ये खास ट्यूमर हो सकता है बच्चों में किडनी कैंसर का शुरुआती लक्षण

विल्स ट्यूमर बच्चों में पाया जाने वाला सबसे आम कैंसर है। कैंसर के हर 10 में से 9 बच्चों को विल्स ट्यूमर ही होता है।
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ये खास ट्यूमर हो सकता है बच्चों में किडनी कैंसर का शुरुआती लक्षण


दुनिया की सबसे गंभीर और खतरनाक बीमारियों में कैंसर का नाम भी शामिल है क्योंकि हर साल लाखों लोग इस बीमारी से मरते हैं। शरीर में कैंसर की शुरुआत के समय ही अगर इसका पता चल जाए तो इसका सफल इलाज संभव है मगर समय बीतने के साथ-साथ इसका इलाज मुश्किल और खर्चीला होता जाता है। शरीर में कैंसर की शुरुआत तब होती है जब कोई एक या एक से ज्यादा सेल लगातार बढ़ने लगती है। विल्स ट्यूमर कैंसर की एक शुरुआती स्टेज है जो किडनी में होता है। इसका सबसे ज्यादा खतरा बच्चों में होता है। इस ट्यूमर का नाम जर्मन डॉक्टर मैक्स विल्स के नाम पर पड़ा है, जिन्होंने इस रोग के बारे में सबसे पहले 1899 में पता लगाया था।

बच्चों में कैंसर का सबसे आम रूप

विल्स ट्यूमर बच्चों में पाया जाने वाला सबसे आम कैंसर है। कैंसर के हर 10 में से 9 बच्चों को विल्स ट्यूमर ही होता है। आमतौर पर ये ट्यूमर एक ही तरफ की किडनी को प्रभावित करता है। कुछ मामलों में एक ही किडनी में एक से ज्यादा ट्यूमर भी पाए जाते हैं जबकि कुछ मामलों में बच्चों की दोनों किडनियों में ये ट्यूमर होने की संभावना होती है। कई बार शुरुआत में इस ट्यूमर के लक्षण दिखाई नहीं देते हैं और ये अंदर ही अंदर बढ़ता रहता है। हालांकि इस ट्यूमर के छोटे हिस्से की जांच किए बिना ये बताना मुश्किल होता है कि ये विल्स ट्यूमर है और बच्चे में कैंसर की शुरुआत हो चुकी है।

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कैसे बढ़ता है ये ट्यूमर

 

जब किडनी के सेल्स नियंत्रण से बाहर होकर लगातार बढ़ने लगते हैं, तो कुछ सेल्स इकट्ठी होकर कठोर हो जाती हैं। यही ट्यूमर है और इसका रंग भूरा होता है। यह ट्यूमर सामान्यत: चिकना और साफ होता है। जैसे–जैसे यह गांठ बढ़ती जाती है विल्म्स ट्यूमर किडनी के सामान्य आकार को बदल देता है। यह सामान्य किडनी के टिश्यूज को भी नष्ट करता है और इसके कारण यूरीन से रक्त आता है। कुछ स्थितियों में ट्यूमर इतना बड़ा हो जाता है कि यह बच्चे के पेट में किसी मजबूत बड़ी गांठ की तरह दिखता है। चिकित्सा के उचित उपचार के बिना विल्म्स ट्यूमर किडनी के बाहर भी फैल सकता है और इसके फैलने की सम्भावना मुख्यत: फेफड़े और लीवर में होती है।

किनको होता है ज्यादा खतरा

यह लड़कों की तुलना में लड़कियों में ज्‍़यादा होता है। यह कैंसर का सबसे आम प्रकार है और यह 2 साल से लेकर 15 साल के बीच के बच्चों में पाए जाते हैं, लेकिन 3 से 4 साल के आयु वर्ग के बच्चों को ज्‍यादा प्रभावित करता हैं। विल्‍म्‍स ट्यूमर की घटना 5 साल की उम्र के बाद कम हो जाती है और वयस्कों में तो बहुत कम दिखाई देती है। अगर बच्चे में विल्म्स ट्यूमर की पुष्टि होती है तो बच्चों के विशेषज्ञ द्वारा पैथालाजिकल जांच भी करायें। बच्चे जिनमें जन्म दोष होता है, उनमें विल्म्स ट्यूमर के होने की सम्भावना अधिक रहती है। आपके परिवार में पहले किसी को विल्म्स ट्यूमर या किसी प्रकार का कैंसर हुआ है या किसी करीबी रिश्तेदार को कम उम्र में यह समस्या हुई हो। तो इसका पूर्वानुमान लगाया जा सकता है।

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इस कैंसर के लक्षण

बच्चे के पेट में एक तरफ अत्यधिक सूजन का होना परन्‍तु ऐसा भी हो सकता है कि इस प्रकार की गांठ किसी प्रकार की तकलीफ ना दे। ऐसी किसी भी प्रकार की सूजन के दिखने पर तुरन्‍त अपने डाक्‍टर से संपर्क करें। अगर 5 साल तक के बच्‍चे के पेट में दर्द हो रहा है और दर्द लगातार कई दिनों तक बना हुआ है और अक्‍सर उल्टियां भी हो रही हो तो तुरन्‍त डाक्‍टर से संपर्क करें।
यदि आपके बच्‍चे के यूरीन में ब्‍लड आ रहा है तो भी इस कैंसर की संभावना बढ़ जाती है। हाई ब्लेड प्रेशर( हाइपरटेंशन), जो कि तब होता है जब ट्यूमर किडनी में रक्त का संचय रोक देता है, तो बिना किसी देरी के अपने डाक्‍टर से संपर्क करें।

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