शादी की सफलता का सबसे बड़ा मंत्र है-एक-दूसरे पर भरोसा। ज्यादातर रिश्ते भरोसे की बुनियाद पर ही टिके रहते हैं और जो दरकते हैं, उनमें यह भरोसा कम दिखाई देता है। हाल- फिलहाल ऐसे कई सर्वे और शोध हुए हैं, जहां पाया गया कि रिश्तों में भरोसा कम होता जा रहा है, नतीजतन विवाह से बाहर रिश्ते तेजी से बनने लगे हैं। एक नया अध्ययन कहता है कि रिश्ते में प्यार और भरोसा नहीं होता है तो पार्टनर्स शादी से बाहर इसे खोजने लगते हैं। यह अध्ययन 'द जर्नल ऑफ से.क्स रिसर्च में प्रकाशित हुआ है।
यह रिसर्च ऑनलाइन है, जिसमें 20+ आयु वर्ग वाले युवाओं से सवाल पूछे गए। 77 प्रतिशत ने माना कि प्यार की कमी ही रिश्तों में चीटिंग के लिए प्रेरित करती है। अधिकतर ने यह भी माना कि वे या तो 'दूसरे रिश्ते में गए या फिर इस हद तक पहुंचे क्योंकि मौजूदा रिश्ते में प्यार की कमी होने लगी थी।
रिलेशनशिप एक्सपर्ट्स का कहना है कि जब एक व्यक्ति वर्तमान रिश्ते मे प्यार महसूस नहीं करता तो दूसरे रिश्ते की ओर बढऩे लगता है। सर्वे के अनुसार चीटिंग का सबसे बड़ा कारण सेक्सुअल डिजायर्स में अंतर है। लगभग 74% कपल्स ने यह बात मानी। इसके अलावा शादी में पार्टनर की उपेक्षा (70%), नशा या अब्युसिव रिलेशनशिप (70%), आत्म-हीनता का बोध (57), गुस्सा (43%) और भावनात्मक लगाव की कमी (41%) जैसी बातें भी पार्टनर्स को विवाहेतर संबंधों की ओर ले जाती हैं। महज डिजायर्स की पूर्ति के लिए दूसरे संबंधों में जाने की बात स्वीकार करने वाले प्रतिभागियों में पुरुषों की संख्या अधिक थी।
क्यों होता है ऐसा
शादी से पहले या बाद में पार्टनर को धोखा देने के कई कारण हो सकते हैं। अलग-अलग व्यक्ति अलग कारणों से ऐसा कर सकते हैं। लाइफ में असंतुष्टि, जीवनसाथी से भावनात्मक-मानसिक तालमेल न होना, किसी तरह की हीन-भावना से ग्रस्त होना, व्यवहार संबंधी समस्याएं या एकाएक किसी के प्रति आकर्षण पनपना...जैसी कई बातें इस तरह के संबंधों में ले जाती हैं।
माना जाता है कि स्त्रियां तब ऐसा करती हैं जबकि मौजूदा रिश्ते में उन्हें लगातार उपेक्षा मिल रही हो। कुछ खास किस्म के लोग या स्थितियां भी इसके लिए जिम्मेदार हैं। जैसे गुस्से या पार्टनर की निरंतर उपेक्षा से रिश्ते में भावनात्मक लगाव कम हो सकता है। इसके अलावा सामाजिक या से.क्सुअल आजादी भी ऐसे रिश्तों को जन्म देती है।
इससे पहले भी कई सर्वे और अध्ययन हुए हैं, जिनमें कहा गया कि रिश्तों में एक-दूसरे पर निर्भरता या इन्वेस्टमेंट की कमी भी चीटिंग को बढ़ावा देती है। हालांकि मौजूदा दौर में ऐसा नहीं कहा जा सकता कि महज चीटिंग के कारण रिश्ते दरक रहे हैं। इसके अलावा भी कई अन्य कारण होते हैं।
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चुनौतियां रिश्तों की
- चीटिंग या बेवफाई जैसा शब्द वैवाहिक जीवन की डिक्शनरी में भले ही हाल-फिलहाल शामिल किया गया हो लेकिन यह सच है कि जब से रिश्तों की व्यवस्था बनी, तभी से ऐसी चुनौतियां भी सामने आने लगीं।
- कुछ वर्ष पूर्व एक बातचीत में सेक्सोलॉजिस्ट प्रेमा बाली ने कहा कि विवाहेतर संबंध समाज में हमेशा से मौजूद रहे हैं। संयुक्त परिवारों में एक सीमा तक ऐसे रिश्तों को मौन स्वीकृति भी प्राप्त थी। जब बड़ी संख्या में स्त्रियां घर से बाहर जाने लगीं तो विवाहेतर संबंध परिवारों से बाहर नजर आने लगे। दिलचस्प बात है कि बेवफाई के ये किस्से परफेक्ट समझे जाने वाले दंपतियों में भी देखे जाते हैं। इस विषय पर न जाने कितनी कहानियां और किताबें लिखी गई हैं और अनगिनत फिल्में बनी हैं।
- ऐसे अफेयर्स कई बार वैवाहिक रिश्तों को भयावह मोड़ तक ले जाते हैं तो कुछ कपल्स इनसे सबक लेते हुए रिश्तों में बदलाव करने को तैयार होते हैं।
- कई दंपतियों ने अपने रिश्ते, परिवार या बच्चों की खातिर एक-दूसरे को माफ किया और रिश्तों को फिर से मौका दिया।
- चूंकि ऐसा कोई सर्वे भी नहीं किया गया है कि क्या महज चीटिंग के आधार पर रिश्ता तोडऩे वाले या पार्टनर को छोड़ कर दूसरे रिश्ते में जाने वाले लोगों का जीवन पहले की तुलना में बेहतर हुआ? हो सकता है ऐसे कुछ उदाहरण हों लेकिन सटीक आंकड़े उपलब्ध नहीं हैं, लिहाजा यह नहीं कहा जा सकता कि जिन उलझनों या समस्याओं के कारण किसी ने अपने वैवाहिक रिश्ते तोड़े, वैसी ही चुनौतियां उन्हें नए संबंधों में नहीं झेलनी पड़ीं।
एक मौका दें अपनों को
- मैरिज काउंसलर्स मानते हैं कि कई बार विवाहेतर संबंधों से गुजरने के बाद दंपती के संबंध मजबूत भी होते हैं और उनकी आपसी समझदारी बढ़ जाती है।
- रिश्ते को दोबारा चांस देने के लिए चीटिंग से उपजे अपराध-बोध और नफरत से बाहर आना जरूरी है। रिश्ते को बचाने में कोई संकोच या संशय नहीं होना चाहिए। हर उतार-चढ़ाव के बाद भी शादी में बने रहने वाला ही असली विजेता है।
- व्यक्ति के तौर पर नहीं, परिवार और रिश्तों के तौर पर स्थितियों को परखा जाना चाहिए। रिश्तों में समस्याएं हैं तो बातचीत करें, पारिवारिक सदस्यों, मध्यस्थ या दोस्त की मदद लें या फिर किसी मैरिज काउंसलर से मिलें।
- अब तक विवाह के अलावा कोई भी ऐसी संस्था नहीं बनी है, जिसमें विवाह जितनी सुरक्षा, स्नेह, प्यार, लगाव और भरोसा हो। परिपक्वता और धैर्य के साथ चुनौतियों का सामना करने से दांपत्य जीवन को सुरक्षित रखा जा सकता है।
डॉ. केदार तिल्वे, मनोचिकित्सा सलाहकार, मेंटल हेल्थ एंड बिहेवरल साइंसेज, हीरानंदानी हॉस्पिटल वाशी, मुंबई (फोर्टिस नेटवर्क हॉस्पिटल) से बातचीत पर आधारित
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