आंतों की टीबी एक खतरनाक बीमारी है जबकि ज्यादातर लोगों को केवल फेफड़े की टीबी के बारे में ही पता होता है। आंतों की टीबी के बारे में लोगों को कोई जानकारी नहीं होती है। इस बीमारी के लक्षण क्रोंस बीमारी से मिलते-जुलते हैं। कई बार तो स्वयं डॉक्टर आंतों के टीबी और क्रोंस के अंतर को नहीं समझ पाते जिसकी वजह से गलत इलाज चलता है और इस कारण ये बीमारी धीरे-धीरे बढ़ता जाती है। इसलिए इस बीमारी के बारे में जानकारी जरूरी है।
आंतों की टीबी के लक्षण
- बार-बार लूज मोशन आना
- मल के साथ खून या मवाद आना
- कब्ज का बहुत समय तक ठीक न होना
- पेट में दर्द के साथ उल्टी आना और मितली होना
- पेट की झिल्ली में पानी भरने से पेट का फूलने लगना
- पेट में हवा का कोई गोला इधर-उधर घूमता हुआ महसूस करना
- अचानक वजन कम होने लगना
- शौच में बहुत ज्यादा बदबू आने लगना
- अचानक से भूख कम लगना
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आंतों की टीबी से बचाव के उपाय
- आंतों की टीबी का एक प्रमुख कारण दूध को बिना उबाले पीना है इसलिए दूध हमेशा उबालकर ही पियें। कच्चा दूध पीने से आंतों की टीबी का खतरा होता है।
- शराब, बीड़ी, सिगरेट, गुटखा, सिगार आदि नशीले पदार्थों का सेवन बंद कर दें, ये सेहत के लिए खतरनाक होते हैं।
- डायबिटीज के रोगियों को भी इस बीमारी से खतरा होता है क्योंकि उनके शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता कम हो जाती है।
- फेफड़ों की टीबी से भी ये रोग आंतों तक पहुंच सकता है।
- फेफड़ों की बीमारी वाले मरीज के खांसते समय उससे दूर रहें।
- धूम्रपान वाली चीजों को टीबी के मरीज से शेयर करने पर भी ये बीमारी हो सकती है।
- ज्यादा मिर्च, मसाले वाले खानों से भी आंतों की टीबी हो सकती है। भोजन में लाल मिर्च की जगह हरी मिर्च का प्रयोग सेहत के लिए ज्यादा अच्छा है।
- अपने आहार में ऐसी चीजें शामिल करें जो शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाते हैं।
- रोग प्रतिरोधक क्षमता के कमजोर होने से इस बीमारी के वायरस आसानी से आपको अपना शिकार बना सकते हैं।
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