फेफड़ों की कोशिकाएं जब अनियंत्रित रूप से ऊपर-नीचे होने लगती हैं उस स्थिति में फेफड़ों का कैंसर (Lung Cancer)होता है । लगातार खांसी आना, सांस लेने में तकलीफ, सीने में दर्द, गला बैठना, हड्डियों में दर्द, सिरदर्द, खांसते वक्त खून आना जैसे लक्षण आमतौर पर प्रारंभिक चरण में सामने नहीं आते हैं। फेफड़ों का कैंसर मूल रूप से दो प्रकार के होता है पहला स्मॉल सेल लंग कैंसर और दूसरा नॉन स्मॉल सेल लंग कैंसर। फेफड़ों का कैंसर संभावित रूप से शरीर के अन्य भागों में फैल सकता है और जान जाने का खतरा पैदा कर सकता है। इसके उपचार के लिए डॉक्टर सर्जरी, कीमोथेरेपी, विकिरण चिकित्सा या लक्षित चिकित्सा का प्रयोग करते हैं। हालांकि फेफड़ों के कैंसर से जुड़े मिथ लोगों के बीच भ्रम की स्थिति फैलाते हैं, जिनमें से पांच के बारे में हम आपको बताने जा रहे हैं कि वह कैसे आपको प्रभावित करते हैं।
मिथः अगर आप वर्षों से धूम्रपान कर रहे हैं तो काफी देर हो चुकी है
तथ्यः धूम्रपान छोड़ने से तुरंत लाभ मिलता है। आपके सर्कुलेशन में सुधार होता है और आपका फेफड़े सही से काम करने लगेंगे। समय के साथ-साथ आपमें फेफड़ों के कैंसर का जोखिम कम होना शुरू हो जाएगा। धूम्रपान छोड़ने के 10 साल बाद आपमें इस बीमारी से मरने का जोखिम ऐसा जारी रखने वालों की तुलना में 50 फीसदी तक कम हो जाएगा।
मिथः लो टार या 'लाइट' सिगरेट रेगुलर के मुकाबले ज्यादा सुरक्षित है
तथ्यः यह भी उतनी हो जोखिम भरी है। और मेंथॉल से सावधान रहिए। कुछ अध्ययनों में सुझाव दिया गया है कि मेंथॉल सिगरेट अधिक हानिकारक होती हैं और इन्हें छोड़ना मुश्किल होता है। इसके कूलिंग तत्व लोगों को और अधिक सिगरेट पीने के लिए प्रेरित करती है।
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मिथः नशा करना ठीक है
तथ्यः गांजा पीने से फेफड़ों के कैंसर का खतरा बढ़ सकता है। बहुत से लोग, जो नशा करते हैं वह भी सिगरेट पीते हैं। कुछ अध्ययनों में दर्शाया गया है कि वे लोग, जो दोनों प्रकार से धूम्रपान करते हैं उनमें फेफड़ों का कैंसर होने का जोखिम अधिक रहता है।
मिथः एंटीऑक्सीडेंट सप्लीमेंट आपको बचाते हैं
तथ्यः जब शोधकर्ताओं ने इन उत्पादों की जांच की तो उन्होंने पाया कि इसमें बीटा-कैरोटीन लेने वाले स्मोकरों के समान फेफड़ों के कैंसर होने का जोखिम रहता है। आप सबसे पहले अपने डॉक्टर से बात करिए। हां फलों व सब्जियों से मिलने वाला एंटीऑक्सीडेंट आपके लिए सही है।
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मिथः पाइप और सिगार से कोई समस्या नहीं
तथ्यः सिगरेट की तरह, यह भी आपको मुंह, गले, ग्रासनली और फेफड़ों के कैंसर के जोखिम को बढ़ा सकते हैं। सिगार फूंकने से विशेष रूप से आपको ह्रदय बीमारियों व फेफड़ों के रोग होने की संभावना अधिक रहती है।
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