डायबिटीज़ के तात्कालिक और दीर्घकालिक प्रभाव

वर्तमान में डायबिटीज एक अंतर्राष्ट्रीय समस्या बन गई है। आजकल व्यस्कों और वृद्धों से लेकर छोटे-छोटे बच्चों में ये बीमारी देखने को मिलती है। एक समय था जब डायबिटीज आनुवांशिक बीमारी थी और पहले यह व्यरस्कों को या फिर बुढ़ापे में ही हुआ करती थी लेकिन अब आधुनिक जीवनशैली, बदलते लाइफस्टाइल और खानपान के कारण डायबिटीज पर नियंत्रण करना मुश्किल हो गया है।
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डायबिटीज़ के तात्कालिक और दीर्घकालिक प्रभाव

diabetes ke tatkaalik aur deerghakaalik prabhav

वर्तमान में डायबिटीज एक अंतर्राष्ट्रीय समस्या बन गई है। आजकल व्यस्कों और वृद्धों से लेकर छोटे-छोटे बच्चों में ये बीमारी देखने को मिलती है। एक समय था जब डायबिटीज आनुवांशिक बीमारी थी और पहले यह व्यस्कों को या फिर बुढ़ापे में ही हुआ करती थी लेकिन अब आधुनिक जीवनशैली, बदलते लाइफस्टाइल और खानपान के कारण डायबिटीज पर नियंत्रण करना मुश्किल हो गया है। डायबिटीज के प्रभाव शरीर पर बहुत ही नकारात्मक होते है। ये प्रभाव तात्कालिक यानी उसी दौरान या फिर दीर्घलाकिल भी हो सकते हैं। आइए जानें डायबिटीज के तात्कालिक और दीर्घकालिक प्रभावों के बारे में।

दीर्घकालिक प्रभाव

  • डायबिटीज से पीडि़त मरीजों को भविष्य में कभी न कभी कैंसर की आशंका रहती है। इतना ही नहीं डायबिटीज के दौरान शुगर लेवल ज्यादा बढ़ने और ऐसे में कैंसर होने से मौत की संभावना भी दुगुनी हो जाती है। डायबिटीज के कारण आगे चलकर मरीजों में पैन्क्रिआज यानि अग्नाशय कैंसर, जिगर और एंडोमेट्रियल कैंसर के होने की संभावना जहां दुगुनी हो जाती है वहीं कोलोरेक्टल कैंसर, स्तन कैंसर और मूत्राशय के कैंसर के होने का खतरा 20से 50 फीसदी तक बढ़ जाता है।
  • डायबिटीज इंसुलिन हार्मोस में गड़बड़ी या उत्पादन बंद होने से होता है। ऐसे में हार्मोस की गड़बड़ से कैंसर होने की संभावनाएं दुगुनी हो जाती है।
  • डायबिटीज से पीडि़त अधिकांश लोगों में हाइपरग्लाईसीमिया की शिकायत रहती है।
  • डायबिटीज के मरीजों में नसों की खराबी यानी डायबेटिक न्यूरोपैथी होना आम है।
  • पुरूषों में डायबिटीज के कारण नंपुसकता आना सबसे बड़ा दुष्प्रभाव है जिससे पुरूष चाहकर भी नहीं बच पाते।
  • डायबिठीज से पीडि़त पुरूषों में हृदयाघात और स्ट्रोक का खतरा अधिक रहता है।
  • डायबिटीज से यौन संबंधी समस्याएं समय से पहले होने लगती हैं। जैसे यौन क्रिया की इच्छा में कमी, प्रीमेच्योर इजाकुलेशन या रेट्रोग्रेड इजाकुलेशन जैसी समस्याएं के होने की आशंकाएं बढ़ जाती है।
  • डायबिटीज से पीडि़त लोगों का इम्युन सिस्टम कमजोर हो जाता हैं, ऐसे में उनको टी.बी होने का खतरा अधिक बढ़ जाता है।
  • डायबिटिक फुट जैसी समस्या होना या फिर पैरों के अल्सर तक के पनपने की आशंकाएं इस बीमारी में आम है।


कुछ और दीर्घकालिक बीमारियां जो आमतौर पर डायबिटीक मरीज में देखने को मिलती है-

  • आंखों संबंधी समस्याएं जैसे- मोतियाबिंद, धुंधलापन, अंधापन।
  • हृदय संबंधी समस्याएं जैसे- हार्ट अटैक, हृदय और धमनियों संबंधित समस्याएं, उच्च रक्तचाप, एंजाइना।
  • गुर्दा मूत्र में अधिक प्रोटीन्स जाना, गुर्दो का ठीक तरह से काम न करना।
  • लकवा की संभावना होना।
  • छोटा सा छाती का इंफेक्शन का न्यूमोनिया और पस में बदलना।
  • डायबिटिक रेटिनोपैथी के शिकार हो सकते हैं।


तात्कालिक प्रभाव

  • डायबिटीज के मरीज को यदि कोई छोटी सी चोट लग जाएं या जख्म हो जाएं तो वह बड़ा घाव बन जाता है।
  • चेहरे या पैरो पर या पूरे शरीर पर सूजन आना, नीले चख्ते पड़ना।
  • दिमागी रूप से तनाव होना,यादाश्त में कमी होना।
  • प्लूरिसी रोग एवं छाती में पानी इकट्ठा होना।
  • त्वचा की संवेदनशीलता कम होना।
  • सिर दर्द की शिकायत।
  • मोटापा बढ़ना या कम होना।
  • त्वचा संबंधी संक्रमित रोग बार-बार होना।

 

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