विटामिन डी हमारे संपूर्ण स्वास्थ्य के लिए जरूरी है। यह शरीर में कैल्शियम के स्तर को नियंत्रित करने का काम करता है, जो तंत्रिका तंत्र की कार्य प्रणाली और हड्डियों की मजबूती के लिए जरूरी है। यह शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाता है। विटामिन डी के लक्षण एकदम उभर कर सामने नहीं आते, इसी वजह से लोगों को समय पर विटामिन डी की कमी से होने वाले रोगों का पता ही नहीं चल पाता। इसलिए विटामिन डी की नियमित जांच और विटामिन डी युक्त भोजन लेना जरूरी है। आज हम आपको बता रहे हैं कि शरीर में विटामिन डी की कमी होने पर कैसे लक्षण दिखते हैं।
लक्षण
- हड्डियों में दर्द होना।
- मांशपेशियों में कमजोरी महसूस होना।
- थकान और कमजोरी महसूस होना।
- जरुरत से ज्यादा नींद आना।
- हमेशा डिप्रेशन में होने जैसा महसूस होना।
- शरीर की तुलना में सर से अधिक पसीना आना।
- बार-बार इन्फेक्शन होना।
- सांस लेने में दिक्कत होना, आदि।
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इन रोगों का रहता है खतरा—
त्वचा का रंग गहरा होना
त्वचा का गहरा रंग मिलेनिन नामक पिगमेंट के कारण होता है। मिलेनन बहुत अधिक होने के कारण धूप लगने पर त्वचा में विटामिन-डी का निर्माण ठीक से नहीं हो पाता। कुछ शोधो का मानना है कि बढती उम्र मे गहरे रंग की त्वचा वालों के विटामिन डी की कमी की समस्या का सामना करना पड़ सकता है।
डायबिटीज
मधुमेह की बड़ी वजह मोटापा है यह तो आप जानते हैं लेकिन क्या आपको यह भी पता है कि मोटापे के साथ-साथ विटामिन डी की कमी भी इस रोग के लिए जिम्मेदार प्रमुख कारकों में से एक है। इस लेख में विस्तार से जनिये कि ये दोनों मधुमेह के लिए कैसे हैं जिम्मेदार। डायबिटीज केयर जर्नल में प्रकाशित शोध की मानें तो अगर मोटापे और विटामिन डी की समस्या किसी व्यक्ति को एकसाथ हो तो शरीर में इंसुलिन की मात्रा को असंतुलित करने वाली इस बीमारी के होने का खतरा और भी बढ़ जाता है।
बच्चों में एनीमिया का खतरा
यदि रक्त में विटामिन डी का स्तर 30 नैनो ग्राम प्रति मिली लीटर से कम है तो ऐसे में बच्चे के एनीमिया गस्त होने की आशंका बनी रहती है। डॉक्टर्स का कहना है कि 30 नैनो ग्राम प्रति मिली लीटर से कम स्तर वाले बच्चों को सामान्य विटामिन डी के स्तर वाले बच्चों की तुलना में दोगुना खतरा ज्यादा था। जिन बच्चों को एनीमिया होने का खतरा था उनके रक्त में विटामिन डी की मात्रा 20 नैनो ग्राम प्रति मिली लीटर पायी गई। इससे पहले भी कई अध्ययनों में विटामिन डी और एनीमिया के बीच संबंध पाया जा चुका है। यह भी पता चला कि विटामिन डी की कमी रेड ब्लड सेल के उत्पादन पर भी असर डालता है।
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इन आहारों का करें सेवन
- विभिन्न प्रकार की मछली जैसे सालमोन और ट्यूना 'विटामिन डी' की उच्च स्रोत होती हैं। सालमोन विटामिन डी की हमारी रोजाना जरूरत का एक तिहाई हिस्सा पूरा करने के लिए काफी होती है।
- दूध विटामिन डी का एक और महान स्रोत है। हमें दिन भर में जितना विटामिन डी चाहिए होता है, उसका 20 फीसदी हिस्सा दूध पूरा कर देता है। जबकि अनफॉर्टफाइड डेयरी उत्पादों में आमतौर पर विटामिन डी कम मात्रा में पाया जाता है।
- अंडों को स्वस्थ भोजन माना जाता है, जो विटामिन डी से भरपूर होते हैं। हालांकि विटामिन डी ज्यादा अंडे की जर्दी में पाया जाता है। लेकिन फिर भी हमें इसको पूरा खाना चाहिए। अंडे का सफेद हिस्सा खाने से विटामिन डी की पर्याप्त आपूर्ति नहीं होती।
- दूध की तरह ही संतरे का रस भी विटामिन डी से भरपूर होता है। कई स्वास्थ्य विशेषज्ञों का मानना है कि विटामिन डी से स्वास्थ्य में जल्दी सुधार कर सकते हैं। इसके लिए वे आपको संतरे के जूस को अपने आहार का हिस्सा बनाना चाहिए।
- अनाज विटामिन डी का समृद्ध स्रोत है। विटामिन डी की पूर्ति के लिए नाश्ते से दृढ़ अनाज शामिल कर आप अपने दिन की शुरुआत अच्छे से कर सकते है।
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