वैज्ञानिक ऐसी कंप्यूटर चिप बनाने में जुटे हैं, जो किसी मोटे व्यक्ति के हाथ में लगा देने से उसे वजन कम करने में मदद मिलेगी। यह चिप लगातार रक्त में वसा की उपस्थिति की जांच करती रहेगी और किसी व्यक्ति को थोड़ा खा कर ही पेट भरने की अनुभूति कराएगी।
चूहों पर किए गए शोध पर सकारात्मक परिणाम सामने आए हैं। इसमें चूहों के अधिक वसा युक्त आहार खाने के प्रति अरुचि पैदा हो गई और उनका वजन कम हो गया। गौरतलब है कि जब वे सामान्य वजन पर पहुंच गए तो डिवाइस ने डायट ड्रग का स्राव बंद कर दिया।
स्विट्जरलैंड के शोधकर्ताओं ने उम्मीद जतायी कि पांच से दस वर्षों में वे इस उपकरण का सिक्के के आकार का वर्जन बनाने में कामयाब हो जाएंगे, जिसे किसी व्यक्ति की बांह में फिट किया जा सकेगा।
नेचर कम्यूनिकेशन जर्नल में छपी रिपोर्ट के मुताबिक इस चिप में दो जीन मौजूद हैं, जो एक साथ काम करके भूख को नियंत्रण में रखते हैं। पहला जीन रक्त में वसा की मात्रा पर नजर रखता है। जब यह बहुत अधिक हो जाती है, तो यह दूसरे जीन को भूख नियंत्रित करने का निर्देश देता है।
चिप का आविष्कार करने वाले प्रोफेसर मार्टिन फुसेंगर का कहना है कि चिप में जीन्स का ऐसा सम्मिश्रण है, जिसे अन्य रोगों से निपटने में उपयोग किया जा सकता है।
कारगर साबित होने पर इसे वजन कम करने वाली कई बार खाने वाली गोलियों के विकल्प के तौर पर इस्तेमाल किया जा सकता है। यह भी उम्मीद जतायी जा रही है कि इस उपकरण से कोई साइड इफेक्ट भी नहीं होगा। ब्रिटेन में सिर्फ 34 प्रतिशत पुरुषों और 39 प्रतिशत महिलाओं को ही स्वस्थ वजन की श्रेणी में रखा जा सकता है।
मोटापा किसी व्यक्ति के जीवन से नौ वर्ष तक कम कर सकता है और इसके साथ ही यह हृदय समस्याओं, डायबिटीज, स्ट्रोक, नपुंसकता, अवसाद और कुछ प्रकार के कैंसर की वजह बन सकता है।
शोधकर्ताओं के एक प्रवक्ता ने कहा, ''मनुष्यों में अधिक वजन की समस्या बढ़ती जा रही है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के मुताबिक कई औद्योगीकृत देशों की करीब आधी आबादी अधिक वजन की शिकार है। और तीन में से एक व्यक्ति का वजन तो बहुत ही अधिक है। सिर्फ उच्च कैलोरी और वसा युक्त भोजन न केवल कूल्हों, कमर और पेट पर अतिरिक्त वसा जमा देता है, लेकिन साथ ही रक्त वहां में कई निशान भी छोड़ जाता है, जहां खाद्य प्रसारण के जरिये वसा पहुंच जाती है।
रक्त में अधिक वसा को हृदयाघात और स्ट्रोक की बड़ी वजह माना जाताहै। जहां तक इस चिप के मनुष्यों पर प्रयोग किये जाने की बात है, तो ऐसा अगले तीन वर्षों में संभव हो सकता है। अगर यह सुरक्षित और उपयोगी पायी गई तो अगले कुछ वर्षों में यह आसानी से उपलब्ध होने लगेगी।
हालांकि, ब्रिटिश विशेषज्ञों ने आगाह किया है कि ऐसी कोई चिप बनाना मुश्किल है, जो अधिक वजन कम करे और लंबे समय तक कारगर भी हो।
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