World Tuberculosis Day 2019: डायबिटीज के मरीजों को क्यों होता है टीबी का खतरा?

वर्ल्ड ट्यूबरक्लोसिस डे या विश्व टीबी दिवस हर साल 24 मार्च को मनाया जाता है। दुनियाभर में टीबी के सबसे ज्यादा मरीज भारत में हैं, जबकि डायबिटीज मरीजों के मामले में भारत, विश्व का दूसरा सबसे बड़ा देश है। दरअसल टीबी और डायबिटीज का आपस में संबंध है। टाइप-2 डायबिटीज एक खतरनाक रोग है, जो शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को कम कर देता है। यही कारण है कि डायबिटीज के रोगियों को टीबी और दूसरे इंफेक्शन का खतरा बढ़ जाता है। आइए आपको बताते हैं कि टीबी और डायबिटीज में क्या संबंध है और कैसे कर सकते हैं इन रोगों से बचाव।
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World Tuberculosis Day 2019: डायबिटीज के मरीजों को क्यों होता है टीबी का खतरा?


वर्ल्ड ट्यूबरक्लोसिस डे या विश्व टीबी दिवस हर साल 24 मार्च को मनाया जाता है। दुनियाभर में टीबी के सबसे ज्यादा मरीज भारत में हैं, जबकि डायबिटीज मरीजों के मामले में भारत, विश्व का दूसरा सबसे बड़ा देश है। दरअसल टीबी और डायबिटीज का आपस में संबंध है। टाइप-2 डायबिटीज एक खतरनाक रोग है, जो शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को कम कर देता है। यही कारण है कि डायबिटीज के रोगियों को टीबी और दूसरे इंफेक्शन का खतरा बढ़ जाता है। आइए आपको बताते हैं कि टीबी और डायबिटीज में क्या संबंध है और कैसे कर सकते हैं इन रोगों से बचाव।

डायबिटीज और टीबी में संबंध

वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन के अनुसार दुनियाभर में मौजूद टीबी मरीजों में से लगभग 15% मरीजों में डायबिटीज इसका कारण है। चिकित्सकों का मानना है कि डायबिटीज रोग टीबी के खतरे को दोगुना बढ़ा देता है। दरअसल किसी भी व्यक्ति को डायबिटीज होने पर उसके शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता यानी रोगों से लड़ने की क्षमता धीरे-धीरे कम हो जाती है। ऐसे में डायबिटीज के मरीज के शरीर में टीबी के वायरस आसानी से पहुंच सकते हैं और उसे बीमार कर सकते हैं। इसके अलावा कई बार टीबी के वायरस व्यक्ति के अंदर होते हैं मगर रोग प्रतिरोधक क्षमता के कारण उभर नहीं पाते हैं। ऐसे में डायबिटीज होने पर ये वायरस शरीर पर हमला शुरू कर देते हैं और मरीज की रोग प्रतिरोधक क्षमता भी इन्हें नहीं रोक पाती है।

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टीबी के मरीजों को भी डायबिटीज का खतरा

इसके उलट, अगर किसी व्यक्ति को टीबी है, तो उसे डायबिटीज होने का भी खतरा बढ़ जाता है। दरअसल टीबी होने पर शरीर में एक तरह का स्ट्रेस बोता है, जिससे ग्लूकोज टॉलरेन्स बढ़ता है। इस वजह से डायबिटीज हो सकता है। वहीं इन मामलों में डायबिटीज की दवा का असर बहुत कम होता है या बिल्कुल नहीं होता है।

कैसे हो सकता है बचाव

डायबिटीज के मरीजों को अगर 2 हफ्ते से ज्यादा समय तक खांसी आती है, रात में सोते समय पसीना आता है या अचानक वजन घटने लगता है, तो तुरंत डॉक्टर से चेकअप करवाना चाहिए, ताकि सही समय पर जांच और इलाज के द्वारा दोनों रोगों को जल्द से जल्द रोका जा सके।

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डायबिटीज में मुश्किल हो जाता है टीबी का इलाज

डायबिटीज और टीबी दोनों होने पर मरीज का इलाज मुश्किल हो जाता है। दरअसल कमजोर रोग प्रतिरोधक क्षमता के कारण टीबी की दवाइयों का असर धीरे-धीरे और देरी से होता है। यही कारण है कि डायबिटीज रोगियों को मल्टी ड्रग रेजीस्टेंट-टीबी का खतरा बढ़ जाता है। ये एक ऐसा टीबी रोग है, जिसका इलाज लंबे समय तक करना पड़ता है और ये आसानी से ठीक नहीं होता है। इसका खतरा उन लोगों को और ज्यादा होता है, जो सिगरेट और शराब का सेवन करते हैं।

खतरनाक हो सकते हैं डायबिटीज के परिणाम

मधुमेह में आदमी का शरीर इंसुलिन का उचित ढंग से इस्तेमाल नहीं कर पाता है और यदि मधुमेह नियंत्रित न किया गया तो इसके परिणाम खतरनाक हो सकते हैं जिसकी वजह से नसें, आंख की रेटीना, और रक्त वाहिनियां भी प्रभावित हो सकती हैं।

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