सर्दियों में नवजात को जल्दी घेरता है टॉन्सिलाइटिस संक्रमण, जानें इसके लक्षण और इलाज

टॉन्सिल गले में होने वाली एक ऐसी संक्रामक बीमारी है जो नवजात शिशु को सबसे ज्यादा अपना शिकार बनाती है। 
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सर्दियों में नवजात को जल्दी घेरता है टॉन्सिलाइटिस संक्रमण, जानें इसके लक्षण और इलाज


टॉन्सिल गले में होने वाली एक ऐसी संक्रामक बीमारी है जो नवजात शिशु को सबसे ज्यादा अपना शिकार बनाती है। टॉन्सिल या टॉन्सिलाइटिस होने पर गले के अंदरूनी हिस्से में सूजन और दर्द होता है जिसके कारण खाने-पीने में बहुत परेशानी होती है। कई बार तो ये रोग इतना गंभीर होता है कि बोलने और थूक निगलने में भी तेज दर्द महसूस होता है। गले के अंदरूनी हिस्से में टॉन्सिलाइटिस होता है जो मुंह के रास्ते जाने वाले हानिकारक बैक्टीरिया और वायरस से हमारी रक्षा करता है लेकिन कई बार ये टॉन्सिलाइटिस खुद इंफेक्शन का शिकार हो जाता है। इसी इंफेक्शन को आम भाषा में लोग टॉन्सिल कहते हैं। ये समस्या ज्यादातर छोटे बच्चों को होती है। आइए जानते हैं कैसे दिखते हैं शरीर में इसके लक्षण और क्या हैं इसके कारण और इलाज।

टॉन्सिल के लक्षण

  • गले में खराश होना
  • गले में खराश आना
  • गले में दर्द के साथ बुखार आना
  • जबड़ों के निचले हिस्से में सूजन आना
  • सांसों में बदबू होना
  • गले में दर्द होना
  • खाना खाने या पानी पीने में दर्द होना
  • खाने का स्वाद न मिलना या स्वाद बदला-बदला लगना

किन कारणों से होता है टॉन्सिल

टॉन्सिलाइटिस होने के पीछे कई कारण जिम्मेदार होते हैं। टॉन्सिलाइटिस की समस्या अक्सर तब होती है जब टॉन्सिल्स कमजोर हो जाते हैं। इसके अलावा इम्युनिटी कमजोर होने पर, बहुत गर्म और स्पाइसी फूड खाने से, बहुत ठंडा खाने पर और मुंह की सही से सफाई न करने पर टॉन्सिलाइटिस हो जाता है। कई बार पेट खराब होने पर, कब्ज होने पर या प्रदूषण, धूल आदि के कारण भी टॉन्सिलाइटिस हो जाता है।

टॉन्सिल का उपचार

टॉन्सिल का इलाज घर में करने पर गले को नम करने और डिहाइड्रेशन को रोकने के लिए हर दो घंटे के बाद नमक मिले गर्म पानी से गर्रारे करने चाहिए। अगर टॉन्सिल का कारण बैक्‍टीरियल इंफेक्‍शन हैं तो एंटीबायोटिक का कोर्स निर्धारित किया जाता है। अक्‍सर होने वाला टॉन्सिल, क्रोनिक टॉन्सिल और बैटीरियल टॉन्सिल का उपचार कभी-कभी सर्जरी द्वारा किया जाता है।

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क्या हैं इसकी जटिलताएं

टॉन्सिल में सूजन, सांस लेने में कठिनाई और ऑब्सट्रक्टिव स्लीप एपनिया के रूप में जटिलताएं पैदा कर सकता हैं। कभी कभी, संक्रमण आसपास के ऊतकों में भी फैल सकता है। टॉन्सिल के पीछे मवाद का संग्रह हो जाता है, जिससे ‍टॉन्सिलर   ऐब्सेस हो जाता है। रूमेटिक फीवर और पोस्‍ट-स्ट्रेप्टोकॉकल, ग्लोमेरुलोनेफ्रयटिस सभी टॉन्सिल से होने वाल जटिलताएं हैं।

टॉन्सिल के लिए घरेलू नुस्खे

  • हर्बल चाय पीने से भी टॉन्सिल की समस्या में जल्द राहत मिलती है। टॉन्सिल का कारण टॉन्सिलाइटिस का संक्रमण होता है और हर्बल चाय से इस पर जमे बैक्टीरिया और कीटाणु धीरे-धीरे मर जाते हैं जिससे गले के सूजन में कमी आती है और दर्द ठीक हो जाता है। हर्बल चाय बनाने के लिए आप ग्रीन टी में लौंग, इलायची और दालचीनी मिलाकर पी सकते हैं। इसके अलावा अदरक और शहद वाली चाय भी टॉन्सिल के इलाज में कारगर है।
  • दालचीनी में दर्द कम करने के और शहद में एंटीबैक्टीरियल गुण होते हैं इसलिए ये दोनों टॉन्सिल के रोग में फायदेमंद होते हैं। इसके लिए थोड़ी सी दालचीनी को पीस लें। अब दो चुटकी दालचीनी को एक चम्मच शहद में मिलाकर दिन में तीन बार सेवन करें। इससे दर्द और सूजन में राहत मिलेगी और संक्रमण कम होगा।
  • दालचीनी में दर्द कम करने के और शहद में एंटीबैक्टीरियल गुण होते हैं इसलिए ये दोनों टॉन्सिल के रोग में फायदेमंद होते हैं। इसके लिए थोड़ी सी दालचीनी को पीस लें। अब दो चुटकी दालचीनी को एक चम्मच शहद में मिलाकर दिन में तीन बार सेवन करें। इससे दर्द और सूजन में राहत मिलेगी और संक्रमण कम होगा।

  • कई बार टॉन्सिल का कारण शरीर में आयोडीन की कमी भी होती है। सिंघाड़ा में आयोडीन पाया जाता है इसलिए इसके सेवन से टॉन्सिल की समस्या में राहत मिलती है। इसे आप कच्चा भी खा सकते हैं और उबालकर भी खा सकते हैं। इसके अलावा सिंघाड़े को छीलकर इसे साफ पानी में उबाल लें। अब इस सिंघाड़े वाले पानी से गरारा करने पर भी टॉन्सिल की समस्या ठीक हो जाती है।

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