स्थायी टैटू मशीन द्वारा बनाया जाता है जिससे दर्द भी होता है। शरीर के जिस स्थान पर यह टैटू बनाना है उस स्थान को अच्छे से साफ करके बाल हटाए जाते हैं फिर उस स्थान को सर्जिकल स्प्रीट लगाकर जीवाणुरहित किया जाता है। फिर टैटू बनवाने वाले की इच्छा के अनुसार डिजाइन तय कर उस डिजाइन की आउटलाइन की जाती है। उसके बाद स्किन के रंग का ध्यान रखते हुए मशीन में नई नीडल लगा उसे इंक मे डुबोकर डिजाइन के अंदर रंग भरा जाता है।टैटू बनवाने से पहले कुछ जरूरी बातों का ध्यान रखना जरूरी है ।
एक्सपर्ट से ही टैटू बनवाएं
ऐसा पियर्सिंग स्टूडियो चुनें जहां अनुभवी और प्रशिक्षित स्टाफ हो। स्थान पर हाइजीन और साफ-सफाई की जांच करें। अपनी पियर्सिंग कराने के लिये अनुभवी व्यक्ति चुनें और पियर्सिंग को लेकर कोई शंका होने पर प्रश्न पूछें। जांच लें कि टूल्स या इक्विपमेंट्स स्टेरिलाईज किये गये हैं; सभी अच्छे स्टूडियो में आटोक्लेव होता है जो एक हीट स्टेरिलाइजेशन मशीन होती है। जो टूल आटोक्लेव द्वारा स्टेरिलाइज नहीं किये जा सकते उनको नियमित रूप से और हर बार उपयोग के बाद डिसइन्फेक्टेंट्स द्वारा साफ किये जाने की ज़रूरत होती है। रियूजेबल पियर्सिंग गन से पियर्सिंग न करायें।
टॉप स्टोरीज़
इंक टेस्ट जरूर करवाएं
पहले त्वचा पर टैटू की इंक का टेस्ट करवाएं जिससे आपको पता पड़ जाए कि कहीं टैटू से आपकी त्वचा पर कोई एलर्जी तो नहीं होगी। कई बार लोग पैच टेस्ट को तवज्जो नहीं देते जिसकी कीमत उन्हें अपनी त्वचा पर हुई एलर्जी से चुकानी पड़ जाती है।डिस्पोजेबल ग्लव्स और नीडिल्स को प्रत्येक बार उपयोग किया जा सकता है जिससे कंटामिनेशन के सभी चांस से बचाव हो सकता है। धातुओं से होने वाली एलर्जी से बचाव के लिये उपयुक्त ज्वैलरी उपयोग करें। सर्जिकल स्टील, 14 या 18 कैरेट गोल्ड से बनी ज्वैलरी उपयोग की जा सकती है। निकेल से बचना चाहिये। अगर आर्टिस्ट साफ-सफाई का ध्यान नहीं रखेगा आपको स्किन से जुडी बीमारी हो सकती है जैसे एचआईवी, हेपेटाइटिस तक हो सकता है।
टैटू बनवाने के बाद किसी भी प्रकार का संक्रमण या परेशानी लगे तो तुरंत डॉक्टर के पास जाएं। इसकी अनदेखी महंगी पड़ सकती है। इसके अलावा यह भी जान लें कि स्थायी टैटू के बाद करीब एक साल तक आप रक्तदान नहीं कर सकते हैं।
ImageCourtesy@Gettyimages
Read more Article on Beauty in Hindi