मुंह के कैंसर को बढ़ाता है तंबाकू का अधिक सेवन, जानें लक्षण और बचाव

तंबाकू का सेवन सबसे ज्यादा मुंह के कैंसर के खतरे को बढ़ाता है। देश में आज  मुंह का कैंसर विकराल रूप ले चुका है।
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मुंह के कैंसर को बढ़ाता है तंबाकू का अधिक सेवन, जानें लक्षण और बचाव

तंबाकू का सेवन सबसे ज्यादा मुंह के कैंसर के खतरे को बढ़ाता है। देश में आज  मुंह का कैंसर विकराल रूप ले चुका है। धूमपान और अस्वास्थ्यकर खान-पान से युवाओं में मुंह, गले और भोजन नली के कैंसर का खतरा दोगुना हो जाता है। मुंह, गले और भोजन नली के कैंसर से ब्रिटेन में हर साल 10 हजार लोगों की मौत हो जाती है और पूरे यूरोप में इससे एक लाख से ज्यादा लोग मारे जाते हैं। आइए जानते हैं इसके लक्षण और इलाज।

ये हैं मुख्य कारण 

  • तम्बाकू, गुटखा, पान और धूम्रपान। 
  • शराब का अत्यधित सेवन। 
  • असंतुलित भोजन। 
  • दांतों को साफ न रखना। 
  • कमजोर इम्यून सिस्टम। 
  • ह्यूमैन पेपीलोमा वायरस (एच पी वी) वायरस। यह वायरस महिलाओं में गर्भाशय ग्रीवा (सर्विक्स) का कैैंसर उत्पन्न करता हैं। यह वायरस मुख का कैैंसर भी उत्पन्न कर सकता है।  

क्या हैं इसके लक्षण

 1.मुंह का छाला जो ठीक नहीं होता। 

2.सफेद या लाल दाग जो गले या मुंह में लंबे समय से हों। 

3.मुंह या गले में गांठ का होना। 

4. चबाने, निगलने व बोलने में कठिनाई या दर्द होना। 

5.मुंह से खून आना। 

6.कम समय में वजन का बहुत कम  हो जाना। 

7. दुर्र्गंध युक्त सांस छोडऩा। 

8. सांस लेने में या बोलने में परेशानी। 

मुंह के कैैंसर के ये सामान्य लक्षण हैं। आवश्यक नहीं कि मुंह का कैंसर ही हो इसलिए इन लक्षणों के होने पर अपने डॉक्टर या दांत के डॉक्टर को दिखाना आवश्यक है। यदि प्रारंभिक अवस्था में ही उपचार किया जाए, तो इलाज बहुत सफल रहता है। । 

कैसे पहचानें 

विशेषज्ञ डॉक्टर मुंह का निरीक्षण करके टिश्यू का एक छोटा टुकड़ा निकालते हैं, जिसे बॉयोप्सी कहा जाता है। इस टुकडे का सूक्ष्मदर्शी मशीनों से निरीक्षण किया जाता है। इसके बाद कैंसर का फैलाव जानने के लिए एमआरआई और पेट-सीटी कराया जाता है। 

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इलाज के बारे में 

सर्जरी: इसमें कैंसर ग्रस्त भाग को ऑपरेशन के जरिये निकाल दिया जाता हैं। 

रेडियोथेरेपी: इसमें शरीर के बाहर सेलीनियर एक्सेलरेटर(जिससे रेडिएशन की प्रक्रिया को अंजाम देते हैं) द्वारा फोटॉन और इलेक्ट्रॉन किरणों से कैंसरग्रस्त कोशिकओं को समाप्त कर दिया जाता है। इस उपचार में सामान्य कोशिकाओं को कम से कम नुकसान पहुंचता है। 

कीमोथेरेपी : इसमें कैंसररोधी रसायनों का उपयोग कैंसर कोशिकाओं को नष्ट करने के लिए किया जाता है। 

आधुनिक टार्गेटेड थेरेपी : अत्याधुनिक टार्गेटेड थेरेपी के अंतर्गत कैैंसरग्रस्त कोशिकाओं को ही नष्ट किया जाता है। स्वस्थ कोशिकाओं पर टार्गेटेड थेरेपी का बहुत कम साइड इफेक्ट होता है।

डॉ.अंकिता पटेल
रेडिएशन ऑनकोलाजिस्ट 
एपेक्स हॉस्पिटल, वाराणसी

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