ऑस्टियो अर्थराइटिस जो जोड़ों के घिसने या अन्य समस्याओं के कारण होता है, रूमेटायड अर्थराइटिस की मुख्य वजह कुछ और होती है। इसमें शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली व्यक्ति के जोड़ों के स्तर पर हमला कर देती है। रूमेटायड अर्थराइटिस एक गंभीर स्थिति है जिसका असर शरीर के अन्य उतकों पर भी पड़ता है, लेकिन आमतौर पर जोड़ों पर इसका सबसे बुरा असर पड़ता है और वे सबसे बुरी तरह प्रभावित होते हैं।
रूमेटायड अर्थराइटिस के कारण औऱ लक्षण
लगातार हाथों व पैरों के जोड़ों में दर्द होने की समस्या को हल्के में ना लें यह रूमेटायड अर्थराइटिस का लक्षण भी हो सकता है। जैसे-जैसे रूमेटायड अर्थराइटिस बढ़ता है, जो व्यक्ति की प्रतिरक्षा प्रणाली (इम्यूतन सिस्टकम) उसी के शरीर के एक प्रकार के प्रोटीन को बाहर तत्त्वर मान लेती है। वह प्रोटीन कौन सा होता है इस बारे में सटीक पता लगाना तो मुश्किल है। और यह कारण भी कई संभावित कारणों में से हो सकता है। इनमें से कुछ का निर्माण, शरीर वायरल, बैक्टीमरियल और फंगल इंफेक्श न से लड़ने के लिए करता है। कुछ अन्ये प्रोटीन अनुवांशिक और कोशिकीय कारणों से बनते हैं। कारण चाहे जो भी हो, लिम्फाेसाइटिस (lymphocytes) इस प्रोटीन पर प्रतिक्रिया करता है। इस प्रतिक्रिया के परिणामस्वकरूप शरीर से साइटोकिन्सए (साइटोकिन्सs) का स्राव होता है। यह केमिकल शरीर में सूजन और विनाश का संकेत पहुंचाने का काम करता है। रहेयूमेटायड अर्थराइटिस में साइनावियम (synovium) में अधिक सूजन होती है, यह जोड़ों के ऊपर एक पतली झिल्लीे होती है। यह सूजन शरीर के अन्य) हिस्सों में भी फैल जाती है। अंतोत्गनत्वाए यह केवल केवल जोड़ों में सूजन ही नहीं होती, बल्कि सूजन, तेज दर्द, थकान और शारीरिक गतिविधियों में कमी का भी कारण बनती है।
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रिस्क फैक्टर
रूमेटायड अर्थराइटिस पुरुषों की अपेक्षा महिलाओं में अधिक होता है। एक अनुमान के अनुसार इस बीमारी के 70 फीसदी मरीज महिलायें होती हैं। इसके साथ ही, कभी मां न बनीं महिलाओं और हाल में मां बनीं महिलाओं में भी इस बीमारी का खतरा काफी अधिक होता है। रहेयूमेटॉयड अर्थराइटिस का अनुवांशिक कारण भी होता है। और यह बीमारी परिवार में पीढ़ी दर पीढ़ी चलती चली आती है। जिन लोगों में ह्यूमन ल्यू कोसाइट एंटीजन (HLA) नाम का जीन पाया जाता है, उनमें यह अर्थराइटिस होने का खतरा अधिक होता है। हालांकि इस वे सभी लोग जिनमें एचएलए जीन होता है, को रहेयूमेटायड अर्थराइटिस नहीं होता। हालांकि इस जीन के कारण बीमारी का खतरा बढ़ सकता है, लेकिन इसके पीछे केवल यही कारण नहीं होता। उदाहरण के लिए अधिक उम्र, धूम्रपान भी इसका खतरा बढ़ा देते हैं।
जोड़ों में दर्द, सूजन, अकड़न और थकान। ये सभी लक्षण हल्के, से गंभीर तक हो सकते हैं। डॉक्टंरों का कहना है कि इस बीमारी को उसकी शुरुआत में ही ठीक करना चाहिए। इससे पहले कि यह आपके जोड़ों को बुरी तरह नुकसान पहुंचा दे।
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