मकर संक्रांति पर तिल खाने की है परंपरा, जानें क्‍या है इसके स्‍वास्‍थ्‍य लाभ

यह हिंदु धर्म के बड़े पर्व में से एक है। इस दिन स्‍नान और दान करने की परंपरा है। पूरे देश भर में गंगा और अन्‍य नदियों में लोग स्‍नान करते हैं और तिल का दान करते हैं। मकर संक्रांति के दिन तिल-गुड़ क्‍यों खाया जाता है? आज इसके बारे में हम विस्‍तार से इस लेख में बताएंगे।
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मकर संक्रांति पर तिल खाने की है परंपरा, जानें क्‍या है इसके स्‍वास्‍थ्‍य लाभ


भारतीय परंपरा के अनुसार मकर संक्रांति पर खास तौर से तिल-गुड़ के पकवान बनाने और खाने और दान किया जाता है। कहीं तिल-गुड़ के स्वादिष्ट लड्डू बनाए जाते हैं तो कहीं तिल-गुड़ की गजक भी लोगों को खूब भाती है। यह पर्व इसलिए मनाय जाता है क्‍योंकि सूर्य धनु राशि से मकर राशि में प्रवेश करता है। यह हिंदु धर्म के बड़े पर्व में से एक है। इस दिन स्‍नान और दान करने की परंपरा है। पूरे देश भर में गंगा और अन्‍य नदियों में लोग स्‍नान करते हैं और तिल का दान करते हैं। मकर संक्रांति के दिन तिल-गुड़ क्‍यों खाया जाता है? आज इसके बारे में हम विस्‍तार से इस लेख में बताएंगे।

वैज्ञानिक आधार

मकर संक्रांति पर तिल-गुड़ का सेवन करने के पीछे वैज्ञानिक आधार भी है। सर्दी के मौसम में जब शरीर को गर्मी की आवश्यकता होती है, तब तिल-गुड़ के व्यंजन यह काम बखूबी करते हैं। तिल में तेल की प्रचुरता रहती है और इसमें प्रोटीन, कैल्शियम, बी काम्‍प्‍लेक्‍स और कार्बोहाइट्रेड आदि तत्‍व पाये जाते हैं। तिल में सेसमीन एंटीऑक्सीडेंट्स होते हैं जो कई बीमारियों के इलाज में मदद करते हैं। इसे जब गुड़ में मिलाकर खाते हैं तो इसके हेल्थ बेनिफिट्स और बढ़ जाते हैं। गुड़ की तासीर भी गर्म होती है। तिल व गुड़ को मिलाकर जो व्यंजन बनाए जाते हैं, वह सर्दी के मौसम में हमारे शरीर में आवश्यक गर्मी पहुंचाते हैं। यही कारण है कि मकर संक्रांति के अवसर पर तिल व गुड़ के व्यंजन प्रमुखता से खाए जाते हैं।

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अध्‍या‍त्मिक आधार

धार्म‍िक अनुष्‍ठानों में तिल का प्रयोग किया जाता है क्‍योंकि यह शनि का द्रव्य है। मकर संक्रांति पर सूर्य एक माह शनि की राशि मकर में रहते हैं। शनि न्याय और पूर्व जन्म के पापों का प्रायश्चित करवाते हैं। तिल के दान का यही महत्व है कि पूर्व जन्म के पापों और ऋण का तिल दान शमन करता है। गरीबों में तिल के लड्डू बांटने से व्याधि का नाश होता है और मुकदमे में विजय मिलती है। राहु और केतु भी शनि के शिष्य हैं। अतः राहू और केतु की पीड़ा भी तिल दान समाप्त करता है।

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कब्‍जनाशक और ब्‍लड प्रेशर करता है नियंत्रित 

इस मौसम में ठंड पड़ने के कारण तमाम प्रकार के उदर विकार और एसिडिटी की समस्या होती है। तिल एक प्रकार का एंटीऑक्सीडेंट है और गुड़ गैस के लिए बहुत लाभकारी चीज है। तिल का लड्डू उदर विकार के साथ साथ रक्त को शुद्ध भी करता है और ब्लड प्रेशर को नियंत्रित करता है। तिल का सेवन प्रत्येक सुबह करना चाहिए और रात में भोजन के पश्चात तिल के 2 लड्डू और गुनगुना पानी ग्रहण करके सोना चाहिए।

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