वियाग्रा से हृदय रोग के इलाज में मिल सकती है मदद

वियाग्रा के नाम से चर्चित सिल्डेनफिल न केवल रक्त की गति को अवरोध होने से रोकती है बल्कि हाइपरटेंशन और दिल के दौरे के उपचार में भी मददगार साबित हो सकती है।
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वियाग्रा से हृदय रोग के इलाज में मिल सकती है मदद


हाल में किए गए एक शोध से पता चला है कि यौन क्षमता बढ़ाने वाली दवा वियाग्रा का उपयोग कर बच्चों में अविकसित दिल और युवाओं में जन्मजात दिल की बीमारियों के उपचार में मदद मिल सकती है। शोध के अनुसार वियाग्रा से दिल की बीमारी दूर करने संबंधी जानकारी का पता लगाया गया है। चलिये विस्तार से जानें कि क्या वाकई वियाग्रा से हृदय रोग के इलाज में मदद मिल सकती है, और ये भला कैसे संभव है।

 

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फिलडेलफिया में हुआ शोध

फिलडेलफिया के द चिल्ड्रेन अस्पताल के शोधकर्ताओं ने अपने शोध में माना क‌ि वियाग्रा नाम से बिकने वाली दवा सिल्डेनाफिल से बच्चों के दिल का विकास सुचारू रूप से होता है और युवाओं में स‌िंगल वर्टिकल हार्ट डिजीज के रोगियों के उपचार में मदद मिलती है। शोधकर्ताओं का मानना है कि वियाग्रा के नाम से चर्चित सिल्डेनफिल न केवल रक्त की गति को अवरोध होने से रोकती है बल्कि हाइपरटेंशन और दिल के दौरे के उपचार में भी मददगार साबित हो सकती है।


शोधकर्ता व हृदय रोग विशेषज्ञ डा. डेविड जे. गोल्डबर्ग का इस संदर्भ में कहना है कि इस शोध से दिल की जन्मजात बीमारियों के उपचार में काफी मदद मिल पाएगी। इस शोध के दौरान 27 बच्चों व वयस्कों को नियमित मात्रा में छह हफ्तों तक सिल्डेनाफिल दी गई। छह ङफ्तों के बाद जब इन लोगों का ईकोकार्डियोग्राम की मदद से एमपीआई (म्योकार्डियल परफॉरमेंस इंडेक्स) मापा गया तो पता चला कि उनके दिल की रक्त को पंप करने की क्षमता में सुधार हुआ है।


गौरतलब है कि सिंगल वेनेट्रिकल बीमारियों पर पिछले बीस सालों से चले आ रहे चिकित्सकीय शोधों में अभी तक सर्जरी ही एक मात्र कारगर उपचार माध्यम था, लेकिन अब शोधकर्ताओं का दावा है कि इस शोध के आधार पर भविष्य में दिल की बमारियों से कम आयु में मृत्यु के जोखिम को कफी हद तक कम किया जा सकेगा। यह शोध ‘पेडियाट्रिक कार्डियोल़जी’ में प्रकाशित हुई थी।

 

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पीपीएच के इलाज में भी कारगर है सिल्डेनफिल

सिल्डेनफिल प्राथमिक पल्मोनरी रक्तचाप (पीपीएच) के इलाज के लिए भी अपने पहले चिकित्सकीय परीक्षण में सफल रही है। प्राथमिक पल्मोनरी रक्तचाप हृदय की एक गंभीर बीमारी होती है जिसमें फेफड़ों की रक्त नलिकाओं में रक्त का दबाव बढ़ जाता है। जिस वजह से हृदय का दाहिना भाग कमजोर पड़ने लगता है। दुर्भाग्यवश इस बीमारी से पीड़ित लगभग 50 प्रतिशत रोगियों कि दो से तीन साल के अंदर ही मौत हो जाती है।


केअर फाउंडेशन द्वारा किए गए एक अध्ययन में पीपीएच से पीड़ित 22 मरीजों को सिल्डेनफिल दी गई, जिससे मरीजों के स्वास्थ्य में सुधार होता देखा गया। इस अध्ययन का विस्तृत ब्यौरा 'जर्नल ऑफ अमेरिकी कॉलेज और कार्डियोलॉजी' के अप्रैल अंक में प्रकाशित हुआ था।

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