स्वाइन फ्लू एक संक्रामक बीमारी है। इसके वायरस एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति तक छींक, थूक, मल आदि के माध्यम से तेजी से फैलते हैं। स्वाइन फ्लू के लक्षण आमतौर पर सामान्य फ्लू जैसे ही होते हैं, यानी इस रोग में भी बुखार आता है और जुकाम जैसा महसूस होता है। बच्चों को स्वाइन फ्लू का खतरा ज्यादा होता है। अगर किसी बच्चे या बड़े के गले में जलन हो, उसे सांस लेने में समस्या हो और लगातार कई दिनों तक बुखार आ रहा हो, तो उसे डॉक्टर से जांच जरूर करवानी चाहिए।
स्वाइन फ्लू के लक्षण
- बुखार या बढ़ा हुआ तापमान (38°C/100.4°F से अधिक)
- अत्यधिक थकान
- सिरदर्द
- ठण्ड लगना या नाक निरंतर बहना
- गले में खराश
- कफ
- सांस लेने में तकलीफ
- भूख कम लगना
- मांसपेशियों में बेहद दर्द
- पेट खराब होना, जैसे कि उल्टी या दस्त होना
एक ऐसा व्यक्ति जिसे बुखार या तापमान ( 38°C/100.4°F से अधिक ) तक हो, और उपर बताये गए लक्षणों में से दो या दो से अधिक लक्षण दिखाई दे रहे हों, तो वह व्यक्ति स्वाइन फ्लू से संक्रमित हो सकता है।
कब करें डॉक्टर से संपर्क
- यदि आपको कोई गंभीर बीमारी है, (जैसे कैंसर, किडनी की गंभीर बीमारी) जो कि आपके प्रतिरक्षा तंत्र को कमज़ोर बनाती हो,
- यदि आप गर्भवती हैं,
- यदि आपका बीमार बच्चा एक साल से कम उम्र का हो,
- यदि आपकी बीमारी अचानक पहले से अधिक गंभीर होने लगी हो,
- यदि आपके लक्षण साफ-साफ दिखाई दे रहे हों। या 16 वर्ष से कम उम्र के बच्चों की हालत में पांच या सात दिनों के बाद भी कोई सुधार नहीं हो रहा हो ।
बच्चों में ये लक्षण नजर आने पर फौरन डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए -
- बहुत जल्दी जल्दी सांस लेना या सांस लेने में तकलीफ
- त्वचा का नीला रंग होना
- पर्याप्त मात्रा में तरल पदार्थ का इस्तेमाल न करना ,
- आलसपन
- बहुत चिडचिडापन या गोद में पकड़ने पर भी रोना बंद न करें,
- फ्लू के जैसे लक्षणों का सुधार के बाद भी फिर से दिखना और बुखार और कफ का और भी बिगडना,
- खुजली के साथ बुखार
यदि वयस्कों में निम्नलिखित लक्षण दिखाई दें
- बहुत जल्दी जल्दी सांस लेना या सांस लेने में तकलीफ
- छाती या पेट में दर्द या भारीपन
- चक्कर आना
- कुछ न सूझना
- लगातार या बेहद उल्टी आना
- फ्लू के जैसे लक्षणों का सुधार के बाद भी फिर से दिखना और बुखार और कफ का और भी बिगडना,
स्वाइन फ्लू के संक्रमण से पैदा होनेवाली गंभीर स्थिति
किसी भी प्रकार के फ्लू से पैदा होनेवाली सबसे साधारण गंभीर स्थिति श्वास प्रश्वास क्षेत्र का दूसरे दर्जे का जीवाणु संक्रमण है, जैसे कि ब्रांगकाइटस (वायुमार्ग का संक्रमण) या न्यूमोनिया । ये संक्रमण अधिकतर लोगों में प्रतिजैविक (ऐन्टिबाइआटिक) द्वारा पूरी तरह से ठीक हो जाते हैं, लेकिन कभी कभी ये संक्रमण जानलेवा भी बन सकते हैं।
संक्रमण की वजह से कई बार टान्सलाइटिस (तुण्डिका-शोध) – (टांसिल का संक्रमण) ओटिटिस मीडिआ - ( कान में संक्रमण) सेप्टिक शॉक - (खून का संक्रमण जो कि खून के दबाव को नीचे गिराने का कारण बनता है. और ये जानलेवा भी साबित हो सकता है।) मस्तिष्क ज्वर - ( दिमाग और रीढ की हड्डी को ढंकने वाली झिल्ली का संक्रमण) और एन्सेफलाइटस - (मस्तिष्ककोप) – (मस्तिष्क में जलन या सूजन) जैसी समस्यायें भी हो सकती हैं। हालांकि इनकी संभावना बहुत कम होती है।
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