डायबिटीज के जोखिम कारक इस बात पर निर्भर करते हैं कि आपको किस प्रकार की डायबिटीज है। डायबिटीज मुख्य रूप से दो रूप की होती है, टाइप वन डायबिटीज और टाइप टू डायबिटीज। दोनों के अलावा गर्भावधि मधुमेह डायबिटीज का तीसरा रूप होता है।
टाइप वन डायबिटीज के जोखिम कारक
हालांकि डायबिटीज के सटीक कारणों के बारे में अभी जानकारी नहीं है, लेकिन ऐसा माना जाता है कि इसमें अनुवांशिक कारण अहम भूमिका निभाते हैं। अगर आपके परिवार में जैसे माता-पिता अथवा भाई-बहन में से किसी को टाइप वन डायबिटीज है, तो आपको यह रोग होने की आशंका काफी बढ़ जाती है। पारिस्थितिक कारण जैसे, वायरल बीमारियों से ग्रस्त होना, भी टाइप वन डायबिटीज का संभावित कारण हो सकता है। इसके अलावा कई अन्य कारण भी हो सकते हैं।
कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली
क्षतिग्रस्त और कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली की कोशिकायें एंटीबॉडीज का निर्माण करती हैं। ऐसे मामले भी सामने आते हैं, जब टाइप वन डायबिटीज से ग्रस्त लोगों में डायबिटीज एंटीबॉडीज पायी जाती हैं। अगर आपके शरीर में ये एंटीबॉडीज हैं, तो आपको टाइप वन डायबिटीज होने का खतरा काफी बढ़ जाता है। लेकिन, सभी ऐसे लोग जिनके शरीर में एंटीबॉडीज पाये जाते हैं, को टाइप वन एंटीबॉडीज नहीं होता है।
आहार
आहार संबंधी हमारी कई आदतों को टाइप वन डायबिटीज से जोड़कर देखा जाता रहा है। जैसे, विटामिन डी युक्त खाद्य पदार्थों का अपर्याप्त सेवन, समय से पहले बच्चे को गाय का दूध पिलाना, शिशु को चार महीने की आयु से पहले अनाज आदि को सेवन कराना आदि को भी आगे चलकर डायबिटीज का संभावित कारण माना जाता है। लेकिन, इनमें से किसी भी तत्व के टाइप वन डायबिटीज का कारण होने की पुष्टि अभी तक नहीं हो पायी है।
नस्लीय कारण
ऐसा माना जाता है कि टाइप वन डायबिटीज गोरे लोगों में अन्य नस्लों के मुकाबले अधिक सामान्य होता है।
क्षेत्रीय कारक
तस्वीर का वह रुख भी सामने आया है जिसमें यह बात कही गयी है कि किसी क्षेत्र विशेष के लोगों में टाइप वन डायबिटीज होने का खतरा बाकियों के मुकाबले अधिक होता है। स्वीडन और फिनलैंड में टाइप वन डायबिटीज का अनुपात बाकी दुनिया के मुकाबले अधिक पाया गया है।
टाइप 2 डायबिटीज के जोखिम कारक
शोधकर्ता अभी तक इस बात का पता लगा पाने में नाकाम रहे हैं कि आखिर क्यों कुछ लोगों को प्रीडायबिटीज और टाइप 2 डायबिटीज होती है। हालांकि, यह बात पूरी तरह साफ है कि इस रोग के संभावित जोखिम कारक कौन से हैं-
वजन
वजन को टाइप टू डायबिटीज का बड़ा कारण माना जाता है। आपके शरीर में जितनी वसा कोशिकायें होंगी, उतना ही आपको डायबिटीज होने का खतरा अधिक होगा। वसा कोशिकायें इनसुलिन बनने की प्रक्रिया में बाधा उत्पन्न करती हैं।
शारीरिक निष्क्रियता
यदि आप टाइप टू डायबिटीज से बचना चाहते हैं तो आपको शारीरिक रूप से अधिक सक्रिय रहना चाहिए। शारीरिक सक्रियता आपका वजन काबू में रखती हैं। इसके साथ ही यह आपके शरीर में मौजूद ग्लूकोज को ऊर्जा के रूप में इस्तेमाल करके आपकी कोशिकाओं को इनसुलिन के प्रति अधिक सक्रिय बनाने में मदद करती है। अगर आप सप्ताह में तीन बार से कम शारीरिक व्यायाम करते हैं, तो आपको टाइप टू डायबिटीज होने का खतरा बढ़ जाता है।
पारिवारिक इतिहास
यदि किसी के परिवार में टाइप टू डायबिटीज का इतिहास हो, तो ऐसे व्यक्ति को अधिक सतर्क रहने की आवश्यकता होती है। अगर आपके माता-पिता अथवा सहोदर को डायबिटीज है, तो आप भी इस बीमारी की चपेट में आ सकते हैं। ऐसे में आपको नियमित जांच करवानी चाहिए और शारीरिक रूप से अधिक सक्रिय रहना चाहिए।
जातीय कारक
ब्लैक, हिस्पैनिक्स, अमेरिकी भारतीयों और एशियाई मूल के लोगों में टाइप टू डायबिटीज होने का खतरा अधिक होता है। हालांकि, इस बात का पता अब तक नहीं चल पाया है कि आखिर ऐसा क्यों नहीं होता है।
उम्र
अधिक उम्र के लोगों में टाइप टू डायबिटीज होने का खतरा अधिक होता है। जैसे-जैसे आपकी उम्र बढ़ती है, वैसे-वैसे आपकी शारीरिक सक्रियता कम होती जाती है। आपकी मांसपेशियां कम होने लगती हैं तथा वजन में इजाफा होने लगता है। लेकिन, नाटकीय सत्य यह है कि टाइप टू डायबिटीज अब बच्चों और किशोरों में भी देखी जा रही है।
अपनी जीवनशैली में बदलाव लाकर और अपनी आहार योजना में बदलाव लाकर आप डायबिटीज से बच सकते हैं।
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