फेफड़ों को स्‍वस्‍थ रखने के लिए करें ये 4 प्राणायाम, संक्रमण से रहेंगे दूर

दुर्भाग्य से, फेफड़ों का स्वास्थ्य अनुचित सांस लेने और प्रदूषण के कारण प्रभावित होता है। अस्वास्थ्यकर फेफड़ों में तपेदिक, श्वसन रोग, खांसी और ब्रोंकाइटिस जैसी कई स्वास्थ्य-संबंधित समस्याएं हो सकती हैं। आप योग का अभ्यास करके फेफड़ों के स्वास्थ्य में सुधार कर सकते हैं। यहां हम आपको कुछ ऐसे प्राणायाम के बारे में बता रहे हैं जिसके माध्‍यम से आप फेफड़ों को स्‍वस्‍थ रख सकते हैं। 
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फेफड़ों को स्‍वस्‍थ रखने के लिए करें ये 4 प्राणायाम, संक्रमण से रहेंगे दूर

प्राणायाम एक सांस लेने का अभ्यास है। यह योग सेशन के तहत किया जाता है। यह श्वसन तंत्र में सुधार करता है, फेफड़ों को मजबूत करता है और रक्त परिसंचरण को बढ़ाता है। श्वसन प्रक्रिया के दौरान हम जिस हवा में श्वास लेते हैं वह हमारे फेफड़ों में जाता है और फिर पूरे शरीर में फैलता है। इस तरह, शरीर को आवश्यक ऑक्सीजन मिलता है। यदि श्वसन कार्य आसानी से काम करता है तो फेफड़े स्वस्थ होते हैं। दुर्भाग्य से, फेफड़ों का स्वास्थ्य अनुचित सांस लेने और प्रदूषण के कारण प्रभावित होता है। अस्वास्थ्यकर फेफड़ों में तपेदिक, श्वसन रोग, खांसी और ब्रोंकाइटिस जैसी कई स्वास्थ्य-संबंधित समस्याएं हो सकती हैं। आप योग का अभ्यास करके फेफड़ों के स्वास्थ्य में सुधार कर सकते हैं। यहां हम आपको कुछ ऐसे प्राणायाम के बारे में बता रहे हैं जिसके माध्‍यम से आप फेफड़ों को स्‍वस्‍थ रख सकते हैं। 

 

  • भस्त्रिका प्राणायाम
  • कपलभाती प्राणायाम
  • अनुलोम-विलोम प्राणायाम
  • उद्गीथ प्राणायाम

भस्त्रिका प्राणायाम

भस्त्रिका प्राणायाम से धमनियों को पर्याप्‍त मात्रा में रक्‍त मिलता है। इससे धमनियों में किसी तरह का ब्‍लॉकेज नहीं होता। इसके साथ ही फेफड़ों की कार्यक्षमता भी बढ़ती है। भस्त्रिका प्राणायाम करने से शरीर में रक्‍त संचार सुचारू होता है। इससे शरीर के अवयव सही प्रकार काम करने लगते हैं। योग मुख्‍य रूप से रोग से बचाने की बात करता है और इलाज की बाद में। भस्त्रिका प्राणायाम करने के लिए दोनों हाथों को सीधा ऊपर उठायें। सांस अंदर लेते हुए ऊपर जाएं और सांस छोड़ते हुए नीचे आएं। आरंभ में इसे दस बार तक करना चाहिये। इसके बाद धीरे-धीरे आप इसकी संख्‍या बढ़ा सकते हैं। एक अन्‍य विधि के द्वारा भी भस्त्रिका किया जा सकता है। इसके लिए अपने हाथों को सामने की ओर करें। सांस भरते हुए दोनों हाथ कंधे के सामने लाएं और सांस छोड़ते हुए दोनों हाथ पीछे ले जाएं। आपकी दोनों कु‍हनियां कंधे के समांतर होनी चाहिये। इस प्राणायाम को धरती पर आसन बिछाकर ही किया जाना चाहिये।

कपलभाती प्राणायाम

शरीर में ऊर्जा का संचार करने और तनाव दूर करने के लिए कपालभाती प्राणायाम करें। इससे पूरे शरीर को सही तरीके से ऑक्‍सीजन मिलता है, इसकी सबसे खास बात यह है कि इसके नियमित अभ्‍यास से नसों में भी ऑक्‍सीजन आसानी से पहुंच जाता है। यह शरीर को विषाक्‍त पदार्थों से मुक्‍त करता है। ब्‍लड प्रेशर के मरीज थोड़ा ध्‍यान दें। इसे करने के लिए सुखासन, सिद्धासन, पद्मासन या किसी भी आसन में बैठ जायें, कमरी सीधी रखें और दोनों हाथों को घुटनों पर रखें और नजर को सीधा रखें। सांस लेते वक्‍त नाभि को अंदर की तरफ ले जायें और सांस बाहर करते वक्‍त नाभि बाहर हो, सांस बाहर आराम से करें। स्थिति सामान्‍य हो और शरीर सीधा रखें। इसे 3 चक्रों में कर सकते हैं।

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अनुलोम-विलोम प्राणायाम

अनुलोम-विलोम प्रणायाम करने से शरीर में वात, कफ, पित्त आदि के विकार दूर होते हैं। रोजाना अनुलोम-विलोम करने से फेफड़े शक्तिशाली बनते हैं। इससे नाडियां शुद्ध होती हैं जिससे शरीर स्वस्थ, कांतिमय एवं शक्तिशाली बनता है। इस प्रणायाम को रोज करने से शरीर में कॉलेस्ट्रोल का स्तर कम होता है। अनुलोम-विलोम करने से सर्दी, जुकाम व दमा की शिकायतों में काफी आराम मिलता है। इसे करने के लिए पद्मासन, सिद्धासन, स्वस्तिकासन अथवा सुखासन में बैठ जाएं। फिर अपने दाहिने हाथ के अंगूठे से नासिका के दाएं छिद्र को बंद कर लें और नासिका के बाएं छिद्र से सांस अंदर की ओर भरे और फिर बायीं नासिका को अंगूठे के बगल वाली दो अंगुलियों से बंद कर दें। उसके बाद दाहिनी नासिका से अंगूठे को हटा दें और सांस को बाहर निकालें। अब दायीं नासिका से ही सांस अंदर की ओर भरे और दायीं नाक को बंद करके बायीं नासिका खोलकर सांस को 8 की गिनती में बाहर निकालें। इस क्रिया को पहले 3 मिनट तक और फिर धीरे-धीरे इसका अभ्यास बढ़ाते हुए 10 मिनट तक करें।

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उद्गीथ प्राणायाम

उद्गीथ प्राणायाम हाई ब्लड प्रेशर यानी उच्च रक्तचाप में लाभदायक होता है। सांसों के द्वारा जब आपके फेफड़ों में शुद्ध ऑक्सीजनयुक्त वायु जाती है, तो यही ऑक्सीजन ब्लड द्वारा शरीर के अंगों तक पहुंचता है। इसलिए ये पूरे शरीर के लिए फायदेमंद है। ॐ के उच्चारण से शरीर में जो फ्रीक्वेंसी पैदा होती है, वो हाई ब्लड प्रेशर के मरीजों के लिए फायदेमंद है इसलिए इसका अभ्यास हाइपरटेँशन की समस्या से छुटकारा दिलाता है। इस प्राणायाम के लिए सबसे पहले चटाई पर पद्मासन या सुखासन की अवस्था में बैठ जाएं। मन को शांत करने के लिए लंबी गहरी सांसे लें। सांस को अन्दर और बाहर छोड़ने की प्रक्रिया लम्बी, धीरे व सूक्ष्म होनी चाहिए। सांसों को अंदर खींचें और धीरे-धीरे छोड़ते हुए ॐ का जाप करें। ध्यान रखें कि जब आप ॐ का उच्चारण करें, तब आपका ध्यान सांसो पर केंद्रित होना चाहिए। इस क्रिया को 5-8 मिनट तक दोहराते रहें। धीरे-धीरे प्राणायाम की अवधि बढ़ाएं।

ध्यान में रखने वाली बातें 

प्रणायाम करते समय नाक से सांस लें, ताकि आप फ़िल्टर हवा में श्वास ले सकें। प्राणायाम के लिए एक स्वच्छ और शांत जगह चुनें। इसके अलावा सुबह खाली पेट अभ्यास करें। 

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