जिन बच्चों को ब्रेन ट्यूमर की शिकायत होती है उनमें से आधे से ज्यादा चिकित्सीय उपचार से ठीक हो जाते हैं। फिर भी ब्रेन ट्यूमर का उपचार करने में परेशानी हो सकती है। इसके इलाज से बच्चे का केंद्रीय तंत्रिका तंत्र प्रभावित होता है। केंद्रीय तंत्रिका तंत्र शरीर के लिए नियंत्रण केंद्र होता है। केंद्रीय तंत्रिका तंत्र के माध्यम से बच्चे चीजों को समझते और महसूस करते हैं।
बच्चों या वयस्कों दोनों में ही ट्यूमर का उपचार इस बात पर निर्भर करता है कि ट्यूमर किस स्तर में है। आगे ब्रेन ट्यूमर के उपचार के बारे में विस्तार से बात करते हैं। करीब 20 फीसदी बच्चों में केंद्रीय तंत्रिका तंत्र का ट्यूमर (मस्तिष्क और रीढ़ की हड्डी के ट्यूमर) कैंसर का कारण बनता है। लूकीमीअ (अधिश्वेत रक्तता) के बाद यह बचपन में सबसे ज्यादा होने वाला कैंसर है। ब्रेन ट्यूमर बच्चों में होने वाला आम ठोस ट्यूमर है।
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एक सर्वे के मुताबिक संयुक्त राज्य अमेरिका में हर साल लगभग दो हजार ब्रेन ट्यूमर से ग्रसित बच्चों का उपचार किया जाता है। ब्रेन कैंसर से पीड़ित बच्चों को ट्यूमर से निदान के लिए सर्जरी या फिर कैंसर कोशिकाओं को मारने के लिए रेडिएशन और कीमोथैरेपी चिकित्सा की जरूरत पड़ सकती है। इस रोग में बच्चों को एक से अधिक उपचार माध्यम की जरूरत पड़ती है।
ब्रेन ट्यूमर कई प्रकार का होता है। इसलिए हो सकता है कुछ उपचार दूसरों की तुलना में आपके बच्चे को ज्यादा फायदा करें। बच्चे के ट्यूमर का इलाज करने से पहले डॉक्टर ट्यूमर का प्रकार, ट्यूमर की जगह, ट्यूमर का फैलाव और बच्चे की आयु व उसकी तबियत जैसी अहम बातों का ध्यान रखता है।
बच्चों में ब्रेन ट्यूमर का इलाज
ब्रेन ट्यूमर का उपचार कीमोथेरेपी, रेडियो सर्जरी, रेडिएशन थेरेपी के अलावा कंप्यूटर आधारित स्टीरियोटैक्सी और रोबोटिक सर्जरी जैसी नवीनतम तकनीकों से असरदार और सुरक्षित हो गया है। ब्रेन ट्यूमर के बारे में जितना जल्दी पता लग जाए, इलाज उतना ही आसान हो जाता है।
ब्रेन ट्यूमर का उपचार विशेष रूप से सर्जरी, रेडिएशन थेरेपी अथवा कीमोथेरेपी के माध्यम से किया जाता है। अब मस्तिष्क के ट्यूमर को इंडोस्कोपी के माध्यम से भी ठीक किया जाने लगा है। इसमें एक चैनल के साथ एक फाइबर युक्त लेंस का उपयोग किया जाता है। इनके जरिए मस्तिष्क के अंदर ट्यूमर को खोजा जाता है। इंडोस्कोपी सर्जरी के सफल होने की ज्यादा गारंटी होती है। इसी कारण दुनियाभर में इसे मस्तिष्क की सर्जरी के लिए सुरक्षित तरीके माना जाता है।
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इंडोस्कोपी में रोगी को कम परेशानी होती है और वह जल्द ही स्वास्थ्य लाभ उठाने लगता है। यदि रोगी का ऑपरेशन से उपचार किया जा सकता है तो ट्यूमर को दूर करने के लिए ऑपरेशन को उपचार की पहली विधि के रूप में अपनाया जाता है। यह सर्जरी इंडोस्कोपिक से की जाती है अथवाव स्टीरिओटेक्सी से बायोप्सी की जाती है। कैंसर युक्त मेलिनेंट ट्यूमर घातक और कभी जानलेवा हो सकते हैं। दिमाग में ट्यूमर कहां स्थित है और किसी नस को छू तो नहीं रहा चक किस हिस्से पर वत्क कितना प्रभाव है। इस सभी जानकारी के बाद ही डॉक्टर रोगी का उपयार करता है। रोग की जटिलता को देखते हुए यह तय किया जाता है कि मरीज का कौन सा उपचार किया जाये। कभी-कभी कुछ ट्यूमर ऐसे होते हैं जहां तुरंत सर्जरी कर बाद में रेडियोथेरेपी की जाती है।
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