सूर्य ग्रहण 2019: सूरज को मेंढक निगल गया, भेड़िया खा गया जानें कुछ ऐसी है सूर्य ग्रहण से जुड़ी रोचक कहानियां

दुनियाभर में सूर्य ग्रहण को लेकर कई मान्यताएं हैं, जिनमें से कुछ बहुत ही रोचक हैं। इस लेख में जानें आखिर ग्रहण के पीछे क्या तर्क देते हैं लोग। 
  • SHARE
  • FOLLOW
सूर्य ग्रहण 2019: सूरज को मेंढक निगल गया, भेड़िया खा गया जानें कुछ ऐसी है सूर्य ग्रहण से जुड़ी रोचक कहानियां

सूर्य ग्रहण का नाम आते ही लोगों के मन में एक प्रकार का भय और उत्सुकता दोनों ही जाग जाती है। इसके साथ ही ग्रहण को लेकर सदियों से कई प्रकार के मिथ और अंध विश्वास भी जुड़े हुए हैं। और तो और इतनी वैज्ञानिक खोजों के बाद भी लोगों के मन में आज भी ऐसी कई मान्यताएं हैं, जिनपर वह विश्वास करते आ रहे हैं। मौजूदा वक्त में भी कई संस्कृतियों में सूर्य ग्रहण को एक अशुभ शगुन माना गया है। इस लेख के जरिए हम आपको सूर्य ग्रहण से जुड़ी कुछ रोचक जानकारियां देने जा रहे हैं कि दुनियाभर में लोगों की सूर्य ग्रहण को लेकर क्या मान्यताएं हैं।

solar eclipse

सूर्य ग्रहण से जुड़ी प्राचीन मान्यताएं 

प्राचीन संस्कृतियों में यह जानने का प्रयास किया गया कि कैसे सूर्य आसमान से आंशिक रूप से गायब हो जाता है, जिसके जवाब में कई कारण सामने आए जिनकी वजह से सूर्यग्रहण होता है। कई संस्कृतियों में सूर्य ग्रहण, सूरज को खाने या फिर गुम हो जाने से जोड़ा गया है। जबकि कुछ में इसे भगवान के गुस्सा होने का संकेत बताया गया है। 

वियतनाम में लोगों का मानना है कि सूर्य ग्रहण एक विशाल मेंढक द्वारा सूर्य को खा जाने के कारण होता है जबिक नोर्स संस्कृति में सूर्य को खाने के लिए भेड़ियों को जिम्मेदार ठहराया है। चीन में प्राचीन समय के मुताबिक, एक बड़ा ड्रेगन दोपहर के भोजन सूर्य पर करने गया था, जिसके कारण सूर्य ग्रहण होता है। इतना ही नहीं ग्रहण का चीनी शब्द चीह और शीह है, जिसका मतलब होता है खाना। 

वहीं हिंदू मान्यता के मुताबिक, भगवान ने देवता राहु को अमृत का वरण करने और उसे पीने के लिए सिर कलम कर दिया था। जिसके बाद राहु का सिर आकाश में उड़ता हुआ सूर्य को निगल गया, जिसके कारण ग्रहण हुआ।

वहीं कोरियाई देशों में सूर्य ग्रहण के लिए एक और कारण दिया गया। इन्होंने बताया कि सूर्य ग्रहण इसलिए होता है क्योंकि कुत्ते सूर्य को चुराने का प्रयास कर रहे हैं।

इसके अलावा एक और मान्यता जो सूर्य ग्रहण से जुड़ी हुई है, वह ये है कि कई संस्कृतियों में लोग सूर्य ग्रहण के दौरान मिलकर घड़ों और बर्तनों को बजाते हैं और जोर-जोर से आवाज निकालते हैं। ऐसा माना जाता है कि जोर-जोर से आवाज करने से दैत्य डर जाता है और ग्रहण दूर हो जाता है।

इसे भी पढ़ेंः साल का आखिरी सूर्यग्रहण आज, जानें ग्रहण के दौरान कैसे रखें अपने स्वास्थ्य का ख्याल

गुस्सैल सूर्य

प्राचीन वक्त में ग्रीक लोगों का मानना था कि सूर्य ग्रहण, भगवान के गुस्सा होने का एक संकेत है और यह विनाश व आपदा की शुरुआत है। वहीं अमेरिका के न्यू मेक्सिको में रहने वाली टीवा प्रजाति का मानना है कि सूर्य ग्रहण, गुस्साएं सूर्य का एक संकेत है, जो गुस्से में आसमान छोड़कर अपने घर कहीं किसी कोने में चला जाता है।

सूरज और चांद में झगड़ा

कई सभ्यताओं में सूर्य ग्रहण की एक अलग मान्यता है, जिसके मुताबिक, सूर्य देवी मलिना, चांद देवता अनिंगान से झगड़ा कर दूर चली जाती हैं। सूर्य ग्रहण तब होता है जब अनिंगन अपनी बहन के साथ मिलकर उन्हें मनाने जाते हैं।

वहीं बेनिन और टोगो में रहने वाले बाटाम्मालिबा सूर्य ग्रहण को एक सबक के रूप में मानते हैं। उनकी मान्यता के मुताबिक, सूर्य ग्रहण का मतलब है कि सूरज और चांद झगड़ा कर रहे हैं और दोनों को एक-दूसरे को नुकसान पहुंचाने व उन्हें रोकने का एकमात्र तरीका है कि पृथ्वी पर रह रहे लोग अपने आपस के सभी मतभेद सुलझा लें।

इसे भी पढ़ेंः क्‍या चंद्रग्रहण से गर्भ पर बुरा असर पड़ता है? जानें क्‍या है एक्‍सपर्ट की राय

solar eclipse

आधुनिक समय के मिथ

सूर्य ग्रहण का डर आज भी मौजूद है। विश्व भर में अभी भी बहुत से लोग ग्रहण को बुराई का संकेत समझते हैं, जिसके कारण मौत, विनाश और आपदा आती है।

एक प्रसिद्ध धारणा है कि सूर्य ग्रहण गर्भवती महिलाओं और उनके पेट में पल रहे बच्चों के लिए खतरनाक हो सकता है। कई संस्कृतियों में बच्चों और गर्भवती महिलाओं को सूर्य ग्रहण के दौरान घरों के अंदर रहने के लिए कहा जाता है।

भारत के कई राज्यों में लोग सूर्य ग्रहण के दौरान उपवास रखते हैं क्योंकि उनका मानना है कि ग्रहण के दौरान पकाया हुआ भोजन जहर और अशुद्ध समान होता है।

सूर्य ग्रहण से जुड़े सभी मिथ आपकी सेहत के लिए नुकसान वाले नहीं है। उदाहरण के लिए इटली में ऐसा विश्वास है कि सूर्य ग्रहण के दौरान लगाए गए पौधे सुंदर होते हैं और साल के दूसरे वक्त में लगाए गए फूलों के मुकाबले ज्यादा रंगभरे होते हैं।

कोई वैज्ञानिक आधार नहीं

विश्वभर के वैज्ञानिकों और खगोलशास्त्रियों ने इस प्रकार के दावों को खारिज किया है। सूर्य ग्रहण के दौरान मानव व्यवहार, स्वास्थ्य और पर्यावरण प्रभावित होता है, इसके वैज्ञानिक सबूत नहीं हैं। हालांकि वैज्ञानिक इस बात पर जरूर जोर देते हैं कि सूर्य ग्रहण देखते वक्त अपनी आंखों की सुरक्षा करनी चाहिए।

Read More Articles On Miscellaneous In Hindi

Read Next

Happy New Year: नए साल पर अपने माता-पिता से करें ये वादे ताकि खुशनुमा बीते आने वाला साल

Disclaimer