आप अकसर अपने बच्चे का पालन-पोषण ठीक उसी तरह से करते हैं, जिस तरक का पालन-पोषण आपका हुआ होता है। या आपका प्रयास उससे भी बेहतर परवरिश का होता है। वास्तव में परवरिश अर्थात पेरेंटिंग एक कला है, जिसे बेशक बेहतर बनाया जा सकता है। हाल के दौर में देखा गया कि चाइनीज बच्चे विश्व स्तर पर बेहतर प्रदर्शन कर रहे हैं, फिर चाहे वो खेल हो या फिर पढ़ाई। यहां तक की अन्य देशों (यूरोप व अमेरिका) में भी चाइनीज़ बच्चों को बेहतर विकल्प मिल रहे हैं। तो क्या इसके पीछे उनकी परवरिश का तरीका मायने रखता है! चलिये जानें कि क्या वाकई चाइनीज माओं के पालन-पोषण का तरीका चाइनीज बच्चों की सफलता का कारण है या नहीं।
ज्यादा आबादी मतलब ज्यादा कॉम्पीटिशन
एमी चुआ नाम की चाइनीज मूल की महिला पली बड़ी तो अमेरिका में, लेकिन उन्होंने अपने बच्चों की परवरिश बिलकुल वैसे ही की (पारंपरिक चीनी तरीकों से), जैसे उनकी मां ने उनकी की थी। चीन के 'चाइना एजुकेशन टीवी' के स्टार प्रेजेंटर ली जुन्खे के अनुसार पारंपरिक चीनी तरीके इसमें बेहद मददगार है "चीन में आज भी पुरानी कहावतें जिंदा हैं और लोग उन्हें पूरी तरह अपनाते भी हैं, जैसे 'कठोर शिक्षक ही अच्छे छात्र बना सकते हैं' और 'बेंत के जोर पर ही बच्चों में अनुशासन लाया जा सकता है, आदि।
हालाकि ये कहावतें भारत में भी अनसुनी नहीं हैं। कोर्ट तो बच्चों पर हाथ उठाने को अपराध मानती है, लेकिन ऐसा कौन सा भारतीय बच्चा होगा जिसने मां बाप से कभी मार न खाई हो। वहीं आए दिन स्कूलों में टीचर के बच्चों को चोट पहुंचाने के मामले सामने आते रहते हैं। लेकिन चीन में जनसंख्या अधिक होने के कारण प्रतियोगिता अधिक है और बच्चों पर अच्छा करने का दबाव भी।
टीवी और वीडियो गेम पर पाबंदी
चीन में बच्चों को मोबाइल और वीडियो गेम खेलने पर पाबंदी है। यहां तक की बच्चे की स्थिति कक्षा में दूसरे नंबर की हो तो उनके मां-बाप को स्वीकार नहीं है। जबकि भारत में भी ज्यादातर बच्चे ऐसी कई पाबंदियों से वाकिफ होते हैं। लेकिन पश्चिमी देशों में जहां दोस्तों के घर पार्टी करना और खेल कूद में हिस्सा लेना बच्चों के विकास का हिस्सा माना जाता है, वहीं चीन में इसपर प्रतिबंध है।
लेकिन पश्चिमी देशों में लोग बच्चों को हद से ज्यादा आजादी देते हैं और इसी कारण चीनी बच्चे बड़े कॉम्पीटिशन में उन्हें पिछाड़ देते हैं। जबकि चीनी अनुशासन को विकास ही सफलता की कुंजी माना जाता है। लेकिन इस बीच एक बड़ा सवाल भी खड़ा होता है कि चीन हो या भारत, बड़ी आबादी वाले देश में अपने बच्चों को भविष्य की चुनौतियों के लिए तैयार करना एक अच्छी बात है, लेकिन भविष्य की चिंता करते-करते पूरा बचपन ही गंवा देना, क्या ये सही है?
फैमिली एंड चाइल्ड डेवलपमेंट के अनुसार पेरेंटिंग के तरीके में टकराव दरअसल तब पैदा होने लगता है, जब आपका और आपके पति का पालन-पोषण अलग-अलग तरीके से हुआ हो। बच्चे के पालन-पोषण को लेकर पति-पत्नी के बीच तकरार होना, असल में पेरेंटिंग के अलग-अलग तरीकों के बीच का टकराव ही होता है।
बच्चे की बेहतर परवरिश के लिए सबसे पहले आपसी टकराव को दूर करना होगा। किसी एक खास पेरेंटिंग स्टाइल को अपनाकर आप बच्चे को बेहतर परवरिश नहीं दी जा सकती। इसलिए अपने साथी से बातचीत कर अपना एक अलग पेरेंटिंग स्टाइल विकसित करें, जो आपके बच्चे को बेहतर भविष्य दे सके।
बच्चे की बेहतर परवरिश के लिए आवश्यक है कि घर में कुछ नियम-कायदे बनाए जाएं। साथ ही सुनिश्चित करने की कोशिश करें कि आपका बच्चा उन नियम-कानूनों का पालन भी करे। बचपन से ही बच्चे को अनुशासन प्रिय बनाने की कोशिश की जानी चाहिये। हालांकि सीमाएं निर्धारित करने के साथ व्यवहार में लचीलापन होना चाहिए।
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