
यूं तो गर्भधारण और इसके बाद के लिए किसी भी महिला को पौष्टिक तत्वों (प्रोटीन और विटामिन आदि) की जरूरत होती है। लेकिन कई शोधों में यह बात सामने आई हैं कि गर्भधारण के लिेए विटामिन लाभदायक होता है। आइये जानते हैं कि कैसे गर्भधारण में कैसे मददगार होता है विटामिन।
विटामिन की खुराक के ढेर सारे फायदे हैं और अब कई नए अध्ययनों में बताया गया है कि यह महिलाओं को गर्भधारण में भी मदद पहुंचाता है। एक अध्ययन में पाया गया कि जिन महिलाओं ने गर्भावस्था से जुड़ी विटामिन की गोलियां खाई, उनमें इन गोलियों को नहीं खाने वालों की तुलना में बच्चे होने की संभावना दोगुनी बढ़ गई। रिप्रोडक्टिव बायोमेडिसिन ऑनलाइन के मुताबिक, अनुसंधान में 58 महिलाओं का अध्ययन किया गया और उन्हें दो समूहों में बांट दिया गया। एक समूह को विटामिन की गोलियां खिलाई गई जबकि दूसरे को इससे दूर रखा गया। सभी महिलाओं को स्वस्थ, संतुलित पौष्टिक आहार दिए गए। भारतीय मूल की डॉ. रीना अग्रवाल की अगुवाई में यह अध्ययन प्रायोगिक स्तर पर हुआ।
गर्भधारण करने से पहले की तैयारी
इस बात में कोई दो राय नहीं कि विटामिन हमारे शरीर के लिए बहुत जरूरी होते हैं। विटामिन की खुराक के अनेक फायदे हैं। यही नहीं कई अध्ययन इस बात का दावा कर चुके हैं कि विटामिन महिलाओं को गर्भ धारण में भी मदद करता है।
ऐसे ही एक अध्ययन में पाया गया था कि जिन महिलाओं ने गर्भावस्था से जुड़े विटामिन की गोलियां खाईं थी उनमें इन गोलियों को नहीं खाने वाली महिलाओं की तुलना में बच्चों होने की संभावना दोगुनी बढ़ गई। रिप्रोडक्टिव बायोमेडिसिन ऑनलाइन नामक कंपनी ने इस अनुसंधान में 58 महिलाओं का अध्ययन किया था। इन महिलाओं को दो समूहों में बांटा गया था। एक समूह को विटामिन की गोलियां खिलाई गईं जबकि दूसरे को इससे दूर रखा गया। सभी महिलाओं को स्वस्थ, संतुलित पौष्टिक आहार दिए गए। इस अध्ययन के परिणामों में यह बात काफी हद तक साफ हो गई थी कि विटामिन ने महिलाओं को गर्भ धारण करने में मदद की।
गर्भावस्था और विटामिन डी पर शोधकर्ताओं की रिर्पोट-
यही नहीं कई अनुसंधानकर्ताओं ने ऐसे सबूत मिलने का दावा भी किया है, जो यह बताते हैं कि दुनिया के सबसे ठंडे देशों की महिलाएं यदि गर्भावस्था में विटामिन डी लें तो उनके शिशुओं को मल्टीपल स्क्लेरोसिस (एमएस) होने से बचाया जा सकता है।
‘जर्नल ऑफ न्यूरोलॉजी, न्यूरोसर्जरी एंड साइकाइट्री’ की एक रिर्पोट ने भी बताया कि मल्टीपल स्क्लेरोसिस से प्रभावित 150,000 से अधिक मरीजों के आंकड़ों से यह पता चलता है कि अप्रैल के महीने में पैदा होने वाले लोगों को यह बीमारी होने का खतरा ज्यादा होता है। इस रिर्पोट में कहा गया था कि अप्रैल के महीने के बाद इन जगहों में लंबे समय तक सूर्य की रोशनी का अभाव रहता है।
आयरन की कमी के होते हैं ये लक्षण
अनुसंधानकर्ता यह भी बताते हैं कि जन्म का महीना मल्टीपल स्क्लेरोसिस के खतरे में काफी अहम होता है। ‘इसका कारण पराबैगनी रोशनी के संपर्क में आना और मां के अंदर विटामिन डी का स्तर होता है।’
विटामिन-ई और गर्भावस्था-
विटामिन-ई एक एंटी-ऑक्सीडेंट है। यह वनस्पति तेल, ब्रोकोली, दाल आदि में पाया जाता है। एक अनुसंधान में बताया गया था कि विटामिन-ई को यदि विटामिन-सी के साथ मिलाकर लिया जाए तो यह गर्भावस्था के दौरान कई तरह की समस्याओं से बचा सकता है। जिसमें मुख्य रूप से गर्भपात की समस्या शामिल होती है।
लेकिन अक्सर खुद से ली जाने वाली दवाइयां तथा पोषक तत्वों के साथ विटामिन-ई का भी अधिकाधिक सेवन कर लिया जाता है। ऐसा करने पर पायदे की जगह नुकसान होता है।
एक अनुसंधान में अनुसंधानकर्ताओं ने 2400 गर्भवती महिलाओं पर किए गए अपने शोध में बताया कि 250 मिलीग्राम विटामिन-ई की मात्रा के साथ यदि 1000 मिलीग्राम विटामिन-सी की मात्रा प्रतिदिन दी जाए तो यह खतरनाक हो सकती है। इतनी ही मात्रा इन महिलाओं में से कुछ को दी गई जब तक कि उनका प्रसव न हो गया हो।
आंततः यह समझ लें कि विटामिन गर्भधारण में मदद तो जरूर करता हैं लेकिन इसे कितमा और कब लेना है, यह आप खुद से कभी निर्धारित नहीं कर सकते। इसलिए हमेशा कोई भी विटामिन लेने के पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें।
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