
किसी महिला जो कि मां बनने वाली है या मां बनने की इच्छुक है, को तमाम जानकारियों के साथ ही एबार्शन के बारे में भी पता होना चाहिए। आइए जानें एबार्शन के प्रकार कौन–कौन से हैं।
गर्भावस्था के दौरान कई बार ऐसी स्थिति आ जाती है कि महिलाओं को गर्भपात यानी एबार्शन करवाना पड़ता है। कई बार गर्भपात किन्हीं कारणों से खुद ही हो जाता है तो कई बार डॉक्टर की सलाह पर महिलाओं को एबार्शन कराना पड़ता है।
ऐसे में ये सवाल उठना भी जायज है कि आखिर एबार्शन के कारण क्या हैं, एबार्शन किन स्थितियों में करवाया जा सकता है या फिर डॉक्टर एबार्शन किन हालात में करवाने की सलाह देते हैं। एबार्शन के क्या नुकसान और फायदे हैं। इनके अलावा एक और महत्वपूर्ण सवाल जहन में उठता है और वह है एबार्शन कितने प्रकार के होते हैं। यानी किसी महिला जो कि मां बनने वाली है या मां बनने की इच्छुक है, को तमाम जानकारियों के साथ ही एबार्शन के बारे में भी पता होना चाहिए। आइए जानें एबार्शन के प्रकार कौन–कौन से हैं।
- एबॉर्शन के लिए सबसे बेहतर समय गर्भावस्था का शुरूआती समय आठ से पंद्रह सप्ताह माना जाता है। गर्भावस्था के इस समय को ऐस्पीरेशन कहा जाता है।
- कई बार किन्हीं स्थितियों में गर्भधारण के पंद्रह सप्ताह के बाद भी एबॉर्शन की सलाह दी जाती है। गर्भावस्था के इस समय को डायलेशन एंड एवाकुएशन कहा जाता है। इस स्थिति में ऑपरेशन की नौबत आ सकती है।
एबॉर्शन के प्रकार
मेडीकल एबॉर्शन
गर्भावस्था के पहले और दूसरे ट्राइमेस्टार में डॉक्टर्स एबॉर्शन के लिए मेडीकल एबॉर्शन की सलाह देते हैं। जिसमें दवाओं के प्रयोग से एबॉर्शन किया जाता हैं। इसे कैमिकल एबॉर्शन के नाम से भी जाना जाता है। मेडीकल एबॉर्शन के दौरान कई बार दवाओं के बजाय इंजेक्शन का भी इस्तेमाल किया जाता है, इसमें फीटस का फ्लूड निकाल लिया जाता है और इसके बाद गर्भाशय की अच्छी तरह से सफाई कर दी जाती है जिससे भ्रूण का कोई अंश ना रह जाए। हालांकि यह एबॉर्शन की यह पद्घति प्राचीनकाल से चली आ रही है।
शल्य एबार्शन
शल्य एबार्शन यानी जो एबार्शन ऑपरेशन के जरिए किया जाए। शल्य एबॉर्शन दो तरीके से होता है। जनरल एनेस्थेटिक और लोकल एनेस्थेटिक। यानी जब आप ऑपरेशन के दौरान बेहोश रहती हैं तो जनरल एनेस्थेटिक प्रक्रिया अपनाई जाती है और जब आपको ऑपरेशन की जगह से सुन्न किया जाता है तो वह प्रक्रिया लोकल एनेस्थेटिक कहलाती है। इसमें आपका सर्विक्स सुन्न हो जाता है। इस ऑपरेशन के बाद आपको दर्द और ऐंठन की शिकायत भी हो सकती है। सर्जिकल एबॉर्शन यानी शल्य एबॉर्शन कुछ ही मिनट में हो जाता है।
इसके अलावा भी एबॉर्शन के कुछ प्रकार हैं जैसे-
- थ्रीटेंड एबॉर्शन- इसके तहत गर्भधारण के 20 सप्ताह पहले ही वैजाइनल ब्लीडिंग होने लगती हैं।
- इनएवीटेबल एबॉर्शन- गर्भावस्था के तहत क्लीनिकल कॉप्लीकेशंस आने लगते हैं और वैजाइनल ब्लीडिंग के साथ ही लोअर एब्डोमन पेन भी शुरू हो जाता है।
- इनकंप्लीट एबॉर्शन- इस कंडीशन में वैजाइनल ब्लीडिंग हो सकती है, लोअर अब्डोमन पेन हो सकता है ।
- कंप्लीट एबॉर्शन- इस एबॉर्शन के तहत सर्विक्स बंद हो जाता है, यूटेरस छोटा हो जाता है। माहवारी आरंभ हो जाती है।
- मिस्ड एबॉर्शन – 16 सप्ताह के बाद या इससे पहले जब भ्रूण गर्भ में ही मर जाता है तो यह मिस्ड एबॉर्शन कहलाता है।
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