हियरिंग लॉस के लक्षणों के बारे में जानें

अचानक से सुनाई कम देना या किसी के द्वारा बोली हुई बात एक बार में सुनाई ना देना हियरिंग लॉस का लक्षण हो सकता है। ऐसे ही कई अन्य लक्षणों के बारे में जानने के लिए पढ़ें।
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हियरिंग लॉस के लक्षणों के बारे में जानें


बढ़ती उम्र के साथ ही आपकी सुनने की क्षमता भी कम होती जाती है। लंबे समय तक तेज आवाज वाली जगह पर काम करने वाले लोग, जैसे मजदूर, फैक्ट्री में काम करने वाले , कार मैकेनिक की सुनने की क्षमता जल्दी कम हो जाती है। कभी-कभी यह समस्या जन्मजात व किसी बीमारी या दवाई के साइड इफेक्ट से भी हो सकती है।

कान हमारे शरीर का महत्वपूर्ण हिस्सा होता है। तेज आवाज के बीच ज्यादा समय बीताना ना सिर्फ कानों के लिए नुकसानदेह होता है बल्कि सुनने की क्षमता पर भी असर डालता है। जानिए किस तरह के लक्षण दिखाई देते हैं जब सुनाई देना कम हो जाता है।
hearing loss

लक्षण


सुनने की क्षमता में कमी आने के शुरुआती लक्षण बहुत साफ नहीं होते , लेकिन यहां ध्यान देने की बात यह है कि सुनने की क्षमता में आई कमी वक्त के साथ धीरे-धीरे और कम होती जाती है। ऐसे में जितना जल्दी हो सके , इसका इलाज करा लेना चाहिए। नीचे दिए गए लक्षण हैं तो डॉक्टर से मिलना चाहिए।

  • सामान्य बातचीत सुनने में दिक्कत होना , खासकर अगर शोर-शराबे वाली जगह पर।
  • बातचीत में बार-बार लोगों से पूछना कि उन्होंने क्या कहा।
  • फोन पर सुनने में दिक्कत होना।
  • बाकी लोगों के मुकाबले ज्यादा तेज आवाज में टीवी या म्यूजिक सुनना।
  • प्राकृतिक आवाजों को न सुन पाना जैसे बारिश या पक्षियों के चहचहाने की आवाज।
  • नवजात बच्चे का आवाज न सुन पाना।

 

 

इलाज

  • इन्फेक्शन की वजह से सुनने की क्षमता में कमी आई है , तो इसे दवाओं से ठीक किया जा सकता है।
  • अगर पर्दा डैमेज हो गया है , तो सर्जरी करनी पड़ती है। कई बार पर्दा डैमेज होने का इलाज भी दवाओं से ही हो जाता है।
  • नर्व्स में आई किसी कमी की वजह से सुनने की क्षमता में कमी आई तो जो नुकसान नर्व्स का हो गया है , उसे किसी भी तरह वापस नहीं लाया जा सकता। ऐसे में एक ही तरीका है कि हियरिंग एड का इस्तेमाल किया जाए। हियरिंग एड फौरन राहत देता है और दिक्कत को आगे बढ़ने से भी रोकता है। ऐसी हालत में हियरिंग एड का इस्तेमाल नहीं करते , तो कानों की नर्व्स पर तनाव बढ़ता है और समस्या बढ़ती जाती है।
  • अगर कान की कोई समस्या नहीं है और सुनाई ठीक देता है तो आंखों की तरह कानों के रेग्युलर चेकअप की कोई जरूरत नहीं है।हालांकि कुछ डॉक्टरों का यह भी मानना है कि अगर आपकी उम्र 30 से 45 साल के बीच है और आपको लगता है कि आपकी सुनने की क्षमता ठीक है , तो भी दो साल में एक बार कानों का चेकअप करा लें।
  • 50 साल की उम्र के आसपास कान की नसें कमजोर होने की शिकायत हो सकती है , इसलिए 50 साल के बाद साल में एक बार कानों का चेकअप करा लें।
  • चेकअप के लिए अगर आप ईएनटी विशेषज्ञ के पास जा रहे हैं तो वह आपके कान के पर्दे आदि की जांच करेगा , लेकिन कान की संवेदनशीलता और उसके सुनने के टेस्ट के लिए ऑडियॉलजिस्ट के पास भी जा सकते हैं।

ear problem

 

सावधानी

  • पैदा होते ही बच्चे के कानों का टेस्ट कराएं। 45 साल की उम्र के बाद कानों का रेग्युलर चेकअप कराते रहें।
  • अगर शोरगुल वाली जगह मसलन फैक्ट्री आदि में काम करते हैं तो कानों के लिए प्रोटेक्शन जरूर लें। ईयर प्लग लगा सकते हैं।
  • 90 डेसिबल से कम आवाज कानों के लिए ठीक है। 90 या इससे ज्यादा डेसिबल की आवाज कानों के लिए नुकसानदायक होती है।
  • आईपॉड , एमपी 3 प्लेयर को हेडफोन या ईयरबड्स की मदद से जरूरत-से-ज्यादा आवाज पर और लगातार लंबे वक्त तक सुनना हमारी सुनने की क्षमता को बिगाड़ सकता है।
  • म्यूजिक सुनते वक्त वॉल्यूम हमेशा मीडियम या लो लेवल पर रखें , लेकिन कई बार बाहर के शोर की वजह से आवाज तेज करनी पड़ती है। तेज आवाज में सुनने से कानों को नुकसान हो सकता है इसलिए शोरगुल वाली जगहों के लिए शोर को खत्म करने वाले ईयरफोन का इस्तेमाल कर सकते हैं , लेकिन आवाज कम ही रखें।
  • म्यूजिक या मोबाइल सुनने के लिए ईयरबड्स भी आती हैं और हेडफोंस भी। ईयर बड्स कान के अंदर कैनाल में घुसाकर लगाए जाते हैं , जबकि हेडफोन कान के बाहर लगते हैं। ईयर बड्स की तुलना में हेडफोन बेहतर है।

 

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