
भारत में हृदय संबंधी रोगों के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। इसके मुख्य कारणों में जेनेटिक म्यूटेशन व अनहैल्दी लाइफस्टाइल प्रमुख हैं। हालांकि, जेनेटिक म्यूटेशन में बदलाव लाने के लिए हम कुछ खास नहीं कर सकते, लेकिन अपनी खान-पान व दिनचर्या में कुछ सकारात्मक बदलाव कर हार्ट डिजीज के रिस्क फैक्टर्स को कम किया जा सकता है। दिल की धड़कनों के ग्राफ तेजी से ऊपर-नीचे करने में डाइट का रोल बेहद अहम होता है। ऐसे में स्ट्रिक्ट व हैल्दी डाइट प्लान का पालन कर दिल की समस्याओं पैदा करने वाले कारकों से दूर रहा जा सकता है। हाल में हुए कुछ शोध बताते हैं कि जैतून के तेल व नट्स के सेवन से हृदय रोगों के खतरे को काफी हद तक कम किया जा सकता है। चलिये डालते हैं इन शोधों पर एक सरसरी नज़र।
जैतून का तेल, हृदय रोग और शोध
जैतून का तेल स्वास्थ्यवर्धक खाद्य तेल है। भोजन में इसका उपयोग करने से हृदय रोग और मधुमेह जैसी बीमारियों से बचाव होता है। यही नहीं इसके नियमित सेवन से इन दोनों बीमारियों के अलावा शरीर को कई अन्य बीमारियों से लड़ने की शक्ति भी मिलती है। दरअसल जैतून के तेल में फैटी एसिड की प्रचुर मात्रा होती है, जो हृदय रोग के खतरों को कम करती है।
जैतून तेल में पाई जाने वाली वसा ‘ओलीट’, ईंधन के समुचित चयापचय को बहाल कर सकती है, जिससे हृदयाघात से बचाव होता है। इस संबंध में अमेरिका के शिकागो स्थित युनिवर्सिटी ऑफ इलिनोइस में हुए एक अध्ययन के वरिष्ठ लेखक, ई. डगलस लेवांडोस्की के अनुसार, ‘यह अध्ययन एक और सबूत देता है कि ओलीट जैसे स्वस्थ वसा का सेवन, हृदय की बीमारी शुरू होने बाद भी उसके के लिए सकारात्मक रूप से प्रभावशाली होता है।’
अस्वस्थ हृदय, ईंधन के लिए उपयोग होने वाली वसा को ठीक प्रकार से एकत्रित या क्रियान्वित नहीं कर पाता। हृदय के प्राथमिक ईंधन स्रोत वसा का उपयोग न कर पाने की वजह से हृदय की मांसपेशियों को ऊर्जा की कमी का सामना करना पड़ता है। हृदय में चयापचय न हो पाने वाली वसा विषाक्त उप-उत्पादों में परिवर्तित हो जाती है, जिसके चलते हृदय बीमार हो जाता है। अध्ययन में यह भी पाया गया कि वसा चयापचय को संतुलित रखने और विषाक्त उत्पादों को कम करने के अलावा ओलीट एंजाइमों के लिए कुछ जीन्क को भी दोबारा से एक्टिव करता है।
डगलस लेवांडोस्की ने यह भी बताया कि, इस सामान्य वसा के सेवन से उपयोगी और फायदेमंद जीन जीवित हो सकते हैं। शोधकर्ताओं ने अध्ययन कर देखा कि चूहों के अस्वस्थ हृदय, ओलीट की आपूर्ति को लेकर कैसी प्रतिक्रिया करते हैं। शोधकर्ताओं ने ओलीट वसा का सेवन करने वाले चूहों के हृदय में अचानक सुधार देखा। ये परिणाम ‘सर्कुलेशन’ जर्नल में प्रकाशित हुए।
नट्स के सेवन और हृदय रोगों पर शोध
हाल में हुए एक और शोध में पाया गया कि वे महिलाएं जो भोजन में नट्स का नियमित सेवन करती हैं उन्हें कोरोनरी हृदय रोग होने की संभावना कम होती है। अमेरिका में हुए इस शोध में 14 वर्ष तक 34 से 59 वर्ष आयु की 80,000 महिलाओं की भोजन की आदतों का अध्ययन किया गया।
शोध के परिणामों के आधार पर शोधकर्ता इस निष्कर्ष पर पहुंचे कि जो महिलाएं हर हफ्ते 150 ग्राम नट्स का सेवन कर रही थीं उनमें नट्स का सेवन न करने वाली महिलओं की तुलना में कोरोनरी हृदय रोग होने की संभावना 35 प्रतिशत तक कम पाई गई।
यही नहीं, अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन के मुताबिक नट्स का सेवन हृदय रोगों की संभावना को कम करता है। ऐसा इसलिए, क्योंकि नट्स रक्त वसा पर सकारात्मक प्रभाव डालते हैं। गौरतलब है कि ये कुल कोलैस्ट्रोल की मात्रा को तो कम करते ही हैं, साथ ही हानिकारक कोलैस्ट्रोल (एलडीएल) के स्तर को भी कम करते हैं। नट्स में विटामिन ई, मैगनीशियम, फाइबर व पोटाशियम आदि सुरक्षात्मक तत्व होते हैं।
हार्वड में 30 वर्षों तक चलने वाले एक और अध्ययन के दौरान यह पता चला है कि नट्स का नियमित सेवन से कैंसर अथवा दिल के रोगों से मरने की संभावना काफी कम हो जाती है। नट्स को लंबे समय से दिल के लिए स्वास्थ्यपरक माना जाता रहा है, हालांकि अभी अध्ययन इस बात पर चल रहे हैं कि क्या नट्स का उपभोग मृत्यु-दर को सच में प्रभावित करता है, यदि हां तो कैसे।
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