स्लीप पैरालिसिस वह स्थिति है जब लेटी हुई अवस्था में आपका दिमाग तो जाग जाता है और सबकुछ देख सकता है लेकिन शरीर हिलने-डुलने से इनकार कर देता है। विज्ञान के लिहाज से यह जागी और सोई स्थिति के बीच की अवस्था है जिसमें कुछ सेकेंड्स से लेकर कुछ मिनट्स तक व्यक्ति हिलने-डुलने के साथ ही बोलने की शक्ति भी खो देता है। कुछ लोगों को इस दौरान सांस रुकने या दम घुटने जैसा अहसास भी हो सकता है वहीं कुछ में इस तकलीफ के साथ नार्कोलैप्सी जैसे नींद से जुड़े अन्य डिसऑर्डर भी हो सकते हैं।
मामूली नहीं है ये रोग
यूं आम मामलों में स्लीप पैरालिसिस से कोई दिक्कत नहीं लेकिन रेयर केसेस में ये कुछ गंभीर मनोवैज्ञानिक समस्याओं से जुड़ा हो सकता है। कई बार यह स्थिति तब भी हो सकती है जब आप गहरी नींद में होते हैं लेकिन तब आप इसे नोटिस नहीं कर पाते। इसमें आमतौर पर दो में से एक परिस्थिति प्रभावकारी हो सकती है। पहली परिस्थिति हिप्नेगॉजिक या प्रीडॉर्मिटल है जब आप सोई हुई अवस्था में होते हैं और दूसरी परिस्थिति हिप्नोपॉटिक यानी पोस्टडॉर्मिटल जब आप जागने वाली अवस्था में होते हैं।
टॉप स्टोरीज़
इन लोगों को रहता है ज्यादा खतरा
इस समस्या से ग्रस्त होने वालों में वैसे तो किसी भी उम्र का व्यक्ति शामिल हो सकता है लेकिन आमतौर पर इसका असर कुछ विशेष लोगों पर ज्यादा हो सकता है, जैसे-
- जिसकी फैमिली हिस्ट्री में यह समस्या हो
- नींद पूरी न हो पाती हो
- नींद का रूटीन गड़बड़ा जाता हो
- बाईपोलर डिसऑर्डर जैसी समस्याओं से गुजर रहा हो
- जो अन्य स्लीप डिस्ऑर्डर्स से गुजर रहा हो

- किसी विशेष मानसिक स्थिति के लिए दवाइयां ले रहा हो
- इन उपायों से रह सकते हैं सुरक्षित
- हमेशा पर्याप्त नींद लेने की कोशिश करें
- स्ट्रेस को अपने जीवन से दूर रखें। हो सके तो मेडिटेशन अपनाएं। इसके अलावा रात को सोते समय हल्का संगीत सुनें
ऐसे अन्य स्टोरीज के लिए डाउनलोड करें: ओनलीमायहेल्थ ऐप
Read More Articles On Miscellaneous In Hindi