क्या : कोरोना संक्रमितों के बीच रहते हुए अपनी सेवा दी।
क्यों : कोरोना वायरस को सीधी टक्कर दे रही हैं।
पूरी दुनिया इस समय कोरोनावायरस महामारी की चपेट में है और हर दिन इस महामारी से संक्रमित लोगों की संख्या बढ़ती जा रही है। ऐसे में इस महामारी से लड़ने के लिए जो लोग सबसे आगे हैं, उनमें स्वास्थ्यकर्मी यानी कि डॉक्टर, नर्स और मेडिकल स्टाफ हैं। हजारों डॉक्टर, नर्स, लैब तकनीशियन, अस्पताल के कर्मचारी हैं। ये लोग दिन-रात इस वायरस के खिलाफ युद्ध लड़ हैं और आम आदमी की सेवा कर रहे हैं। इनमें से कई स्वास्थ्यकर्मी कोरोनावायरस से लड़ते-लड़ते खुद भी इसके शिकार हुए, पर इनके मनोबल और कर्तव्यों में जरा सी भी कमी नहीं आई है। इन्हीं में से एक है 23 साल की योगिता कालरा (Yogita Kalra), जो कि गुरुग्राम के अस्पताल में लैब तकनीशियन (Lab Technician) हैं और कोरोनावायरस की इस लड़ाई में वो हर दिन पूरे 9 घंटे अपनी ड्यूटी पर तैनात रहती हैं। उनके इसी निस्वार्थ योगदान के लिए उन्हें OMH Healthcare Heroes अवॉर्ड में 'बियोंड दी कॉल ऑफ ड्यूटी' के लिए नॉमिनेट किया गया है।
23 साल की योगिता कालरा की कहानी
योगिता हर दिन हजारों लोगों का कोरोनावायरस टेस्ट करती हैं, जो कोरोना के कुछ लक्षणों के साथ उनके पास आते हैं। योगिता ने हमसे बात करते हुए आपबीती सुनाई। योगिता कहती हैं कि अपनी शिफ्ट के बाद जब वो अपने कमरे में लौटी हैं, तो खुद भी बहुत थकी होती है। पैरों में दर्द, चेहरे पर मास्क और टोपी के चकत्ते और दाग होते हैं और उनका सुरक्षात्मक सूट (protective suit) गर्मी और पसीने से तर होता है। इस थकान और खुद के स्वास्थ्य के लिए चिंता के बावजूद योगिता अपनी ड्यूटी के रास्ते में कुछ भी नहीं आने देती और फिर अगले दिन अपनी ड्यूटी पर तैनात रहती हैं।
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योगिता ने बताया कैसा है इन दिनों अस्पतालों के अंदर का माहौल
कोरोनावायरस के इलाज और अस्पताल की स्थियों के बारे में बात करते हुए योगिता कहती हैं कि ''आज कल कर्मचारियों को बहुत ज्यादा काम करना पड़ रहा है। अस्पताल में Covid-19 टास्क फोर्स की टीम बनाए गई है, जिसमें मैं भी शामिल हूं। बुखार और गले के संक्रमण के साथ प्रत्येक दिन अधिक से अधिक रोगी हमारे पास आते हैं, तो उनके परीक्षण करने, नमूनों को भेजने और बीमारी से डरे हुए और परेशान रोगियों की काउंसलिंग करने तक की जिम्मेदारी हम निभाते हैं।'' ''बहुत से लोग मामूली खांसी या सर्दी के साथ आते हैं और जांच करवाना चाहते हैं, क्योंकि लोगों में कोरोना को लेकर बहुत डर है। फिर कुछ लोग ऐसे भी हैं जिन्हें हमें उनके परीक्षण के परिणाम आने तक आइसोलेशन वार्ड में रखना पड़ता है। हमें उन्हें 14 दिनों के लिए नियमित अंतराल पर परीक्षण करना होता है।'' कुछ मिलाकर अस्पताल में Covid-19 टास्क फोर्स की टीम और योगिता पर बहुत सी जिम्मेदारियां है।
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क्या चिकित्सा पेशेवरों को अपने स्वयं के स्वास्थ्य के लिए डर नहीं है?
इस प्रश्न को पूछे जाने पर कि क्या मेडिकल स्टाफ को अपने खुद के स्वास्थ्य की चिंता है, डर है, तो योगिता इस पर कहती हैं कि "डर, अभी, हमारा सबसे बड़ा दुश्मन है।" जैसा कि देश भर में कोरोनोवायरस संक्रमण के मामलों की संख्या लगातार बढ़ रही है और मेडिकल स्टाफ भी इसके शिकार हो रहे हैं, तो हमें इसके लिए सावधानी बरतने की जरूरत है। शुक्र है कि हमारे अस्पताल में पर्याप्त पीपीई और सैनिटाइजर हैं। जब एक कर्मचारी संभावित रूप से भी संक्रमण के रोगी से मिलता है, भले ही वो क्यों न एक मिनट के लिए ही हो, उन्हें पीपीई-कैप, दस्ताने, मास्क और सूट बदलना होता है।
अपना ख्याल कैसे रखती हैं योगिता?
योगिता खुद का ख्याल रखने की बात करते हुए कहती हैं कि घर पर, ''मैं यह सुनिश्चित करती हूं कि जब तक मैं नहा न लूं और अपने कपड़े धोने के लिए न रखूं, तब तक कुछ भी अतिरिक्त चीजें छूती नहीं हूं।'' योकिता अपने माता-पिता से दूर, भिवानी में अकेले रह रही हैं इसलिए उन्हें खाना पकाना और सफाई आदि भी खुद ही करना पडता है। इसके साथ ही अकेले रहने के कारण योगिता को अकेलेपन की भावना से भी लड़ना पड़ता है। योगिता कहती हैं कि ''मैं घर और अपने माता-पिता को याद करती हूं, वे हर दिन मुझे देखने और हालचाल जानने के लिए फोन करते हैं। मैं उन्हें चिंता नहीं करने के लिए कहती हूं, लेकिन वे वास्तव में मेरी ये बातें उनकी चिंताओं को कम नहीं कर सकती।
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डॉक्टरों पर हालिया हमले पर क्या कहती हैं योगिता?
योगिता कहती हैं कि मेरी और मेरे माता-पिता की चिंता सिर्फ वायरस के लिए ही नहीं है पर हालिया माहौल से भी है। डॉक्टरों पर हालिया हमले और मेडिकल स्टाफ के प्रति सामान्य गुस्सा भी कुछ ऐसा है, जो हमें काम करने से रोक सकता है और एक डर का माहौल बना सकता है। योगिता कहती हैं कि "मेरे पड़ोसी मेरे लिए हेल्पिंग हैं। लेकिन इस तरह की खबरें मुझे परेशान करती हैं। डॉक्टर और अस्पताल के सभी कर्मचारी मरीजों की सेवा में लगे हुए हैं, पर लोग उनकी मदद करने और उनका सम्मान करने की जगह उन पर हमला कर रहे हैं। ऐसे में मेरे सभी भारतवासियों से यही कहना है कि ''हम मेडिकल स्टाफ अपने कर्तव्यों को कर रहे हैं, तो हमारा आपसे बस इतना ही अनुरोध है कि ''घर में रहो और हमारी मदद करो।”
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