विटामिन डी की कमी आज के मॉडर्न ज़माने में एक भयंकर समस्या बनता जा रहा है। पुराने ज़माने में लोग खेतों में पसीना बहते थे या धुप का भरपूर आनंद लेते थे, जिस से उनकी ये कमी पूरी हो जाती थी। और अनेक रोगों से बचाव हो जाता था। आज इसी कड़ी में आपको बताने जा रहें हैं विटामिन डी के फायदे और इसके प्रमुख स्त्रोत।
अपनी डाइट में इस तरह लें विटामिन-डी
हम जो भोजन करते हैं इसमें कैल्शियम और फास्फोरस जो हम भोजन के द्वारा ग्रहण करते हैं, इसको शरीर में बेहतर ढंग से पचाने के लिए विटामिन डी की आवश्यकता होती है। अगर विटामिन डी की कमी शरीर में हो तो कैल्शियम और फास्फोरस को शरीर पचा नहीं पायेगा और ये शरीर में अपशिष्ट पदार्थ बन कर पड़े रहेंगे। जिससे हमारी हड्डियाँ कमज़ोर होंगी, दांत कमज़ोर होंगे, और पत्थरी की नियमित शिकायत होना शुरू हो जाएगी। ऐसे में सीधे सीधे विटामिन डी हड्डियों को दांतों को मजबूत रखने के साथ साथ अनेकों रोगों में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। अनेक आधुनिक शोधो में ये प्रमाण हो चूका है के विटामिन डी कैंसर, मोटापे और मधुमेह जैसे भयंकर रोगों से रक्षा करने में बेहद प्रभावशाली है।
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कहा जाता है कि बच्चे के जन्म लेने के बाद, उसके लिए मां का दूध अमृत समान होता है। इसी तरह उसके जन्म लेने के पहले एक साल में उसके स्वास्थ्य के लिए विटामिन-डी का सेवन, उसकी अधिक मांसपेशियों का निर्माण और वसा कम करने में मददगार साबित हो सकता है। कनाडा की मैकगिल यूनिवर्सिटी के क्लीनिकल न्यूट्रिशन रिसर्च यूनिट की निदेशक होप वीलर ने बताया कि “हम विटामिन-डी के द्वारा शिशुओं में न केवल स्वस्थ हड्डियों, बल्कि स्वस्थ मांसपेशियों और कम वसा की मात्रा की संभावना को जानने में उत्सुक थे”।
वैज्ञानिकों ने किया साबित
इस निष्कर्ष का पता लगाने के लिए अध्ययनकर्ताओं ने क्यूबेक प्रांत के 132 शिशुओं पर अध्ययन किया। इस दौरान इन शिशुओं को एक से 12 महीने तक विभिन्न चरणों में विटामिन-डी अनुपूरक का सेवन कराया गया। शोधकर्ताओं ने शिशुओं की मांसपेशियों और वसा के मांस को मापने के लिए, बॉडी स्कैन की सहायता से हड्डियों के डेनसिटी का आंकलन किया।
शोध के अनुसार, तीन साल की आयु तक जिन बच्चों में विटामिन-डी का उच्च स्तर था, ऐसे बच्चों में औसतन 450 ग्राम कम वसा पाई गई। इन निष्कर्षों ने शिशुओं के पहले साल में मज़बूत हड्डियों के विकास के लिए, रोज़ाना 400 यूनिट विटामिन-डी अनुपूरक के महत्व की पुष्टि की है।
यह शोध ‘पीडियाट्रिक ओबेसिटी’ पत्रिका में प्रकाशित हुआ है।
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वेजिटेरियन लोग इस तरह लें विटामिन-डी
भारतीय गाय का दूध और इस दूध से बने सभी पदार्थ विटामिन डी का अच्छा स्त्रोत है। इसके अलावा विटामिन डी का प्रमुख स्त्रोत सुबह 6 से 8 बजे की धुप है… शरीर को खुला रख कर धुप को सीधे शरीर पर पड़ने दीजिये… इसके अलावा मशरूम, बादाम दूध, टोफू इत्यादि।
साबुत अनाज विटामिन डी का अच्छा स्त्रोत है। इसके लिए साबुत अनाज को सीधा सेंक लीजिये। या बाड़ में झोंकवा कर सिकवा लीजिये। पुराने बुज़ुर्ग लोग आज भी कहीं कहीं जैसे राजस्थान, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश आदि इलाकों में चने और गेंहू को साबुत ही सिकवा कर खाया जाता है। इससे शरीर को विटामिन डी की भी आपूर्ति हो जाती है साथ में उच्च कोटि का फाइबर भी मिल जाता है, जो अनेक रोगों से बचाने में सक्षम है।
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