लिवर शरीर का दूसरा सबसे जरूरी हिस्सा है। इसके आसपास हमेशा फैट जमा होता रहता है। जब इसके सेल में बहुत अधिक फैट जमा हो जाता है तो फैटी लिवर की समस्या हो जाती है। इस स्थिति में लिवर में सूजन आने लगती है और लिवर सिकुड़ने लगता है। आमतौर पर माना जाता है कि फैटी लिवर का कारण एल्कोहलिक पदार्थों का अधिक सेवन है। ये बात सच है कि एल्कोहल पदार्थों के अधिक सेवन से फैटी लिवर होने का खतरा कई गुना बढ़ जाता है। मगर आपको बता दें कि इस तथ्य का मतलब ये नहीं है कि अगर आप शराब नहीं पीते हैं, तो आपको ये रोग नहीं होगा। आजकल खान-पान की गलत आदतों और अनियमित जीवनशैली के कारण दिल और लिवर के रोगियों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। लिवर से जुड़ी तमाम बीमारियों में फैटी लिवर प्रमुख है क्योंकि विश्वभर में इस रोग से करोड़ों लोग परेशान हैं।
दरअस्ल फैटी लिवर दो तरह का होता है। एक एल्कोहलिक फैटी लिवर, जिसमें एल्कोहल के अधिक सेवन के कारण लिवर में सूजन आ जाती है और फैट जमने लगता है। दूसरा है नॉन एल्कोहलिक फैटी लिवर, जिसमें अन्य कारणों से लिवर के आस-पास फैट जमा हो जाता है। दोनों ही प्रकार के फैटी लिवर खतरनाक हैं इसलिए इनके बारे में जानना आपके लिए जरूरी है।
फैटी लिवर
फैटी लीवर एक शब्द है जो लिवर में फैटजमा होने का कहते हैं। लीवर में 5 से 10 फीसदी से अधिक फैट जमा होना फैटी लीवर का संकेत है। फैटी लीवर रिवर्सिबल कंडीशन है जिससे लाइफस्टाइल में सुधार कर ठीक किया जा सकता है। इसके ऐसे कोई लक्षण नहीं होते जो स्थायी तौर पर लीवर को नुकसान पहुंचा दें।
इसे भी पढ़ें:- जानिये किन लोगों को होता है फैटी लिवर का ज्यादा खतरा और कैसे करेंगे बचाव
टॉप स्टोरीज़
नॉन-एल्कोहलिक फैटी लीवर का कारण
शहरीकरण के दौर में लोगों के लाइफ स्टाइल में कई सारे बदलाव आए हैं जिससे लोगों में ओवरवेट, मोटापा और डायबिटीज की समस्या होने लगी है। ये तीनों कारक ही फैटी लीवर के सबसे बड़े कारक माने जाते हैं। ऐसे में अगर आप अल्कोहल नहीं ले रहे हैं और आपको इन तीनों में से कोई भी समस्या है तो आपको फैटी लीवर होने की पूरी संभावना है। अगर इसका समय पर इलाज नहीं करवाया गया तो ये सिरोसिस लिवर में बदल सकता है। ये लिवर डैमेज होने की अवस्था है।
इस अवस्था में केवल लीवर ट्रांसप्लांट करके ही इस बीमारी से बचा जा बचता है। लीवर ट्रांसप्लांट काफी महंगा होता है और इसमें सबसे बड़ी समस्या लीवर डोनर को खोजने की रहती है। तो इससे बचने का अच्छा और सस्ता उपाय है अपनी लाइफ-स्टाइल और खान-पान में सुधार करें।
ऐसे होता है फैटी लिवर
लीवर शरीर का दूसरा सबसे जरूरी हिस्सा है। इसके सेल में हमेशा फैट जमा होते रहता है। लेकिन जब इसके सेल में बहुत अधिक फैट जमा हो जाता है तो इससे फैटी लीवर की स्थिति उत्पन्न हो जाती है। इस स्थिति में लिवर में सूजन आने लगती है और लिवर सिकुड़ने लगता है।
इसे भी पढ़ें:- पेट के ऊपरी हिस्से में दर्द कहीं पैंक्रियाटाइटिस तो नहीं, ये हैं लक्षण और उपचार
क्या हैं लक्षण
नॉन-अल्कोहलिक फैटी लीवर के सामान्य तौर पर कोई लक्षण नहीं दिखते। जब ये होते हैं तो अमूमन ये लक्षण नजर आते हैं-
- थकान
- दायें एब्डोमन के ऊपरी हिस्से में दर्द
- वजन में गिरावट
इसके कारण
- मोटापा
- हाइपरलीपिडीमा या फिर खून में हाई लेवल के फैट हों
- मधुमेह
- आनुवांशिक कारण
- किसी विशेष दवाई का साइड इफेक्ट होना
फैटी लीवर तीन तरह के होते हैं। नॉन-अल्कोहलिक फैटी लीवर के अलावा ये अन्य दो तरह के भी होते हैं।
- नॉन-अल्कोहलिक स्टेटोहेपाटाइटिस
- नॉन-अल्कोहलिक फैटी लीवर डीज़िज-सिरोयोसिस
रिस्क फैक्टर
- इन कुछ बीमारियों से इसके खतरे अधिक बढ़ जाते हैं।
- गैस्ट्रिक बायपास सर्जरी
- हाई कैलेस्ट्रॉल
- बल्ड में हाई लेवल के ट्राईग्लिसरीड्स का होना
- मेटाबॉलिक सिंड्रोम
- पॉलिस्टिक ओवरी सिंड्रोम
- स्लीप ऐप्नीआ
- थायरॉयड
फैटी लिवर से ऐसे बचें
- उचित समय पर डॉक्टर को दिखाएं औऱ इलाज शुरु करवाएं।
- लाइफ-स्टाइल में बदलाव करें। नियमित व्यायाम और प्राणायाम आदि करें।
ऐसे अन्य स्टोरीज के लिए डाउनलोड करें: ओनलीमायहेल्थ ऐप
Read More Articles On Other Diseases in Hindi