स्पर्श चिकित्सा में शारीरिक और स्वास्थ्य की उर्जा के दोनों पहलुओं को उपयोग में लाया जाता है। इस चिकित्सा का लक्ष्य यह होता है की व्यक्ति खुद को भावनात्मक और शारीरिक रूप से बेहतर महसूस कर पाए। यह एक गैर इनवेसिव प्रकार की थेरेपी होती है, जिसके अंतर्गत शरीर पर बहुत कोमल स्पर्श शामिल होते हैं। इस थेरपी से शरीर का संतुलन सही बना रहता है, और व्यक्ति अपने मन और भावनाओं पर काबू पाना सीखता है। साथ ही खुद को बहुत हल्का भी महसूस करता है। स्पर्श चिकित्सा से दर्द, तनाव व अन्य कई रोगों का उपचार किया जा सकता है।
स्पर्श चिकित्सा का परिचय
स्पर्श चिकित्सा पद्धति मानसिक और शारीरिक समस्याओं से मुक्ति दिलाती है। इसकी सहायता से माइग्रेन, सिरदर्द, शारीरिक दर्द, बुखार, कब्ज, साइनस जैसे रोगों से जल्द छुटकारा मिल पाता है। स्पर्श चिकित्सा पद्धति ऋषि और मुनियों ने कठिन तपस्या से ईजाद की गयी है। माना जाता है कि यही शक्ति भगवान बुद्ध व ईसा मसीह के पास भी थी, जिससे वे इंसानों के रोग दूर करते थे। परंतु समय के साथ यह पद्धति विलुप्त होती गई जिसे संरक्षण की जरूरत भी है।
स्पर्श चिकित्सा से रोगों का इलाज
स्वस्थ शरीर में ही सुंदर मन का वास होता है। यदि शरीर ठीक नहीं हो तो किसी भी काम में मन नहीं लगता। ये कई शंका, कुशंकाओं और तनाव से भर जाता है। इसलिये इन्हें सही करने से पहले शरीर स्वस्थ होना आवश्यक होता है। प्राचीन आध्यात्मिक पद्धतियों में स्पर्श चिकित्सा का बहुत महत्व माना जाता रहा है। व्यवहार जीवन में आपने हम कई बार देखते हैं कि संत महात्माओं के केवल हाथ रख देने मात्र से ही रोग ठीक हो जाते हैं अथवा वे अपनी आंतरिक शक्ति से रोगों को दूर कर देते हैं। कुछ लोगों के अनुसार स्पर्श चिकित्सा साधारण सर्दी, जुकाम रोगों से लेकर घातक रोग जैसे कैंसर तक में लाभदायक सिद्ध हुई है।
स्पर्श चिकित्सा दरअसल प्राण शक्ति पर आधारित होती है। स्पर्श चिकित्सा जिस ऊर्जा से प्रेरित है ये वही शक्ति है जो ब्रह्माण्ड में प्रत्येक जीव की सृष्टी करती है और उसका पोषण करती है। स्पर्श चिकित्सा के बारे में ऋगवेद में भी उल्लेख मिलता है। समय के साथ लोग धीरे-धीरे इसे भूल गये हैं लेकिन जापान और चीन जैसे देशों में इसका प्रचार-प्रसार काफी हुआ है। चीन में इसी ची कहा जाता है तो रूसी लोग इसे बायोप्लामिज्मिक ऊर्जा पुकारते हैं, वहीं जापान में यह रेकी नाम से प्रसिद्ध है।
नकारात्मक ऊर्जा को दिव्य शक्ति द्वारा नष्ट किया जा सकता है। यह ऊर्जा सहस्त्रार से भीतर आती है और आज्ञाचक्र, विशुद्धि चक्र और इसके बाद अनाहत चक्र जो कि हमारे हृदय कि पीछे मौजूद होता है उसे चक्र के माध्यम से हथेलियों में उतरती है। स्पर्श चिकित्सा एक प्रकार की आध्यात्मिक चिकित्सा पद्धति है।
शुरुआत में जब रोगी को यह चिकित्सा दी जाती है, तो इससे पहले अनेक मनोविकार दूर होना शुरू होते हैं। और इनके निकलने के साथ ही व्यक्ति खुद को हल्का महसूस करने लगता है। रोगी को जितनी ऊर्जा की जरूरत होती है उतनी ही ऊर्जा रोगी चिकित्सक की हथेलियों से खींचता है। स्वस्थ होना पूरी तरह से रोगी की इच्छा शक्ति पर ही निर्भर करता है। स्पर्श चिकित्सा की खासियत है कि रोगी सामने ही दूर से बैठकर भी वह चिकित्सा कर सकता है।
स्पर्श चिकित्सा की मदद से मन की तरंगों को बढाया जा सकता है। अगर कोई एक हजार स्तर पर स्फुरण करता है। तो नियमित रूप से स्पर्श चिकित्सा देने पर वह तरंगों को 2800, 3000 तक ऊंचा उठा सकता है। इससे कुण्डलीनी शक्ति जागृत होती है। और सहस्त्रार चक्र पर जा मिलती है, ऐसे में व्यक्ति परम आनंद व कुछ दिव्य अनुभव करता है।
किसी मनुष्य की स्पर्श चिकित्सा करने से मानसिक संतुलन बना रहता है, उसका मन शांत होता है तथा नकारात्मक भावना से मुक्ति मिलती है। साथ ही उसका मनोबल भी बढ़ता है। वहीं इस चिकित्सा से आत्म संतुलन बढ़ता है। ध्यान के माध्यम से व्यक्ति को सही या गलत का निर्णय लेने में मदद मिलती है।