से पीड़ित औसतन 70 साल के 6,300 से अधिक ताइवानी लोगों के परिणामों पर नजर रखी। इन रोगियों पर औसतन 1.3 वर्ष के लिए नजर रखी गयी। जिनमें से लगभग 21 प्रतिशत ने सामान्य रूप से वॉक किया। कुल मिलाकर, वह रोगी जिन्होंने लगातार वॉक किया, वॉक न करने वाले रोगियों की तुलना में उसी सीमा के भीतर उनकी मृत्यु की आशंका एक तिहाई तक कम हो गयी। साथ ही इन लोगों के डायलिसिस या गुर्दा प्रत्यारोपण की जरूरत 21 प्रतिशत तक हो गयी।
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गौरतलब है कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर किडनी रोगों को गंभीर रोगों की श्रेणी में रखा गया है और यह एक ग्लोबल समस्या के रूप में सामने आ रही है। समय के साथ सीकेडी (क्रोनिक किडनी डिजीज) के दुनिया भर में काफी मामले सामने आ रहे हैं। चेहरे पर सूजन आना, आंखों के चारों तरफ सूजन आना (जो कि सुबह ज्यादा दिखाई देती है), पैरों में सूजन आना, भूख कम लगना, मितली आना, उल्टी होना, लगातार कमजोरी महसूस होना, शरीर में रक्त की कमी होना, कम उम्र में ही उच्च रक्तचाप की समस्या होना या अनियंत्रित उच्च रक्तचाप का होना किडनी रोगों के लक्षण होते हैं। ऐसे किसी भी लक्षण के दिखाई देने पर बिना देरी किये डॉक्टर से संपर्क करें और उचित इलाज कराएं। नियमित एक्सरसाइज, वॉक तथा हेल्दी डाइट से आप इस समस्या से बच सकते हैं।
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