सभी मां-बाप चाहते हैं कि उनके बच्चे स्वस्थ रहें। इसके लिए मां-बाप बच्चों को अच्छी से अच्छी चीजें खिलाते हैं और साफ-सफाई का ध्यान रखते हैं। बच्चों को बीमारियों से बचाने के लिए समय-समय पर टीके लगवाना और जरूरी एहतियात बरतना भी नहीं भूलते हैं। मगर फिर भी बच्चे आए दिन तमाम तरह की बीमारियों का शिकार होते रहते हैं। इसका एक बड़ा कारण यह है कि मां-बाप बच्चों को बीमारियों से बचाने के लिए अपनी तरफ से तो तमाम प्रयास करते हैं, मगर बच्चों को इस बारे में नहीं सिखाते हैं। जबकि ज्यादातर बीमारियां बच्चों की अपनी गलत आदतों के कारण फैलती हैं।
छोटे बच्चों की इम्यूनिटी बहुत कमजोर होती है, इसलिए बच्चे बीमारियों का शिकार जल्दी होते हैं। मगर यदि आप बच्चों को स्वस्थ रखना चाहते हैं और बीमारियों को उनसे दूर रखना चाहते हैं, तो आप अपने बच्चों को ये 4 अच्छी आदतें सिखा सकते हैं।
रोजाना ब्रश करना सिखाएं
आमतौर पर जब बच्चों के दांत आ जाते हैं, तो आपको उन्हें ब्रश कराने लगना चाहिए। जब बच्चे 3-4 साल के हो जाएं, तो बेहतर होगा कि आप उन्हें खुद से ब्रश करना सिखाएं। बच्चों को बताएं कि वो दिन में कम से कम 2 बार अच्छी तरह ब्रश जरूर करें। यहां यह ध्यान देने की बात है कि बच्चों को बड़ों वाले टूथपेस्ट का इस्तेमाल नहीं कराना चाहिए क्योंकि उसमें फ्लोराइड की मात्रा ज्यादा होती है। बल्कि बाजार में बच्चों के लिए स्पेशल टूथपेस्ट आते हैं, केवल उन्हीं का इस्तेमाल करना चाहिए। हाथों के बाद दांत ही सबसे संवेदनशील अंग हैं, जिनसे इंफेक्शन और बीमारियां फैलती हैं।
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हाथ धोने का सही तरीका बताएं
बच्चों को बचपन से ही इस बात की आदत डलवाएं कि वो शौच के बाद, खाना खाने से पहले और कोई भी गंदी चीज छूने के बाद हाथों को साबुन या लिक्विड हैंड वॉश से जरूर धोएं। यही नहीं, बच्चों को यह भी बताएं कि हाथ धोने का सही तरीका क्या हैं, क्योंकि बहुत सारे बच्चे हाथ तो धोते हैं, मगर गलत तरीके से। इसके लिए बच्चों को टॉयलेट सिंक के सामने खड़ा करके खुद ही हाथ धोकर दिखाएं। हाथ धोने का सही तरीका यह है कि साबुन लगाने के बाद झाग को कम से कम 30 सेकंड तक अच्छी तरह दोनों हाथों में आगे-पीछे मलते रहना है और फिर सादे पानी से हाथ धो लेना है। इसके अलावा यह भी ध्यान रखें कि हाथ धोने के बाद बच्चे हमेशा साफ तौलिये में ही हाथ पोछें।
टॉयलेट ट्रेनिंग दें
बच्चों को पॉटी की ट्रेनिंग देना बहुत जरूरी है। आमतौर पर 3 साल का होने पर बच्चों को पॉटी ट्रेनिंग दी जा सकती है। इसके लिए बच्चों को सबसे पहले अपने से टॉयलेट सीट को एडजस्ट करना, उस पर सही से बैठना और फिर शौच करना सिखाएं। इसके बाद सबसे जरूरी बात ये है कि बच्चों को फ्लश करना चाहिए। ऐसा करने पर जब आपका बच्चा स्कूल जाना शुरू करता है, तो उसके पास इन बातों की बेसिक समझ होती है कि सार्वजनिक शौचालय का इस्तेमाल कैसे करना है और इस दौरान बीमारियों और बैक्टीरिया को कैसे रोकना है। ध्यान दें बच्चों को यह भी समझाएं कि वो टॉयलेट की चीजों को बेवजह न छुएं क्योंकि इनमें बहुत ज्यादा बैक्टीरिया और वायरस हो सकते हैं, जो उन्हें बीमार बना सकते हैं।
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अंडर गारमेंट्स चेंज करना
कई बार ऐसा होता है कि बच्चे रेगुलर नहीं नहाते हैं, खासकर सर्दियों के मौसम में। छोटे बच्चे कपड़े पहनने के लिए आमतौर पर किसी बड़े की ही मदद लेते हैं। मगर यदि आपका बच्चा 4-5 साल का हो गया है, तो वो स्वयं से कपड़े बदल सकता है। इसलिए बच्चों को ये बात जरूर सिखाएं कि वो सप्ताह में कम से कम 3 दिन जरूर नहाएं और अंडर गारमेंट्स को रोजाना बदलें। छोटे बच्चे हों या वयस्क हों, अंडर गारमेंट्स के द्वारा बहुत सारी बीमारियां फैल सकती हैं। इसलिए सावधान रहना जरूरी है।
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