
व्यक्ति धुएं के साथ जितना टार और निकोटिन लेता है उससे कहीं ज्यादा टार, निकोटिन धुएं के साथ निकल कर हवा में पहुंचता है।
विशेषज्ञों के अनुसार, अगर घर का एक सदस्य भी स्मोकिंग करता है तो वह घर के अन्य सदस्यों को समय से पहले मौत के करीब पहुंचा देता है। हर साल 31 मई को विश्व तंबाकू निषेध दिवस मनाया जाता है। इसलिए यह अत्यंत जरूरी है कि स्मोकिंग के साइड इफेक्ट्स को लेकर जागरूकता फैलाने के साथ-साथ पेसिव स्मोकिंग के साइड इफेक्ट्स के बारे में जागरूकता फैलाई जाए।
‘एक जलती हुई सिगरेट से निकलने वाले कुल धुएं का काफी भाग धूम्रपान करने वाले के अंदर जाता है। लेकिन इसके बावजूद, 66 प्रतिशत धुआं हवा में घुल कर उसे धूम्रपान जितना ही जहरीला बना देता है। जाहिर है कि घर के अन्य लोग इस जहर से कैसे बच पाएंगे।’ यह बात राजधानी के राजीव गांधी कैंसर इन्स्टीट्यूट के मेडिकल ओंकोलॉजी विभाग के कन्सल्टेंट डॉ. उल्लास बत्रा ने बताई।
एम्स में ओंकोलॉजिस्ट डॉ. पी के जुल्का ने कहा ‘अगर तंबाकू के उत्पादों की वजह से एक बार अनुवांशिकी पर असर पड़ा और जीन प्रभावित हो गए तो इसका खामियाजा आने वाली पीढ़ी तक भुगतती है। धूम्रपान करने वाला व्यक्ति इस बात का अनुमान कभी नहीं लगा पाता कि वह अपनी ही पीढ़ी के लिए कौन सा खतरा पैदा कर रहा है।’
डॉ. बत्रा ने कहा ‘धूम्रपान करने वाला व्यक्ति धुएं के साथ जितना टार और निकोटिन लेता है उससे कहीं ज्यादा टार, निकोटिन धुएं के साथ निकल कर हवा में पहुंचता है। इस धुएं में पांच गुना ज्यादा कार्बन मोनोऑक्साइड, अमोनिया और कैडमियम होते हैं। इसमें जहरीली गैस हाइड्रोजन सायनाइड होती है जिसमें नुकसानदायक नाइट्रोजन डाइऑक्साइड होता है और यह फेफड़ों तथा हृदय रोगों का मुख्य कारण होता है।’
रोग विशेषज्ञ डॉ. अर्चना धवन बजाज ने कहा ‘सिगरेट का धुआं गर्भवती महिला और उसके अजन्मे बच्चे के लिए खतरनाक होता है। इससे गर्भपात हो सकता है और गर्भस्थ शिशु में विकृति का खतरा होता है। धूम्रपान करने वाले पिता की संतान होने की वजह से पहले ही शिशु को गुणसूत्र की विकृति तथा अन्य बीमारियां होने की आशंका होती है। मां धूम्रपान नहीं करती, लेकिन पिता की सिगरेट का धुआं मां और बच्चे के लिए नुकसानदेह होता है।’
डॉ. बत्रा ने कहा ‘तंबाकू तथा परोक्ष धूम्रपान को लेकर जागरूकता फैलाना बहुत जरूरी है। मित्र मंडली में अगर एक दोस्त धूम्रपान करे और बाकी न करें तो शेष के लिए यह धूम्रपान खतरनाक हो सकता है। यह बातें पहले भी हजारों बार कही जा चुकी हैं लेकिन अमल में बहुत कम लाई जाती हैं।’ डॉ. जुल्का के अनुसार, फैशन और आधुनिकता का दूसरा पहलू अत्यंत खतरनाक है और समय रहते इससे सचेत होना बहुत जरूरी है।
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