कई बार ऐसा होता है, जब हम सुबह सोकर उठते हैं और महसूस होता है जैसे सिर में जोर से चोट लगी हो। वैज्ञानिकों की मानें तो इसके लिए नींद की कमी जिम्मेदार है। एक नये अध्ययन में सामने आया है कि एक रात भी पूरी नींद नहीं होने पर मस्तिष्क में ठीक वैसी ही प्रतिक्रिया होती है जैसी सिर में चोट लगने पर होती है।
स्वीडन स्थित 'उपासला यूनिवर्सिटी' के नए अध्ययन में यह बात सामने आई है। अध्ययन में यह भी बताया गया कि हानिकारक रसायनों की बढ़ती सक्रियता मस्तिष्क के उत्तकों पर भी बुरा असर डालती है।
शोधकर्ताओं के मुताबिक, सिर में चोट लगने पर 'एनएसई' और 'एस-100बी' नामक रसायन की सक्रियता बढ़ जाती है। नींद मे कमी होने पर भी इसी रसायन की सक्रियता बढ़ती है। इसलिए दोनों स्थिति में लोगों को एक सा अनुभव होता है। उन्होंने युवा उम्र के पुरुषों पर निष्कर्ष कर यह निष्कर्ष निकाला है। शोधकर्ताओं ने प्रतिभागियों को दो समूहों में बांटा।
एक समूह की पर्याप्त नींद लेने की छूट दी गई, जबकि दूसरे समूह को सोने नहीं दिया गया। इसके बाद दोनों समूहों के मस्तिष्क की स्कैनिंग की गयी। जिन लोगों ने जागकर रात गुजारी थी उनमें 'एनएसई' और 'एस-100बी' रसायन प्रतिक्रिया अधिक थी। हालांकि शोधकर्ताओं ने यह भी कहा कि नींद की कमी से इस रसायन की सक्रियता उतनी नहीं बढ़ती जितनी सिर में चोट लगने की वजह से बढ़ जाती है। लेकिन, फिर भी कुछ हद तक इनसान के मस्तिष्क पर इसका असर देखा जा सकता है।
दिन भर सक्रिय रहने के दौरान मस्तिष्क में कुछ जहरीले तत्व जमा हो जाते हैं, जिनमें 'एनएसई' और 'एस-100बी' रसायन भी शामिल हैं। सोने के दौरान मस्तिष्क इनकी सफाई करता है। ठीक से नहीं सो पाने के कारण इन हानिकारक तत्वों का खात्मा नहीं हो पाता, जो मस्तिष्क के लिए घातक हो सकता है।
पूर्व के अध्ययनों में यह साबित हुआ है कि नींद में लगातार कमी अलजाइमर और पार्किंसन जैसी गंभीर बीमारियों का कारण बन सकती है।
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