कई बच्चे लोगों के साथ बात करने या घुलने-मिलने में घबराते हैं। कुछ बच्चे ऐसे भी होते हैं जो फैमिली और दोस्तों के साथ तो खूब बात करते हैं लेकिन स्कूल में टीचर्स के सामने नहीं बोल पाते या रिश्तेदारों के सामने बोलने में घबराते हैं। ऐसे बच्चों को शर्मीला मान लिया जाता है। लेकिन जरूरी नहीं कि ऐसे बच्चे शर्मीले ही हों। कई बार बच्चे कुछ खास लोगों के सामने या खास स्थितियों में बोलने से डरते हैं। इसे सेलेक्टिव म्यूटिज्म (Selective Mutism) कहा जाता है। अगर आपका बच्चा भी लोगों के बीच जाने या बोलने से घबराता है, तो कुछ खास तरीकों से आप उसकी मदद कर सकते हैं। इन टिप्स को फॉलो करने से बच्चे में कॉन्फिडेंस आएगा और वो दूसरों के सामने खुद को व्यक्त कर पाएगा।
सवाल करें और बात करने दें
बच्चे कई बार खुद से कोई बात शुरू करने से डरते हैं। ऐसे में जब आपका बच्चा दूसरों के सामने हो और कोई बात न कर रहा हो, तो बातचीत शुरू करने के लिए आप उससे छोटे-छोटे सवाल करें और उसे जवाब देने दें। आप ऐसे सवाल कर सकते हैं, जिनके जवाब उन्हें बड़े वाक्यों के साथ देने पड़ें। इस तरह बच्चे की झिझक कम होगी और उसमें बोलने का कॉन्फिडेंस आएगा।
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एक्टिंग करने या डायलॉग्स कॉपी करने को कहें
आप फन टाइम में या मूवीज, टीवी सीरियल्स देखते समय बच्चे को किसी खास कैरेक्टर की एक्टिंग करने या डायलॉग्स कॉपी करने के लिए बोल सकते हैं। घर के सदस्यों के बीच अक्सर बच्चे नहीं शर्माते हैं और इस तरह की फन एक्टिविटीज आसानी से कर लेते हैं। ये प्रैक्टिस धीरे-धीरे उनमें बोलने और बात करने की प्रेरणा जगाएगी।
बच्चे की नए दोस्त बनाने में करें मदद
अगर आपका बच्चा बहुत ज्यादा शर्मीला है और किसी के सामने भी जाने या बात करने में घबराता है, तो उसकी ये घबराहट उसके दोस्त कम कर सकते हैं। बच्चे अक्सर दोस्तों के साथ ज्यादा कंफर्टेबल होते हैं, इसलिए उनके सामने खुलकर मन की बात बोल पाते हैं। इसलिए आप अपने बच्चे की नए दोस्त बनाने में मदद कर सकते हैं। इसके लिए घर पर छोटी पार्टी रख सकते हैं, बच्चे को बाहर जाकर दूसरे बच्चों के साथ खेलने के लिए प्रेरित कर सकते हैं या दूसरे बच्चों को अपने घर ग्रुप स्टडी के लिए इनवाइट कर सकते हैं।
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दूसरों के सामने उसे शर्मीला न कहें
आपका बच्चा भले ही शर्मीला है, लेकिन ध्यान रखें कि आप दूसरो के सामने उसे शर्मीला, चुप्पा, कम बात करने वाला, चुप रहने वाला आदि न कहें। इस तरह की बातें कहने से बच्चों में अक्सर रहा-सहा कॉन्फिडेंस भी कम हो जाता है और वो खुद को इसी तरह का मानने लगते हैं। इसके बजाय दूसरों के सामने उसे खोलने के लिए आप उन्हें बोलने के लिए प्रोत्साहित करें। उसे नए लोगों से मिलाएं और दूसरों के सामने उसकी तारीफ करें।
मदद करने और खुद के लिए बोलना सिखाएं
बच्चे में बचपन से ही ये आदत डालें कि वो दूसरो के मदद मांगने पर उनकी मदद करे, खुद किसी परेशानी में होने पर दूसरों की मदद मांगे और अगर कोई उसके साथ गलत कर रहा है, तो उसके खिलाफ बोले या आवाज उठाए। इस तरह की आदतों से बच्चे की झिझक, डर और शर्मीलापन कम होता है। बच्चे को सिखाएं कि स्कूल, मुहल्ले, परिवार या रिश्तेदारों में जहां कहीं भी उसे किसी अन्य की वजह से कोई परेशानी आ रही है, तो वो स्थिति को झेलकर आकर आपसे बताने के बजाय अपने लिए खुद आवाज उठाए।
इस तरह इन टिप्स को फॉलो करके आप अपने बच्चे में दूसरों के सामने बोलने, बात करने और खुद को एक्सप्रेस करने का कॉन्फिडेंस जगा सकते हैं।
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