निक जोनस को भी थी टाइप-1 डायबिटीज, इन 4 तरीकों से आज हैं एकदम फिट

Nick Jonas Birthday: बचपन में, बॉलीवुड एक्टर प्रियंका चोपड़ा के पति और अमेरिकन सिंगर निक जोनस भी किसी समय टाइप 1 डायबिटीज के शिकार थे।
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निक जोनस को भी थी टाइप-1 डायबिटीज, इन 4 तरीकों से आज हैं एकदम फिट


सिर्फ निक जोनस ही नहीं बल्कि बॉलीवुड की बड़ी स्टार सोनम कपूर को भी बचपन में टाइप 1 डायबिटीज था, जो अब उनका पूरी तरह से कंट्रोल में है। निक जोनस का कहना है कि उन्होंने अपने खानपान और लाइफस्टाइल को संतुलित रखकर इस रोग को मात दे दी है। अगर आप भी टाइप 1 या टाइप 2 डायबिटीज के शिकार हैं तो यह जरूरी है कि आप अपना लाइफस्टाइल बदलें।

निक जोनस ने ऐसा किया कंट्रोल

निक जोनस का कहना है कि 13 वर्ष पूर्व उन्हें मधुमेह टाइप-1 था। उनका कहना है कि उन्होंने बहुत जल्द ही इस रोग को खत्म कर दिया था। निक का कहना है कि अपने भोजन करने की इच्छा शक्ति को नियंत्रण कर, साथ ही अपने स्वास्थ्य पर ध्यान देते हुए और नियमित तौर पर व्यायाम करते हुए और अपने ब्लड शुगर को चेक करते हुए उन्होंने इस रोग को हरा दिया है।  सोशल मीडिया पर अपनी बात शेयर करते हुए उन्होंने कहा 'अब मैंने इस बीमारी पर पूर्णता नियंत्रण प्राप्त कर लिया है और इसके लिए मैं मेरे परिवार जनों और मेरे दोस्तों का आभारी हूं कि उन्होंने प्रत्येक कदम पर मेरी सहायता की। आपकी पसंदीदा जीवनशैली जीने से आपको कोई नहीं रोक सकता। आपकी शुभकामनाओं के लिए धन्यवाद। यह मेरे लिए बहुत मायने रखते हैं।'

कितने प्रकार की होती है डायबिटीज

डायबिटीज दो प्रकार की होती है- टाइप 1 और टाइप 2 डायबिटीज। टाइप 1 डायबिटीज में इंसुलिन का बनना कम हो जाता है या फिर इंसुलिन बनना बंद हो जाता है, और इसे काफी हद तक नियंत्रण किया जा सकता है। जबकि टाइप 2 डायबिटीज से प्रभावित लोगों का ब्लड शुगर का स्‍तर बहुत ज्यादा बढ़ जाता है जिसको नियंत्रण करना बहुत मुश्किल होता है। टाइप 1 और टाइप 2 डायबिटीज एक ही जैसा नहीं होता है, इन दोनों में बहुत अंतर होता है।

क्या है टाइप 1 डायबिटीज

इस प्रकार के डायबिटीज में पैन्क्रियाज की बीटा कोशिकाएं पूरी तरह से नष्ट हो जाती हैं और इस तरह इंसु‍लिन का बनना सम्भव नहीं होता है। यह जनेटिक, ऑटो-इम्‍यून एवं कुछ वायरल संक्रमण के कारण होता है, इसके कारण ही बचपन में ही बीटा कोशिकाएं पूरी तरह से नष्ट हो जाती हैं। यह बीमारी सामान्‍यतया 12 से 25 साल से कम अवस्था में देखने को मिलती है। स्‍वीडन और फिनलैण्ड में टाइप 1 डायबिटीज का प्रभाव अधिक है। स्‍वास्‍थ्‍य मंत्रालय के अनुसार भारत में 1% से 2% मामलों में ही टाइप 1 डा‍यबिटीज की समस्‍या होती है।

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टाइप 1 डायबिटीज के लक्षण

  • रक्त में शुगर की मात्रा बढ़ने से व्यक्ति बच्चे को बार-बार पेशाब आने लगता है।
  • शरीर से अधिक तरल पदार्थ निकलने से बच्चे व्यक्ति को बहुत प्यास लगती है।
  • किसी-किसी व्यक्ति के शरीर में पानी की कमी हो जाती है तथा वह कमजोरी महसूस करने लगता है।
  • व्यक्ति हरदम सुस्त महसूस करता है। 
  • टाइप 1 मधुमेह के दौरान व्यसक्ति के पल्स बहुत तेजी से चलने लगते हैं। 

टाइप 1 को नियंत्रि‍त करने के तरीके

  • टाइप 1 को कंट्रोल करने का एक और तरीका है वह है खान-पान के दौरान चीनी की कम मात्रा लेना।
  • आहार में वसा की मात्रा भी कम से कम लें।

  • इंसुलिन लेने के दौरान शुगर की नियमित रूप से जांच करवाएं।
  • टाइप 1 मधुमेह पीडि़त लोगों को अधिक से अधिक मौसमी फल और तरल पदार्थों का सेवन करना चाहिए।
  • इस बीमारी से पीडि़त लोगों को प्रतिदिन व्यायाम करना चाहिए। व्यायाम के दौरान टहलना, जॉगिंग करना, योगासन करना, प्रणायाम करना और अन्य एरोबिक्स शामिल है।
  • जितनी भूख हो उतना ही खाएं, भूख से अधिक खाने के कारण भी डायबिटीज बढ़ने का खतरा रहता है।

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