किडनी का कैंसर असामान्य किडनी की कोशिकाओं का अनियंत्रित विकास है जो कि किडनी की सामान्य कोशिकाओं को नष्ट कर उन्हें प्रभावित कर शरीर के दूसरे अंगों को भी प्रभावित करता है। रोबोटिक सर्जरी के प्रचलन में आने के बाद अब किडनी में होने वाले कैंसरस ट्यूमर को निकालकर किडनी को सुरक्षित रखा जा सकता है।
नहीं दिखते हैं किडनी कैंसर के लक्षण
अनेक मामलों में किडनी कैंसर के कोई लक्षण प्रकट नहीं होते। कई बार दूसरी बीमारियों के डायग्नोसिस के दौरान या अत्यधिक गंभीर स्थिति होने पर किडनी कैंसर के बारे में पता चलता है। जैसे ही किडनी के कैंसरस ट्यूमर के बारे में पता चले, शीघ्र ही इलाज कराएं। जब बीमारी बढ़ जाती है, तब भी इलाज संभव है, लेकिन तब काफी मुश्किल हो जाती है।रोबोटिक सर्जरी ने किडनी ट्यूमर के उपचार को आसान बना दिया है। पहले यह होता था कि पूरी किडनी निकाल दी जाती थी लेकिन रोबोटिक सर्जरी के द्वारा किडनी को बचाते हुए केवल ट्यूमर निकाला जाता है।
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क्या है किडनी कैंसर
किडनी कैंसर को रीनल कैंसर भी कहा जाता है, यह एक रोग है जिसमें किडनी की कोशिकाएं कैंसरग्रस्त हो जाती हैं और अनियंत्रित रूप से विकसित होने लगती हैं और ट्यूमर बना लेती हैं। इस प्रकार के किडनी कैंसर को रीनल सेल कार्सिनोमा कहते हैं। वयस्कों में रीनल सेल कार्सिनोमा सबसे सामान्य प्रकार का ट्यूमर है। लगभग 90 प्रतिशत कैंसरयुक्त ट्यूमर इसी प्रकार के होते हैं। उन मामलों में जिनमें किडनी कैंसर का पता प्रारंभिक अवस्था में चल जाता है, जब ट्यूमर छोटे होते हैं और किडनी तक ही सीमित रहतेहैं, तब उनका इलाज करना आसान होता है।
किडनी के कैंसर के लक्षण
किडनी ट्यूमर की समस्या बढ़ने पर ये लक्षण दिखाई दे सकते हैं-
- यूरीन से रक्त आना।
- कमर में दर्द होना।
- कमजोरी महसूस होना।
- भूख न लगना।
- बुखार रहना।
रोबोटिक सर्जरी से इलाज
अब इस बात पर जोर दिया जाता है कि किडनी को सुरक्षित रखते हुए सिर्फ ट्यूमर निकाला जाए। रोबोटिक सर्जरी ने इसे संभव बना दिया है। यह सर्जरी रोगियों और डॉक्टरों दोनों के लिए वरदान है। ऐसा इसलिए, क्योंकि...
- सामान्य सर्जरी की तुलना में इससे बेहतर परिणाम मिलते हैं। रोबोटिक आम्र्स की गति ज्यादा विशुद्ध और बहुआयामी होती है, इसलिए यह सर्जरी ज्यादा आसान और त्रुटिहीन होती है।
- शरीर को कम दर्द सहना पड़ता है।
- रोबोटिक सर्जरी के बाद जटिलताएं होने का खतरा कम होता है। मरीज को ज्यादा एनेस्थीसिया देने की जरूरत नहीं होती।
- खून कम निकलता है। इसलिए खून चढ़ाने की जरूरत कम होती है।
- पारंपरिक सर्जरी की तुलना में सर्जरी के बाद शरीर पर कट के निशान भी कम नजर आते हैं।
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